जिस जमीन के प्रबंधक है कलेक्टर उसे भी भूमाफियाओं ने बेच डाला
सतना। जिला प्रशासन निजी हो चुकी सरकारी जमीनों को पुन: सरकारी घोषित करने के मामले में भले ही वाहवाही बटोर रहे हों लेकिन धर्म नगरी चित्रकूट के भू माफियाओं पर अंकुश लगा पाने में वे भी नाकाम साबित हुए हैं। यहां तक कि कलेक्टर प्रबंधक दर्ज हो चुकी जमीन को भी पूरी तरह अतिक्रमण मुक्त नहीं कराया जा सका है। प्रशासनिक उदासीनता के चलते देवभूमि के तौर पर दर्ज आराजी क्र. 1004 पर पक्के निर्माण कर जमीन को हड़पा जा रहा है। यहां तक कि मुखारबिंद में बनाए गए कक्षों में भी भूमाफियाओं के गुर्गों ने अपने ताले जड़ रखे हैं।
खेला बटांक का खेल 
मुखारबिंद की जमीन हथियाने के लिए भूमाफियाओं ने राजस्व अधिकारियों से मिलकर बटांक का खेल खेला है। दस्तावेजों का अध्ययन करने पर मुखारबिंद के जमीन घोटाले की परतें प्याज के छिलकों की तरह परत दर परत उधड़ रही है। पटवारी, तहसीलदार व एसडीएम की भूमिका भी सवालों में है। उच्चाधिकारियों को गुमराह कर भू-कारोबारी, मुखारबिंद के मंहत व राजस्व अमले के गठजोड़ ने धार्मिक महत्व के बेशकीमती भूखंड का अस्तित्व ही खत्म कर दिया है।
कागजों में तो उक्त भूमि को कलेक्टर प्रबंधक दर्ज करने के निर्देश हैं लेकिन यहां आवास व दुकानें तनी हैं। न्यायालय के विभिन्न आदेशों के परिप्रेक्ष्य में कलेक्टर द्वारा निगरानी प्रकरण क्रमांक 15/निगरानी /2012-13 में उभयपक्षों की विधिवत सुनाई कर 17 जुलाई 2017 को पारित निर्णय में लेख किया गया था कि मौजा कामता कर आराजी नं. 1004 मुखारबिंद के नाम दर्ज है, अत: खसरा कालम नं. 3 में मुखारबिंद कलेक्टर सतना दर्ज किया जाय। दिलचस्प बात यह है कि इस आदेश के बाद मुखारबिंद की जमीन हथियाने बटांक को हथियार बनाया गया और आराजी नं. 1004 में इतने बटांक तैयार कर लिए गए कि उसमें अब तक 71 चिन्हित भूस्वामियों के नाम दर्ज किए जा चुके हैं।
सवाल यह है कि जमाबंदी वर्ष 1958-59 में जब आराजी क्रमांक-1004 के नवईत एवं रकबे में किसी प्रकार परिवर्तन नहीं हुआ तो सर्वराकार को विलोपित कर बटांकों में इतने भू-स्वामी कहां से पैदा हो गए। स्पष्ट है कि ऐसा स्थानीय राजस्व अमले की मिलीभगत के बिना संभव नहीं है। दस्तावेज इसकी गवाही देते हैं। जब 1004 नंबर की आराजी हड़पने की साजिश सामने आ गई तो इसी आराजी को खसरे में 1004/1/क/1, 1004/1/क/1/5, 1004/1/क/1/3, 1004/1/क/4/1, 1004/1/क/4/2, 1004/1/क/4/3, 1004/1/ क/4/4,1004/1/क/4/5, 1004/1/क/4/7, 1004/1/क/4/8, 1004/1/क/4/9, 1004/1/क/4/10 जैसे 71 बटांक तैयार किए गए और उनमें अलग-अलग भू-स्वामी दर्ज कर दिए गए । इन जमीनों की बिक्री से करोड़ों रूपए जमीन काराबारियों ने कमाए और स्थानीय राजस्व अमले ने तत्कालीन कलेक्टर को भी गुमराह करते हुए तिजोरियां भरी। न्यायालयीन आदेश पनाह मांगते रहे।
मुखारबिंद की आराजी क्र.1004 के थे कब्जेदार
देवस्थान की आराजी में प्रशासन ने कई ऐसे कब्जाधारी चिन्हित किए थे , जो आराजी क्र. 1004 के अंशभाग में काबिज पाए गए थे और जिनकी बकायदे रजिस्ट्रियां थीं । इनमें से यज्ञदत्त शर्मा,पन्नालाल तनय रामसेवक वर्मा , ब्रम्हचारी सनकादिक गुरूदेव श्री 1008 श्री स्वामी चेलादास , रामगोपाल दास , कौशल किशोर तनय विश्वनाथ, नीरज गौतम तनय रामानुज गौतम, आनंद सिंह तनय रघुराज सिंह तोमर, देवदत्त तनय रामनारायण कटारे, भूपसिंह तनय मुकुट सिंह तोमर, अतुल कुमार गुप्ता तनय दिनेशचंद्र गुपता, मरीरा पत्नी रामसुजान पयासी, मुन्नी पत्नी रामभरोसा , रघुवीर बंसल तनय हरविलास बंसल, चंद्रकली पत्नी बलवीर नाई, मनीष गोयल तनय स्व. महेशचंद्र गोयल , सुनील राठी , रविकुमार पिता मूलचंद्र सिंघल, हरिशंकर सिंघल तनय रामचरण सिंघल , पुष्पादेवी कोरी पत्नी नत्थूराम कोरी , रवेंद्र गौतम तनय रामकरण गौतम, पन्नालाल वर्मा तनय रामसेवक वर्मा, अशोक मिश्रा तनय कैलाशनाथ मिश्र, ओमप्रकाश द्विवेदी तनय महराजदीन द्विवेदी, अशोक कुमार पांडे तनय फालगो प्रसाद , महावीर प्रसाद तनय शिवसेवक मिश्रा, परशुराम तनय श्यामलाल सिंह, राधेश्याम तनय शिवलोचन , ऋषिराज सिंह, रन्नादेवी पत्नी राजकरण, अजय कुमार तनय रामकृपाल मिश्र, उदयभान तनय शिवकरण, भरतशरण तनय रामानुज,बाबूराम तनय चुन्नीलाल पांडे, प्रभा सिंह पुत्री रामराज सिंह, रामबक्श गुप्ता तनय शिवचरण गुप्ता, शांतिदेवी पत्नी रविशंकर , अंजू गौतम तनय रावेंद्र गौतम , शीलादेवी पत्नी कैलाशनाथ , हरिशंकर तनय रामचरण , गौरव शर्मा तनय गोपाल शर्मा, दयालचंद पिता रामजीदास अग्रवाल, महंत धर्मदास गुरू भक्तवत्सल दास , शशीकांत , शिवकांत, श्रीकांत पिता रामबहोरी द्विवेदी, अखिलेश तनय बृजनंदन त्रिपाठी, जगपति सिंह तनय विजयबहादुर सिंह, लालूप्रसाद , गुलाब प्रसाद , चंद्रशेखर तनय शिवदास मिश्रा, भरतशरण नीरज प्रसाद तनय रामानुज मिश्रा, हरिश्चंद्र मिश्र तनय श्रीकांत मिश्र, मइयादीन तनय भोला अहीर, नन्ना उर्फ आलोपी तनय लखनलाल , श्यामबिहारी तनय लक्ष्मीचंद्र गुप्ता, तुलसादेवी पत्नी रामप्यारे , सोनादेवी पत्नी रामविलास द्विवेदी, कैलाशनाथ पांडेय तनय सुखलाल पांडेय, दिवाकर तनय जमुना प्रसाद मिश्रा , लक्ष्मणदास गुरू रामानंद , नित्यानंद सिंह तनय नंदबहादुर सिंह चंदेल, रामविलास तनय भैरवप्रसाद , गौरीशंकर तनय मंगलीप्रसाद साहू, चंद्रप्रताप तनय लक्ष्मीचंद गुप्ता समेत 71 लोग चिन्हित किए गए थे।
उक्त आराजी के कलेक्टर प्रबंधक दर्ज होने के बाद इन्हें आराजी क्र. 1004 से बेदखल किया जाना चाहिए था लेकिन इनमें से अधिकांश कब्जेदार पक्के भवन बनाकर काबिज हैं। सरकारी जमीन में तनी गरीब की झोपड़ी पर पलक झपकते ही बुलडोजर चलाने वाला जिला प्रशासन कलेक्टर प्रबंधक के आधिपत्य वाली जमीन को कब्जामुक्त नहीं करा सका है।
हम सरकारी और धार्मिक व सार्वजनिक महत्व की जमीनों को बचाने के लिए कटिबद्ध हैं। चित्रकूट में यदि इस प्रकार हुआ है तो गंभीर बात है। जानकारी लेकर कार्रवाई करायी जायेगी। चित्रकूट अधिनियम 2009 का जहां तक सवाल है तो उस संबंध में उच्चस्तरीय मार्ग दर्शन लिया जायेगा।
अजय कटेसरिया, कलेक्टर
आराजी क्र. 1004 पर अभी भी भूमाफियाओं का कब्जा है, भले ही कागज में यह आराजी मुखारबिंद के नाम हो या कलेक्टर प्रबंधक के तौर पर  दर्ज हो। मुखारबिंद के तीन कक्षों पर भी करबरिया समेत अन्य लोगों ने कब्जा कर रखा है। प्रशासन को धार्मिक व सार्वजनिक महत्व की जमीन बचाने आगे आना चाहिए। 
सत्यप्रकाश , महंत
 
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