Bhopal News: विधानसभा में पारित हुआ स्टाम्प विधेयक: जानिए किन दस्तावेजों पर बढ़ा शुल्क और क्या होंगे आम जनता पर प्रभाव

राज्य सरकार ने 12  तरह के दस्तावेजों पर स्टाम्प शुल्क में संशोधन किया है

Bhopal News: विधानसभा में पारित हुआ स्टाम्प विधेयक: जानिए किन दस्तावेजों पर बढ़ा शुल्क और क्या होंगे आम जनता पर प्रभाव

राइटर शिवेंद्र सिंह

Madhya Pradesh Stamp Bill 2025: मध्य प्रदेश विधानसभा में स्टाम्प विधेयक 2025 पारित कर दिया गया है. इस विधेयक के जरिए राज्य सरकार ने कुल 12  तरह के दस्तावेजों पर स्टाम्प शुल्क में संशोधन किया है. इसके साथ ही एक बड़ा बदलाव यह भी किया गया है कि 200 रूपए से कम किमत के स्टाम्प पेपर पर कोई भी शपथ पत्र (अफिडेविट) स्वीकार्य नहीं होगा. यह संशोधन आम जनता, छात्रों, संपत्ति खरीदने वालों, कानूनी मामलों से जुड़े नागरिकों और व्यावसायिक संस्थानों पर सीधा प्रभाव डालेगा. आइए विस्तार से समझते हैं. कि इस विधेयक में क्या-क्या बदलाव किए गए हैं और इसका उद्देश्य क्या है.

क्या है स्टाम्प विधेयक?
What is a Stamp Bill?: यह विधेयक मध्य प्रदेश सरकार ने अधिनियम, 1899 में संशोधन करने के लिए लाया है. इसमें कुछ खास कैटेगरी के दस्तावेजों पर लगने वाले स्टाम्प शुल्क को बढ़ाया गया है, जो सालों से बदले नहीं गए थे.वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा ने विधानसभा में विधेयक पेश करते हुए कहा. कि राजस्व और डिजिटल युग में पारदर्शिता लाने के लिए यह संशोधन जरूरी है.

किन 12 दस्तावेजों पर शुल्क बढ़ाया गया?

संशोधित विधेयक के मुताबिक, शपथ पत्र (Affidavit), साझेदारी अनुबंध (Partnership Deed),  पॉवर ऑफ अटॉर्नी (Power of Attorney), लीज डीड (Lease Agreement), गिफ्ट डीड (Gift Deed), वसीयतनामा (Will), न्यायालयीय आदेश की प्रति (Certified Copy of Court Order), समझौता पत्र (Agreement to Sell/Purchase), संपत्ति ट्रांसफर डीड (Conveyance Deed), समय विस्तार पत्र (Extension Agreements), समझौता ज्ञापन (Memorandum of Understanding) और विपत्र (Declaration) जैसे दस्तावेजों की कीमतों को बढ़ाया गया है. इन दस्तावेजों पर अब 10 से 500 रुपए तक की अतिरिक्त स्टाम्प शुल्क देनी होगी. नई दरों की लिस्ट जल्द  सरकारी गजट अधिसूचना में जारी की जाएगी.

200 से कम मूल्य के स्टाम्प पेपर पर क्यों नहीं बन पाएगा शपथ पत्र?

सरकार ने यह भी तय किया है कि अब 200 रूपए से कम के स्टाम्प पेपर पर कोई भी शपथ पत्र (Affidavit) मान्य नहीं होगा. इसका मकसद फर्जी  या कमजोर कानूनी दस्तावेजों पर रोक लगाना है. अक्सर लोग 10 या 20 रूपए के स्टाम्प पेपर पर शपथ पत्र बनवाकर सरकारी योजनाओं या कानूनी मामलों में काम करते हैं. पर अब ऐसा नहीं होगा. 200 से अधिक रूपए के स्टाम्प पेपर ही स्वीकार्य किये जाएंगे. अब से कोई भी शपथ पत्र केवल ₹200 या उससे अधिक मूल्य के स्टाम्प पेपर पर ही मान्य होगा। इसका उद्देश्य फर्जी शपथ पत्रों पर रोक लगाना और दस्तावेजों को अधिक वैधानिक बनाना है।

जनता पर इसका क्या असर होगा?

सरकार ने यह भी तय किया है कि अब 200 रूपए से कम मूल्य के स्टाम्प पेपर पर कोई भी शपथ पत्र (Affidavit) मान्य नहीं होगा. इसका उद्देश्य फर्जी या कमजोर कानूनी दस्तावेजों पर रोक लगाना है. अक्सर लोग 10 या 20 रूपए के स्टाम्प पेपर पर शपथ पत्र बनवाकर सरकारी योजनाओं या कानूनी मामलों पर काम चलाते थे. पर अब 200 से अधिक रूपए के स्टाम्प पेपर ही स्वीकार्य होंगे.

जनता पर क्या होगा असर?
छात्रों और बेरोजगार युवाओं को जाति प्रमाण पत्र, निवास प्रमाण पत्र या छात्रवृत्ति के लिए अधिक खर्च करना पड़ सकता है. संपत्ति खरीदारों को रजिस्ट्रेशन और लीज डीड में ज्यादा स्टाम्प शुल्क देना होगा. कानूनी मामलों में दस्तावेज तैयार करवाना अब महंगा हो सकता है. व्यवसायियों और कंपनियों को साझेदारी अनुबंध और एमओयू बनवाने में अधिक खर्च उठाना पड़ेगा.

सरकार का पक्ष
राजस्व विभाग का कहना है कि इससे सरकारी आय बढ़ेगी, जिससे राज्य में बुनियादी ढांचे, डिजिटल सेवाओं और प्रशासनिक सुधारों में निवेश किया जा सकेगा. साथ ही फर्जी दस्तावेजों और कम कीमत वाले स्टाम्प पेपर के दुरुपयोग पर भी रोक लगेगी.

स्टाम्प शुल्क में यह संशोधन एक ओर जहां सरकारी राजस्व को बढ़ावा देगा, वहीं दूसरी ओर आम जनता के लिए दस्तावेज तैयार करवाना महंगा हो जाएगा. खासकर छात्रों, छोटे व्यापारियों और कानूनी दस्तावेजों पर निर्भर लोगों को अतिरिक्त खर्च उठाना पड़ सकता है. फिर भी, सरकार का मानना है कि यह कदम दस्तावेजों की ट्रांसपेरेंसी और ऑथेंटिसिटी को सुनिश्चित करने की दिशा में जरूरी कदम है