कायाकल्प: फाइनल असेसमेंट के नंबर का पता नहीं एनएक्यूएएस की तैयारियों की सलाह
सतना | जिला अस्पताल में गुरुवार को कायाकल्प का फाइनल असेसमेंट किया गया। तीन सदस्यीय दल ने पूरे चिकित्सालय का निरीक्षण किया और स्टाफ के साथ मीटिंग की। टीम किस लिए आई है और कायाकल्प क्या होता है ऐसे सवाल अस्पताल में स्टाफ से किए गए। जिससे जो बना अपनी बाते उनके सामने रखी। इधर दल में आए असेसर दीवारों में हाथ मार धूल तलाशने का भी काम किया पर पहले से ही पूरी चाक चौबंद तैयारी प्रबंधन द्वारा की गई गई थी। चलते-चलते सिविल सर्जन के इंतजाम को बेहतर बता गए और कायाकल्प के बाद अब एनक्यूएएस में जुट जाने के लिए अपर संचालक पंकज शुक्ला ने सलाह दी है। बहरहाल सतना को कायाकल्प मिलेगा या नहीं ये तो नंबर बताएंगे जो गोपनीय हैं।
चकाचक रही ओपीडी, डाक्टर भी मौजूद
मीटिंग हाल के बाद तीनों अधिकारी ओपीडी पहुंचे जहां सभी चेम्बरों में डाक्टर मौजूद रहे और मरीजों का उपचार करते पाए गए। आमतौर पर ऐसे नजारे जिला अस्पताल में कम ही देखने को मिलते हैं लेकिन गुुरुवार को व्यवस्था दुरुस्त पाई गई। ओपीडी को हाल ही में संवारा गया है। मरीजों के रजिस्टर देख यह भी सवाल किए गए कि इन दिनों डीएच की ओपीडी क्या है? लिहाजा सीएस ने बताया कि कोविड काल के बाद अब हजार के पार ओपीडी रोजाना की जाने लगी है। वहीं दवाईयों की वितरण व्यवस्था जानी गई, वहां मौजूद कर्मचारियों से पंकज शुक्ला ने पूछा कि उनके पास कितनी दवाईयां हैं और किस किस मर्ज की मेडिसिन रहती है।
जिला अस्पताल के लेवर रूम का निरीक्षण किया गया, वहां पहुंच कितनी डिलेवरी हुई और क्या-क्या इंतजाम हैं रोजाना सीजर के कितने केस होते हैं? इन सब की पूछताछ के बाद लेवर ओटी पहुंचे जहां प्रसूती चिकित्सक डा. रेखा त्रिपाठी आॅपरेशन कर रही थी लिहाजा टीम का कोई भी सदस्य अंदर नहीं गया। वहां से निकलने के बाद आईसीयू एवं एसएनसीयू पहुंचे वहां मौजूद स्टाफ से बातचीत कर जानकारी ली और यह देखा गया कि दोनो वार्डो की क्षमता क्या है और यहां मरीज कितने भर्ती किए गए? हालांकि किसी भी व्यवस्था पर कमियां तो नहीं निकाली और बेहतर इंतजाम दस्तावेजों का संधारण अच्छा है कह कर चले गए। सिविल सर्जन व अन्य स्टाफ को अपर संचालक ने यह भी सुझाव दिए कि अब नेशनल क्वालिटी एंश्योरेंस पर ध्यान दिया जाए।
जब आ गई भोजन की ट्राली
आईसीयू से कायाकल्प का दल बाहर निकला ही था कि किचन से खाने की ट्राली आ गई। लिहाजा भोजन का परीक्षण किया गया, चम्मच से दाल, सब्जी निकाल कर देखी गई। रोटियां भी देखी गर्इं। इसके बाद स्टाफ से यह भी पूछा गया कि आखिर वितरण की व्यवस्था कैसे की जाती है? बाहर निकल टीम किचन में पहुंची वहां खाना कैसे बनाते हैं? खाने को हाथ लगाने के पहले क्या करते हैं? सारी जानकारी तलब की गई। इसके अलावा ड्रग स्टोर, नैदानिक केन्द्र, कोविड वार्ड का भी निरीक्षण किया गया।
सुबह 10 बजे पहुंची टीम
कायाकल्प की तीन सदस्यीय टीम गुरुवार की सुबह 10 बजे जिला अस्पताल पहुंची जिसमें अपर संचालक पंकज शुक्ला, विवेक मिश्रा व एक और अधिकारी मौजूद रहे। सबसे पहले सिविल सर्जन ने इनका स्वागत किया और औपचारिकता पूरी होने के बाद अस्पताल के मीटिंग हाल में स्टाफ के साथ दल रूबरू हुआ। मीटिंग में सभी वार्ड प्रभारी, स्टाफ नर्स व डाक्टरर्स मौजूद थे। मीटिंग में परिचय के बाद ही पंकज शुक्ला ने सबको वार्ड में पहुंचने को कहा। वार्ड में पहुंच एक-एक कर दस्तावेजों सहित व्यवस्थाओं का जायजा लिया गया। स्टाफ नर्स व मेडिकल अमले से कायाकल्प क्या हेै और इसमें क्या-क्या जरूरी है इसकी जानकारी मांगी गई।