International Literacy Day 2025: डिजिटल युग में साक्षरता की भूमिका

अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस 2025 की थीम है "डिजिटल युग में साक्षरता को बढ़ावा देना"।इसका उद्देश्य वैश्विक स्तर पर साक्षरता के महत्व को समझाना और लोगों को पढ़ने-लिखने के लिए प्रेरित करना है।

International Literacy Day 2025: डिजिटल युग में साक्षरता की भूमिका
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International Literacy Day 2025: आज दुनिया भर में साक्षरता दिवस मनाया जा रहा हैं. इस बार अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस 2025 की थीम है 'डिजिटल युग में साक्षरता को बढ़ावा देना'. भारत भी अंतराष्ट्रीय साक्षरता दिवस मना रहा है लेकिन क्या आप जानते है की अंतराष्ट्रीय साक्षरता दिवस क्यों मनाया जाता हैं? और इसकी जरुरत क्यों पड़ी?

साक्षरता है क्या? 

साक्षरता शब्द साक्षर से बना है. जिसका मतलब होता हैं "जिसे अक्षरों का ज्ञान हो या समझ हो". साक्षरता और शिक्षित होने में अंतर होता हैं. शिक्षित उसे कहते हैं जिसे किताबी ज्ञान के साथ-साथ व्यावहारिक, सामाजिक और भावनात्मक ज्ञान भी हो और वह उसका उपयोग समाज व अपने जीवन को बेहतर बनाने के लिए करता हो. जबकि साक्षरता का अर्थ सिर्फ शब्दों भाषाओं की समझ और लिखने पढ़ने से है. 

साक्षरता दिवस क्यों मनाया जाता हैं?

साक्षरता दिवस मानाने का लक्ष्य ज्यादा से ज्यादा लोगों को साक्षर बनाने से है. लोग साक्षर होते है तो देश के विकास और प्रगति में मदद करते हैं साथ ही खुद के व्यक्तिगत विकास और समझ के लिए भी साक्षरता जरुरी है. 

1965 में ईरान की राजधानी तेहरान में शिक्षा मंत्रियों का विश्व सम्मेलन आयोजित किया गया, जिसका उद्देश्य निरक्षरता उन्मूलन था. इसी सम्मेलन से वैश्विक स्तर पर साक्षरता को बढ़ावा देने का विचार सामने आया. जिसके परिणामस्वरूप, यूनेस्को ने 1966 में अपने 14वें आम सम्मेलन में 8 सितंबर को आधिकारिक रूप से अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस घोषित किया. और तब से आज तक हर 8 सितम्बर को अंतराष्ट्रीय साक्षरता दिवस मनाया जाता है.

 भारत में साक्षरता का स्तर

1947 में देश में साक्षरता दर मात्र 18% थी. 1947 के बाद से देश में साक्षरता का स्तर बढ़ा हैं. PLFS की  2023-24 रिपोर्ट के अनुसार भारत में कुल साक्षरता दर लगभग 80.9% है. जिसमें पुरुष साक्षरता दर 87.2% और महिला साक्षरता दर 74.6% है. हालांकि ग्रामीण इलाकों में साक्षरता दर अभी भी कम हैं.