पुलिस के हत्थे चढ़ते ही वैध हो गई 13 लाख की सिगरेट

सतना | स्टेट और सेन्ट्रल जीएसटी महकमें द्वारा कर चोरों के खिलाफ की जा रही ताबड़तोड़ कार्रवाई के बाद भी नबंर दो के माल के इधर से उधर होने में रोक नहीं लग पा रही। लोग बिना बिल के माल मंगा रहे हैं और पकड़े जाने पर या तो कोई रास्ता निकाल लेते हैं अथवा उस ट्रिप में बनने वाला कर जमा कर देते हैं। ऐसा ही एक मामला गुरुवार को सामने आया जहां सतना से यूपी भेजी जा रही करीब 13 लाख की सिगरेट पुलिस की पकड़ में आते ही वैध हो गई। हालांकि जानकारी मिलते ही राज्यकर विभाग के अधिकारी मौके पर पहुंचे भी पर इसके पहले ही विभाग के पोर्टल में ई-वे बिल जनरेट होने के चलते चाहकर भी कार्रवाई नहीं कर सके।

ऐसे पुलिस ने पकड़ा माल
कोलगवां पुलिस ने गुरुवार दोपहर मुखबिर से मिली सूचना के आधार पर सेमरिया चौक में जांच के दौरान रीवा की ओर जा रही इनोवा कार क्रमांक एमपी 19 सीबी 0673 को पकड़ा। कार के अंदर से गोल्ड फ्लैक सिगरेट से भरे 12 कार्टन बरामद किये गये। इस दौरान पुलिस को कोई वैध दस्तावेज नहीं दिखाए गये। पुलिस ने सीआईपीसी की धारा 102 के तहत प्रकरण दर्ज करते हुए कार व माल कीजप्ती बनाते हुए राजेन्द्रनगर सतना गली नंबर 3 निवासी गौरव गुप्ता पुत्र संदीप गुप्ता 19 साल को आरोपी बनाया है। पुलिस मामले की जांच कर रही है।

यूं चला अवैध से वैध का खेल
सूत्रों का कहना है कि आईटीसी की गोल्ड फ्लैक सिगरेट राजेन्द्र नगर में फर्म चलाने वाले कम्पनी के डीलर सचिन गुप्ता द्वारा प्रयागराज भेजी जा रही थी। माल के साथ कोई दस्तावेज नहीं थे। यहां तक कि  एक स्थान से दूसरे स्थान के लिये माल भेजने पर कटने वाला जीएसटी का  ई-वे बिल भी नहीं भरा गया था। बताते हैं कि जैसे ही पुलिस ने कार पकड़ी उसके 10 मिनट के अंदर ही कारोबारी द्वारा ई-वे बिल जनरेट कर दिया गया। पुलिस द्वारा पौने 12 बजे के करीब कार पकड़ना बताया जा रहा है जबकि बिल 11.50 बजे के करीब जनरेट हुआ है। पता चला है कि कार और भारी मात्रा में सिगरेट पकड़े जाने की जानकारी के बाद राज्यकर विभाग के इन्टी इवेजन ब्यूरो के अधिकारी भी कोतवाली गये थे। वे कोतवाली परिसर करीब सवा 1 बजे के करीब पहुंचे और नियम के अनुसार सिगरेट लोड कार का नंबर जीएसटी पोर्टल में डालकर सर्च किया तो इ-वे बिल जनरेट मिला लिहाजा परिवहन वैध हो जाने के कारण उनके पास वापस लौटने के अलावा कोई चारा ही नहीं बचा ता। सूत्रों का कहना है कि ई-वे बिल में दर्ज राशि के अनुसार यह माल 12 लाख से अधिक का है।

कुछ इस तरीके से हो रही कर चोरी
सूत्रों का कहना है कि सतना में तीन से चार बड़े कारोबारी हैं जो बाहर से सिगरेट व पान मशाला आदि मंगाते हैं। आने वाला आधे से अधिक माल अभी भी नंबर दो में ही आता है। यह अलग बात है कि कभी जब राज्यकर विभाग की टीमें जांच करती है तो यातो इ-वे बिल जनरेट हो जाता है और यदि संभव न हुआ तो टैक्स भर देते हैं। गुरुवार को पकड़ा गया माल तो उसके अवैध से वैध होने की कहानी भी कुछ ऐसी ही है। कहा तो यहां तक जाता है कि कारोबारी सचिन गुप्ता द्वारा पूर्व में अक्सर राज्यकर और सेन्ट्रल जीएसटी अधिकारियों से नबंर दो का माल सतना आने की शिकायत की जाती रही है पर डेढ़ साल पहले उनके यहां सेन्ट्रल जीएसटी टीम द्वारा मारी गई रेड और लाखों की राशि जमा होने के बाद उनकी शिकायतें बंद हो गईं थी। यह भी पता चला है कि मुख्यरूप से सतना में बाहर से माल आता है पर सेल के भारी भरकम टार्गेट के चलते अंडर कटिंग का खेल भी चल रहा है।