हाईकोर्ट ने लगाई फटकार: सिर्फ चपरासी के भरोसे कैसे चल रहे सरकारी अस्पताल
जबलपुर। मध्यप्रदेश हाई कोर्ट ने इस बात पर आश्चर्य जताया कि असंगठित क्षेत्र के मजदूरों के इलाज के लिए संचालित राज्य के ज्यादातर अस्पतालों का संचालन महज चपरासियों के भरोसे कैसे किया जा रहा है? हाई कोर्ट की युगलपीठ ने इस सिलसिले में केंद्र शासन, श्रम एवं रोजगार मंत्रालय, महानिदेशक, श्रम एवं रोजगार, नई दिल्ली और श्रम कल्याण आयुक्त, जबलपुर को नोटिस जारी किए गए हैं।
जनहित याचिकाकर्ता जबलपुर निवासी सामाजिक कार्यकर्ता की ओर से अधिवक्ता ने वीडियो कॉफ्रेंसिंग के जरिए पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि प्रदेश के असंगठित क्षेत्र के मजदूरों विशेषकर बीड़ी कामगार व माइनिंग फील्ड की लेबर कोरोना काल में खतरे में हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि इनके इलाज के लिए संचालित अस्पताल भगवान भरोसे हैं। इन अस्पतालों में नियमानुसार चिकित्सक व स्टाफ के अलावा आवश्यक संसाधनों का अभाव परिलक्षित हो रहा है।
जहां चिकित्सक हैं भी तो उनकी ड्यूटी एक साथ आसपास के दो से अधिक अस्पतालों में लगा दी गई है। वहीं सिर्फ चपरासियों द्वारा मरीजों की देखभाल की जाती है। इससे जान को खतरा बना हुआ है। ऐसा इसलिए भी क्योंकि इन अस्पतालों में पीपीई किट, मास्क व सैनिटाइजर तक नदारद हैं। यह हाल बेहद चिंताजनक है। मजदूरों को इलाज के लिए उचित सुविधा की दरकार है। सरकार को इस दिशा में समुचित गंभीरता बरतनी चाहिए। इसके अभाव में जान का जोखिम उठाना पड़ रहा है। पूर्व में भी ऐसा मामला हाई कोर्ट आ चुका है। नोटिस भी जारी हुए किंतु कोई ठोस कार्रवाई नदारद है। उससे मनमानी का अंदाजा लगाया जा सकता है।
 
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