MP NEWS : आदिवासी समाज की पहली शादी, जिसमें दहेज-दापा, शराब का उपयोग नहीं

झाबुआ जिले में सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ पुलिस की ओर से चलाए जाने वाले अभियान को अब कामयाबी मिलने लगी है। झाबुआ जिले के ग्राम सुरडिया निवासी सायबा मेड़ा ने अपनी बेटी राधा की शादी दहेज-दापा, शराब और डीजे का उपयोग किए बिना की है।

MP NEWS : आदिवासी समाज की पहली शादी, जिसमें दहेज-दापा, शराब का उपयोग नहीं
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गुरेन्द्र अग्निहोत्री,भोपाल. मध्यप्रदेश के झाबुआ जिले में सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ पुलिस की ओर से चलाए जाने वाले अभियान को अब कामयाबी मिलने लगी है। झाबुआ जिले के ग्राम सुरडिया निवासी सायबा मेड़ा ने अपनी बेटी राधा की शादी दहेज-दापा, शराब और डीजे का उपयोग किए बिना की है। खास बात यह कि मेड़ा ने इस शादी में जिले में अभियान चलाने वाले झाबुआ एसपी पद्मविलोचन शुक्ला को भी आमंत्रित किया था। यह शादी 11 अप्रैल 2025 को दी थी। शादी में शुक्ला ने बाकायदा शिरकत की और उसके बाद मेड़ा को प्रशस्ति पत्र और शुभकामना संदेश भी भेजा है। एसपी ने शुभकामना संदेश में लिखा, आपने अपनी पुत्री राधा का विवाह दहेज-दापा, शराब और डीजे का उपोयग किए बिना किया है। शादी में मुझे आमंत्रित किया था। मैं अत्यंत सौभाग्यशाली और प्रसन्नचित्त महसूस कर रहा हूं कि झाबुआ पुलिस द्वारा सामाजिक कुरीतियों को दूर करने के लिए चलाए जाने वाले अभियान को समाज आत्मसात कर रहा है। मैं संपूर्ण पुलिस विभाग की ओर से आपकी पुत्री राधा के उज्जवल भविष्य की कामना करता हूं। दरअसल एसपी ने चौपाल लगाकर स्थानीय लोगों को इसको लेकर जागरूक किया था। उन्होंने यह भी कहा था कि जो भी व्यक्ति बिना शराब, डीजे और दहेज-दापा (दहेज देने को आदिवासी दहेज दापा कहते हैं) के शादी करेंगे, मैं उनकी शादी के निमंत्रण में जरूर आऊंगा। उसी वादे के हिसाब से वे शादी में शामिल हुए।

सर्वे में पता चला, आदिवासी खुद समाज के दुश्मन

एसपी की माने तो पुलिस ने जिले में दर्ज होने वाले अपराधों को लेकर एक सर्वे कराया था, जिसमें यह तथ्य सामने आया कि खुद आदिवासी अपने समाज के दुश्मन बने हुए हैं। ऐसा इसलिए कि उनमें शिक्षा का अभाव है। खासतौर पर बालिका शिक्षा का स्तर तो बिल्कुल नीचे है। शिक्षित नहीं होने के कारण अंविश्वास को बढ़ावा मिलता है। इससे सामाजिक कुरीतियां दूर होने की बजाय बढ़ती जा रही हैं। जिले में सबसे ज्यादा अपराध अपहरण के होते हैं। इनमें बालिकाओं (किशोरियों) की संख्या सबसे ज्यादा है। पुलिस का 5मानना है कि इन सबका निदान शिक्षा है। अगर बालिकाएं शिक्षित होंगी, तो अपराधों में कमी आएगी। खासतौर पर अपरहण जैसी घटनाएं तो बिल्कुल कम हो जाएंगी। इसलिए पुलिस ने जिले के ग्रामीणों के बीच शिक्षा को बढ़ावा देने पर जोर दे रही है।

समाज को अपराध मुक्त बनाने की दिशा में सरपंच और तड़वी को साथ लेकर काम कर रही पुलिस

समाज को अपराध मुक्त बनाने की दिशा में झाबुआ पुलिस ने शिक्षा और स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के साथ गांवों में व्याप्त कुरीतियों को दूर करने का बीड़ा उठाया है। यह काम पुलिस सरपंच और तड़वी को साथ लेकर कर रही है। दोनों कुरीतियां दूर करने के लिए पुलिस के कंधे से कंधा मिलाकर आगे बढ़ रहे हैं। तड़वी खुद मानते हैं कि हमारे समाज से अंधविश्वास और कुरीतियां दूर हो जाएं, तो अपराधों में 50 फीसदी से ज्यादा की कमी आ जाएगी। पुलिस ने ग्रामीणों को बालिका शिक्षा को बढ़ावा देने और अपराध जैसी घटनाओं पर अंकुश लगाने का संकल्प दिलाया है। संकल्प लेने के बाद ग्रामीणों ने दिशा में आगे बढऩे का फैसला किया है। इस पहल की शुरुआत झाबुआ के एसपी पद्म विलोचन शुक्ला ने की है। शुक्ला खुद ग्रामीणों के बीच जाते हैं, लेकिन कुरीतियों से लड़ने के लिए सरपंच और तड़वी को भी आगे कर रहे हैं। सरपंच पंचायत के चुने हुए प्रतिनिधि होते हैं और तड़वी आदिवासियों की भाषा में समाज प्रमुख यानी समाज की अगुवाई करने वाले सख्श को कहते हैं।

 व्यक्ति को कर्ज के रास्ते पर ले जा रहे दहेज, शराब और डीजे 

पुलिस की ओर से कराए गए सर्वे में यह तथ्य निकल कर आए कि समाज में दहेज प्रथा हावी है। शादियों में शराब का सेवन और डीजे का प्रयोग बड़े पैमाने पर होता है। पुलिस ने यह महसूस किया कि अगर इस सामाजिक बुराई से समाज के लोगों को छुटकारा मिल जाए, तो इससे उनकी आर्थिक सेहत मजबूत होगी। लोग शिक्षित होंगे और अपराधों में भी कमी आएगी। एसपी ने चौपाल लगाकर आदिवासी समाज के लोगों से अपील करते हुए कहा, दहेज, शराब और डीजे तीनों ऐसे विषय हैं, जो व्यक्ति को कर्ज के रास्ते पर ले जाते हैं। उन्होंने शासन के आदेश का हवाला देते हुए कहा कि अब डीजे पर पूरी तरह से प्रतिबंध है। यदि कोई व्यत्चि इस नियम का पालन नहीं करता है, तो उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज होगा। दहेज देना भी अपराध है और शराब का सेवन खुद के शरीर के लिए नुकसान देय है।