जंग लगी सरिया से बन रहा 37 लाख का नाला

सतना | नगर निगम का छोटा - बड़ा कोई भी काम हो और उसमें भ्रष्टाचार न हो यह संभव नहीं है। सड़क से लेकर नाली निर्माण तक सभी कार्य भ्रष्टाचार की भेंट चढ़े हुए हैं। हद तो तब होती है जब निर्माण कार्य निगम के जिम्मेदारों के नाक के नीचे हो और वह भी भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाए। ऐसा ही एक मामला वार्ड क्रमांक 4 में सामने आया है जिसमें नाले के निर्माण में जंग लगी सरिया का उपयोग किया जा रहा है।

सबसे बड़ी बात तो यह है कि जिस स्थान पर नाले का निर्माण कराया जा रहा है उसी जगह पर नगर निगम के एसडीओ आरपी सिंह का आवास है तो उससे कुछ ही दूरी पर निगम के कार्यपालन यंत्री योगेश तिवारी का आवास। निगम के दो जिम्मेदारों के आवास से महज कुछ ही फासले पर बन रहे नाले के निर्माण में बरती जा रही लापरवाही समझ से परे है। बहरहाल 600 मीटर लम्बे नाले की लागत 37 लाख रूपए है। अब देखना यह है कि 37 लाख रूपए की लागत से नाला बना रहे संविदाकार के शिवबहादुर के घटिया निर्माण कार्य की जांच कराकर कार्रवाई की जाती है या फिर यूं ही भ्रष्टाचार की बुनियाद पर नाला खड़ा हो जाएगा। 

सीमेंट भी घटिया  
नाले के निर्माण में किस तरह का भ्रष्टाचार किया जा रहा है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि निर्माण कार्य के लिए बनने वाले मसाले में उपयोग होने वाली सीमेंट अत्यंत घटिया किस्म की है। निगम के जिम्मेदार अधिकारियों के नाक के नीचे ही सारा खेल चल रहा है। इसके बावजूद सबकुछ जानकार अंजान बने जिम्म्दारों का एक ही रटा- रटाया जबाव है कि निर्माण कार्य में गड़बडीÞ नहीं हो सकती है फिर भी दिखवाता हूं। 

बचाव में ईई, इंजीनियर ने कहा- दिखवाता हूं
नाले के निर्माण में ठेकेदार द्वारा जंग लगी सरिया के उपयोग किए जाने की बात पर नगर निगम के कार्यपालन यंत्री जहां ठेकेदार का बचाव करते नजर आए वहीं वार्ड के इंजीनियर ने इस मामले को दिखवाने की बात कही। सवाल यह है कि जब निर्माण कार्यों की लगातार मॉनीटरिंग की जाती है तो फिर मौके पर इस तरह के निर्माण कार्य हो कैसे जाते हैं। 

नाले के निर्माण कार्य की लगातार मॉनीटरिंग की जा रही है। नाले के निर्माण में जंग लगी सरिया का उपयोग नहीं किया जा रहा है किसी ने साजिशन जानकारी दी है, फिर भी मौके पर जांच की जाएगी। 
योगेश तिवारी, ईई