PWD विभाग में अफसर-ठेकेदार-राजनीतिक गठजोड़ का खुलासा, EOW में हुई शिकायत
रीवा के लोक निर्माण विभाग (विद्युत यांत्रिकी) में बड़े पैमाने पर वित्तीय अनियमितताओं का मामला सामने आया है। सामाजिक कार्यकर्ता बी.के. माला द्वारा आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ में की गई शिकायत के अनुसार, कार्यपालन यंत्री विनय श्रीवास्तव सहित अधिकारियों ने चहेते ठेकेदारों को अनुचित लाभ पहुंचाने के लिए टेंडर प्रक्रिया में गंभीर गड़बड़ियां कीं। टेंडर राशि नियमों के विरुद्ध 231% तक बढ़ाई गई, तकनीकी स्वीकृति और गुणवत्ता जांच के बिना भुगतान कर दिए गए।

रीवा। लोक निर्माण विभाग (विद्युत यात्रिकी) से अनियमितता का एक मामला उजागर हुआ है जिसकी शिकायत आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ में हुई है, जिनमें अफसर-ठेकेदार गठजोड़ के साथ-साथ राजनीतिक दबाव की बू भी साफ आ रही है।
शिकायतकर्ता और सामाजिक कार्यकर्ता बी.के. माला ने गंभीर आरोप लगाए हैं कि कार्यपालन यंत्री विनय श्रीवास्तव सहित विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों ने अपने चहेते ठेकेदारों को अनुचित लाभ पहुंचाने के लिए टेंडर प्रक्रिया, दर निर्धारण, भुगतान प्रक्रिया सभी को औपचारिकता बनाकर रख दिया।
कुछ मामलों में टेंडर राशि को नियमों के खिलाफ 231 प्रतिशत तक बढ़ा दिया गया। इतना ही नहीं, बिना तकनीकी स्वीकृति, बिना गुणवत्ता परीक्षण और बिना अद्यतन बैंक गारंटी के कार्यों का भुगतान भी कर दिया गया।
यह भी आरोप है कि कई ऐसे ठेकेदार हैं जिन्हें बार-बार टेंडर देकर करोड़ों का लाभ पहुंचाया गया है, जिसके दस्तावेजी प्रमाण उपलब्ध होने का दावा किया गया है। सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत प्राप्त दस्तावेजों में यह भी कुछ जगह उल्लेख किया गया है विधायक राजेंद्र शुक्ला के निर्देश पर ऐसा किया गया है।
इस पर सवाल उठाया गया है कि जनप्रतिनिधि ने यदि कहीं कार्य की आवश्यकता के अनुसार राशि बढ़ाने की बात कही है तो उसका गलत तरीके से फायदा उठाते हुए 80 गुना तक बढ़ा दिया गया है। वही प्राप्त शिकायत के अनुसार नेशनल ट्रेडर्स नामक फर्म को दिए गए करहिया मार्ग के एक कार्य की मूल टेंडर राशि ₹23 लाख थी, जिसे पुनरीक्षित करते हुए 231.99 प्रतिशत तक बढ़ाया गया, लेकिन बैंक गारंटी में कोई समायोजन नहीं किया गया।
इसी फर्म को एक अन्य कार्य समान तिराहा से रेलवे मोड़ तक के लिए ₹307 करोड़ का टेंडर दिया गया, जिसे कई बार संशोधित कर ₹497 करोड़ तक पहुंचा दिया गया। यहां गंभीर बात यह है कि निर्माण कार्य 10% से अधिक पुनरीक्षण की स्थिति में पुनः तकनीकी अनुमोदन व गारंटी की आवश्यकता होती है, जो स्पष्टतः नहीं की गई।
आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ रीवा के अलावा शासन स्तर पर भी शिकायत प्रेषित की जाकर उच्चस्तरीय जांच एवं भ्रष्टाचार में लिप्त व्यक्तियों के विरुद्ध आपराधिक प्रकरण दर्ज कराए जाने की मांग की गई है।
शिकायती आवेदन में लेख है कि सचिव म.प्र. शासन लोक निर्माण विभाग भोपाल द्वारा प्रमुख अभियंता को जारी किए गए पत्र क्रमांक 1993 दिनांक 29 जुलाई 2019 के अनुसार प्रशासकीय स्वीकृति में प्रावधानित राशि से किसी भी स्थिति में अधिक व्यय पर प्रतिबंध है।
किन्तु ईएण्डएम रीवा डिवीजन आफिस में सभी निर्देशों-आदेशों को ताक में रख कर कार्य कराया गया। नक्शा और गुणवत्ता रिपोर्ट भी नहीं उपलब्ध शिकायतकर्ता ने सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत जानकारी मांगी तो विभाग ने जवाब में कहा कि उनके पास न तो कार्य के नक्शे हैं, न ही गुणवत्ता परीक्षण के प्रमाण ।
यह उत्तर स्वयं इस पूरे तंत्र पर सवालिया निशान लगा रहा है,कि आखिर बगैर नक्शे और परीक्षण रिपोर्ट के कार्य स्वीकृत और भुगतानित कैसे किए जा सकते हैं?
ऐसे हुआ फर्जीवाडा
समान तिराहा फ्लाईओवर से ज्योति स्कूल मोड़ तक ₹1.07 करोड़ की योजना को बढ़ाकर ₹1.56 करोड़ कर दिया गया। वही शांति विहार से जेपी मोड़ पहरा तक हुए कार्य में विधायक निधि से ₹16 लाख के भुगतान को लेकर भी घोटाले के आरोप।गुप्ता पेट्रोल पंप से करहिया मंडी तक 23 लाख का टेंडर था. जिसे पुनरीक्षित कर अलग-अलग किस्तों में 231.99 प्रतिशत तक बढ़ोतरी की गई।
जबकि यह टेंडर 41 हुआ प्रतिशत बिलो रेट पर स्वीकृत था। पुनरीक्षण के बाद बैंक गारंटी अतिरिक्त नहीं बढ़ाई गई। साथ ही रामपुर, मनिकवार,सीतापुर, सहित कई क्षेत्रों में लाइन शिफ्टिंग कार्यों में भारी अनियमितताएं।
बैंक गारंटी में भी खेल
शिकायत में कहा गया है कि पहले कम कार्यदायरे में टेंडर निकालकर, कम बैंक गारंटी ली गई। बाद में कार्य की लागत बढ़ा दी गई, लेकिन बैंक गारंटी नई लागत के अनुपात में संशोधित नहीं की गई। इस प्रक्रिया से शासन को करोड़ों की आर्थिक क्षति का सामना करना पड़ा।