संक्रमण की शिकार हैं ज्यादातर एम्बुलेंस
रीवा | घायलों को मौके पर मदद पहुंचाने वाली 108 एंबुलेंस खुद संक्रमण का शिकार है। एंबुलेंस को संक्रमण मुक्त नहीं किया जा रहा है। वाहनों को कीटाणु रहित करने के लिए फिनाइल व फार्मेलिन केमिकल तक नहीं है। फिनाइल सप्लाई और सफाई को लेकर एंबुलेंस कर्मचारी और उन्हीं के अधिकारी एक-दूसरे पर दोषारोपण कर रहे हैं। उधर संक्रमित एंबुलेंस से अस्पताल पहुंचने वाले मरीजों पर संक्रमण का खतरा मंडरा रहा है।
108 एंबुलेंस से कई बार ऐसे मरीजों को अस्पताल पहुंचाया जाता है, जिन्हें हैपेटाइटस बी,सी जैसी खतरनाक संक्रामक बीमारियां होती हैं। घायल के घाव से एंबुलेंस में खून बहता रहता है। एक्सीडेंट में घायल मरीज से इन बीमारियों के फैलने का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे में हर बार घायलों को अस्पताल शिफ्ट करने के बाद वाहनों में फैला ब्लड साफ करने के लिए तय केमिकल से सफाई करने का नियम है। इसके बाद भी एंबुलेंस को संक्रमण रहित करने की प्रक्रिया नहीं हो पा रही है। वजह यह है कि एंबुलेंस को संक्रमण से बचाने के लिए फिनाइल व फार्मेलिन की सप्लाई नहीं हो रही है। इसी के चलते जिले की 23 एम्बुलेंस संक्रमित हो चुकी हैं।
नियम है कि 108 एम्बुलेंस पर मदद के लिए जब भी कोई भी केस आता है, तो मरीजों को अस्पताल शिफ्ट करने के बाद तत्काल ईएमटी और पायलट को गाड़ी साफ करना पड़ती है। इसके लिए हर एंबुलेंस में प्लास्टिक की बॉल्टी, कपड़ा, फिनाइल इत्यादि सामग्री होना चाहिए। एंबुलेंस में यदि खून या संक्रमण ज्यादा है, तो उसे 108 के सर्विस सेंटर से भी साफ करा सकते हैं। इसके लिए किसी की परमिशन की जरूरत नहीं है। सिर्फ जानकारी देना होती है।
नहीं मिलता सफाई वाला केमिकल
जिले की 108 एम्बुलेंस की कभी सफाई नहीं होती है। ईएमटी व पायलट खुद ही ज्यादा ब्लड लग जाने की दशा में पानी से हल्की-फुल्की सफाई कर लेते हैं। ऐसे में सभी एम्बुलेंस में खतरनाक किटाणु रहता है। जिससे मरीज समेत स्टाफ पर संक्रमण फैलने का खतरा मडराता रहता है। जबकि एमबुलेंस को हर केस के बाद फिनायल एवं फार्मेलिन जैसे केमिकल से साफ करना पड़ता है। लेकिन 108 एम्बुलेंस स्टाफ के मुताबिक कभी भी ये केमिकल मुख्यालय से उनको उपलब्ध नहीं कराया जाता है, जिसके चलते सधारण पानी से ही उसे धोना पड़ता है।
12 घंटे एंबुलेंस को बंद रखना जरूरी
विशेषज्ञों का कहना है कि एंबुलेंस को माह में एक-दो बार फार्मेलिन या दूसरे केमिकल से संक्रमण मुक्त किया जाना चाहिए। इसके लिए कम से कम 12 घंटे तक वाहन को पूरी तरह से बंद रखा जाता है, ताकि बैक्टीरिया और फंगस नष्ट हो सकें। यही बैक्टीरिया और फंगस आने वाले मरीजों के लिए परेशानी का सबब बनते हैं। एंबुलेंस से मिला संक्रमण कितना घातक होता है इसका किसी को अंदाजा नहीं होता। 
 
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