देवउठनी एकादशी से शुरू हो रहे शादी-ब्याह के मौसम में बाल विवाहों पर रहेगी प्रशासन की कड़ी नजर: अहिंसा वेलफेयर सोसाइटी

देवउठनी एकादशी से आरंभ हो रहे विवाह सत्र को देखते हुए बाल विवाहों की रोकथाम के लिए जिला प्रशासन पूरी तरह सतर्क हो गया है.

देवउठनी एकादशी से शुरू हो रहे शादी-ब्याह के मौसम में बाल विवाहों पर रहेगी प्रशासन की कड़ी नजर: अहिंसा वेलफेयर सोसाइटी
पब्लिक वाणी

देवउठनी एकादशी से आरंभ हो रहे विवाह सत्र को देखते हुए बाल विवाहों की रोकथाम के लिए जिला प्रशासन पूरी तरह सतर्क हो गया है. गैर-सरकारी संगठन अहिंसा वेलफेयर सोसाइटी और समग्र जन चेतना विकास परिषद के संयुक्त प्रयासों से जिला कलेक्टर ने महिला एवं बाल विकास विभाग, पुलिस और अन्य संबंधित विभागों की बैठक बुलाकर डिस्ट्रिक्ट टास्क फोर्स और जिला कार्य बाल इकाई का गठन किया है.

संगठन ने जिला प्रशासन को भेजे पत्र में अपील की है कि बाल विवाह की कोई भी घटना प्रशासन की जानकारी से ओझल न रहे और तत्काल कार्रवाई की जाए. साथ ही, आम नागरिकों से भी आग्रह किया गया है कि अगर उन्हें किसी संभावित बाल विवाह की सूचना मिले तो तुरंत पुलिस हेल्पलाइन (112), चाइल्ड हेल्पलाइन (1098) या स्थानीय थाने को सूचित करें.

2030 तक बाल विवाह मुक्त जिला बनाने का लक्ष्य

अहिंसा वेलफेयर सोसाइटी, जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन (JRC) के सहयोग से, ‘चाइल्ड मैरेज फ्री इंडिया’ अभियान के तहत जिले को वर्ष 2030 तक बाल विवाह मुक्त बनाने के लिए कार्य कर रही है. JRC देश के सबसे बड़े बाल अधिकार नेटवर्क में से एक है, जो अपने थ्री-पी मॉडल- प्रोटेक्शन, प्रिवेंशन और प्रॉसिक्यूशन के ज़रिए बाल विवाह के खिलाफ संघर्षरत है.

सतर्क रहें – सरपंच, आंगनवाड़ी और स्कूलों को दिए जाएंगे निर्देश

संगठन ने प्रशासन से आग्रह किया है कि सभी सरपंच, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, और पुलिस को अतिरिक्त सतर्कता बरतने के निर्देश दिए जाएं. गांवों और स्कूलों में जागरूकता अभियान तेज़ किया जाएगा, साथ ही धार्मिक नेताओं से भी अपील की गई है कि वे अपने समुदायों में इस दिशा में जागरूकता फैलाएं.

अहिंसा वेलफेयर सोसाइटी के निदेशक सुमित सिंह ने कहा 

“सुप्रीम कोर्ट ने 2024 के अपने ऐतिहासिक फैसले में जिलों को बाल विवाह रोकने के लिए सतर्क रहने के निर्देश दिए हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ उन्हीं दिशानिर्देशों को ज़मीनी स्तर पर लागू करवाना है। देवउठनी एकादशी जैसे शुभ अवसर पर हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि एक भी बाल विवाह न हो.

धार्मिक नेता और सेवा प्रदाता भी रहें सावधान

संगठन ने टेंट, बैंड-बाजा, सजावट आदि सेवाएं देने वाले प्रदाताओं से अपील की है कि वे किसी भी बाल विवाह का हिस्सा न बनें. बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम (PCMA) 2006 के तहत बाल विवाह में भागीदारी, सहयोग या जानकारी छिपाने पर दो साल की सजा और एक लाख रुपए तक का जुर्माना हो सकता है.

जागरूकता और निगरानी से ही संभव होगा बदलाव

अहिंसा वेलफेयर सोसाइटी और JRC लगातार स्कूलों, समुदायों और गांवों में जागरूकता अभियान चला रहे हैं, ताकि बाल विवाह के खिलाफ सामूहिक चेतना विकसित हो सके और 2030 तक जिले को पूरी तरह बाल विवाह मुक्त बनाया जा सके.