चोरहटा थाने में हुए बवाल पर गरमाई सियासत, महिला अफसर से अभद्रता का मामला विधानसभा तक पहुंचा

रीवा जिले के चोरहटा थाने में 24 जुलाई को हुए हंगामे ने अब राजनीतिक रूप ले लिया है। कांग्रेस विधायक अभय मिश्रा ने विधानसभा में आरोप लगाया कि एक पूर्व विधायक के इशारे पर थाने में उत्पात मचाया गया और महिला पुलिस अधिकारी सीएसपी रितु उपाध्याय के साथ अभद्र व्यवहार हुआ। मुख्यमंत्री ने मामले की जांच के निर्देश दिए हैं, लेकिन अब तक किसी दोषी पर सख्त कार्रवाई नहीं हुई है।

चोरहटा थाने में हुए बवाल पर गरमाई सियासत, महिला अफसर से अभद्रता का मामला विधानसभा तक पहुंचा


रीवा। शहर के चोरहटा थाना परिसर में बीते 24 जुलाई को शुरू हुआ बवाल अब राजनीतिक तूल पकड़ चुका है। घटना के पांच दिन बाद भी विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। मंगलवार को इस मुद्दे की गूंज राजधानी भोपाल तक पहुंची और मामला मध्यप्रदेश विधानसभा के पटल पर गूंज उठा।

कांग्रेस ने सीएसपी रितु उपाध्याय के साथ कथित अभद्रता और चोरहटा थाने में हुए उपद्रव को लेकर सरकार को कठघरे में खड़ा किया। सेमरिया विधायक अभय मिश्रा ने विधानसभा में यह मुद्दा जोरशोर से उठाया और कहा कि पूर्व विधायक के इशारे पर थाने में करीब 36 घंटे तक उत्पात मचाया गया।

उन्होंने आरोप लगाया कि महिला अधिकारी सीएसपी रितु उपाध्याय के साथ अशोभनीय व्यवहार किया गया और पुलिस को खुलेआम धमकाया गया। मिश्रा ने सदन में कहा यदि ऐसा कृत्य किसी आम नागरिक ने किया होता तो पुलिस अब तक उस पर हत्या के प्रयास की धारा (307) भी जोड़ देती।

लेकिन राजनीतिक दबाव के चलते अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई।विधानसभा में कांग्रेस द्वारा उठाए गए इस गंभीर मुद्दे के जवाब में मुख्यमंत्री ने मामले की जांच कराने का भरोसा दिलाया है। सदन के बाहर विधायक अभय मिश्रा ने मीडिया से चर्चा करते हुए कहा कि यह केवल महिला अफसर का ही नहीं, बल्कि पूरे पुलिस प्रशासन का अपमान है।

यदि कानून का डर खत्म हो गया तो अराजकता की स्थिति बन सकती है। गौरतलब है कि 24 जुलाई को सेमरिया विधानसभा क्षेत्र स्थित वर्तमान विधायक अभय मिश्रा के फार्म हाउस में एक युवक के साथ कथित मारपीट के मामले के बाद चोरहटा थाने में भारी बवाल हुआ।

प्रदर्शनकारी पुलिस पर लगातार दबाव बनाते रहे और थाने में नारेबाजी, हंगामा करते रहे। हैरानी की बात यह रही कि पुलिसकर्मी पूरे समय निर्णयविहीन दिखे और कई बार प्रदर्शनकारियों के सामने हाथ जोड़ते नजर आए। इस दौरान थाने में पहुंचे आम फरियादियों को भी निराश लौटना पड़ा।

पूरे घटनाक्रम में सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि पुलिस थाने में उपद्रव, महिला अधिकारी के साथ अशोभनीय व्यवहार और कानून व्यवस्था को ठेंगा दिखाने वाले व्यक्तियों पर अभी तक कोई सख्त कार्रवाई नहीं की गई है। इससे पुलिस प्रशासन की तटस्थता और निष्पक्षता पर सवाल उठ रहे हैं।

भाजपा नेताओं ने पुलिस अधीक्षक कार्यालय पहुंचकर सौपा ज्ञापन

इधर, घटना पर भाजपा की ओर से भी प्रतिक्रिया देखने को मिली। मंगलवार को बड़ी संख्या में भाजपा कार्यकर्ता रीवा पुलिस अधीक्षक कार्यालय पहुंचे और ज्ञापन सौंपकर मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की।  

सेमरिया विधायक अभय मिश्रा के ऊपर उनके ही कर्मचारी ने मारपीट का आरोप लगाया था, जिसके बाद सेमरिया के पूर्व विधायक केपी त्रिपाठी सहित पीडि़त और उनके समर्थकों ने करीब 24 घंटे चोरहटा थाना में धरना प्रदर्शन किया था।

इसके ठीक एक दिन पहले पीडि़त कर्मचारी के खिलाफ सिविल लाइन थाना में विधायक अभय मिश्रा के कर्मचारी ने शराब के लिए पैसा मांगने पर गाली गलौज कर मारपीट करने व मुंह से उगली काटने के मामले में शिकायत दर्ज करवाई थी। मंगलवार को उक्त उंगली काटने वाली शिकायत के खिलाफ सेमरिया क्षेत्र के बीजेपी नेताओं ने एडिशनल एसपी आरती सिंह को ज्ञापन सौपकर गंभीरता से जांच कराए जाने की मांग की है।  

बीजेपी के सेमरिया क्षेत्र के लोगों ने पुलिस अधीक्षक कार्यालय पहुंच कर ज्ञापन देते हुए घटना की निष्पक्ष जांच की मांग उठाई है। उनका कहना था कि सेमरिया विधायक ने अपने बयान में उनके फार्म हाउस में दोनों कर्मचारियों के बीच मारपीट की बात स्वीकार की गई जबकि पीडि़त के खिलाफ शिकायत करने वाले ने ढेकहा के पास उक्त घटना होने की बात करते हुए सिविल लाइन थाना में शिकायत दर्ज करवाई है।

साथ ही उन्होने उंगली काटने के मामले पर भी उनकी भूमिका पर संदेह जताया है। भाजपा नेताओं द्वारा दिए गए ज्ञापन के बाद  लपुलिस अधिकारी ने जांच किए जाने का आश्वासन दिया है। 

थाने में हुए हंगामे से प्रदेश की कानून व्यवस्था पर उठे सवाल

थाना परिसर में हाल ही में घटित अमर्यादित घटना ने प्रदेश की कानून व्यवस्था पर गंभीर प्रश्नचिन्ह खड़े कर दिए हैं। घटना के दौरान सौ से डेढ़ सौ की संख्या में पहुंचे लोगों ने न केवल पुलिस अधिकारियों के साथ अभद्र भाषा का प्रयोग किया, बल्कि मारपीट और हमले का भी प्रयास किया।

यह समूचा घटनाक्रम न केवल पुलिस की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े करता है, इस पूरे प्रकरण में एक और मोड़ तब आया जब पूर्व विधायक केपी त्रिपाठी का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ। वीडियो में त्रिपाठी ने सार्वजनिक रूप से इस घटना पर खेद व्यक्त किया और कहा, रितु उपाध्याय मेरी बहन के समान हैं, मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए था।

मैंने संयम नहीं रखा, इसका मुझे अफसोस है। मतलब साफ है पुलिस के साथ पहले अभद्रता और फिर मामला भाईचारे में निपट गया।  घटना को घटे अब पांच दिन बीत चुके हैं, लेकिन पुलिस प्रशासन ने अब तक किसी भी व्यक्ति पर कोई सख्त कार्रवाई नहीं की है।

इससे स्पष्ट संकेत मिलते हैं कि पूरे मामले में राजनीतिक दबाव प्रभावी है। चर्चा है कि यदि पुलिस बल के सामने ही इस तरह की अराजकता की छूट दी जाएगी, तो कानून का शासन कैसे कायम रहेगा?

मुख्यमंत्री ने दिए जांच के निर्देश 

बता दे मुख्यमंत्री ने पूरे मामले की जांच के निर्देश दिए हैं। लेकिन सवाल यह है कि क्या यह जांच निष्पक्ष होगी? और क्या वास्तव में दोषियों पर कोई सख्त कार्यवाही होगी, या यह मामला भी पूर्व के कई मामलों की तरह सिर्फ कागजों तक ही सीमित रह जाएगा?