आरोपों से घिरे हैं प्रभारी कुलसचिव लाल साहब!

रीवा | अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय के प्रभारी कुलसचिव लाल साहब सिंह की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही । जैसे ही कर्मचारी संघ को इस बात की जानकारी मिली कि कुलसचिव बृजेश सिंह को कार्य मुक्त कर दिया गया है और कुल सचिव का प्रभार लाल साहब सिंह को सौंपा गया है। वैसे ही उनके विरोध में स्वर तेज हो गए। पता चला है कि पिछले वर्ष कर्मचारी संघ और लाल साहब सिंह के बीच जमकर नोकझोक हो चुकी है। जिसमें पूर्व कुलसचिव डॉ. बृजेश सिंह द्वारा बीच-बचाव कर उनकी इज्जत बचाई गई। लेकिन कर्मचारी  इस बात का अवसर तलाश रहे हैं कि अपनी पुरानी खुन्नस निकाल सकें।

कर्मचारी नेताओं का कहना है कि लाल साहब एक ऐसे अधिकारी हैं जो कर्मचारियों के हितों के प्रतिकूल सदैव काम करते रहे हैं। कर्मचारियों की समस्याओं का समाधान करने के बजाय उसमें भी अड़ंगा लगाने का काम करते रहे हैं। कर्मचारी संघ के अध्यक्ष बुद्धसेन पटेल द्वारा तो लाल साहब सिंह के विरुद्ध शासन को अनेक गंभीर शिकायतें भी भेजी जा चुकी हैं। 

रिश्वत के आरोप में चल रही जांच
इसी तरह कार्मिक विभाग में पदस्थ आदित्य प्रताप सिंह द्वारा उप कुलसचिव लाल साहब सिंह के विरुद्ध 20 हजार की रिश्वत मांगने का आरोप लगाते हुए शपथ पत्र भी शासन को भेजा गया था जिस पर जांच भी लंबित है। सूत्रों की मानें तो उप कुलसचिव कार्मिक रहते हुए लाल साहब सिंह द्वारा कर्मचारियों के नियमितीकरण संबंधी पत्राचार में भी जमकर गड़बड़ी की गई है। कर्मचारियों का आरोप है कि राज्य शासन को जो भी पत्र कार्मिक विभाग द्वारा नियमितीकरण के संबंध में प्रेषित किए गए हैं उनमें जानबूझकर फेरबदल करने का काम लाल साहब सिंह ने किया है।

कर्मचारी संघ का सीधा आरोप है कि विश्वविद्यालय में सुरक्षाकर्मियों के पदों का सृजन पूर्व कार्य परिषद द्वारा किया जा चुका था फिर भी लाल साहब सिंह द्वारा विश्वविद्यालय के अधिकारियों को गुमराह कर इस बात का पत्र शासन को भेजा जाता है कि सुरक्षाकर्मियों के पदों पर काम करने वाले लोग अवैधानिक रूप से काम कर रहे हैं। उनके पदों की स्वीकृति नहीं है अत: राज्य शासन इन पदों की स्वीकृति प्रदान करें। इसी तरह विश्वविद्यालय के स्कूल में भी शिक्षकों के 8 पद कार्य परिषद द्वारा स्वीकृत हैं। लाल साहब की अड़ंगेबाजी के कारण सुरक्षाकर्मियों और स्कूल के शिक्षकों को पेंशन संबंधी लाभ नहीं मिल सकेगा क्योंकि इन पदों के बारे में प्रतिकूल टिप्पणी करते हुए लाल साहब द्वारा राज्य शासन को पत्र प्रेषित कराए गए हैं।