मऊगंज में कार्यपालन यंत्री का विवादित ऑडियो वायरल, प्रशासन में मचा हड़कंप
मऊगंज में कार्यपालन यंत्री एस.बी. रावत के विवादित ऑडियो वायरल होने पर कलेक्टर ने भ्रष्टाचार के आरोपों को गंभीर मानते हुए नोटिस जारी कर कड़ी कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
मऊगंज: जिले में कार्यपालन यंत्री (ग्रामीण यांत्रिकी सेवा) एस.बी. रावत का एक और विवादित ऑडियो सामने आने के बाद प्रशासन में हड़कंप मच गया है। इस बार वायरल ऑडियो में रावत बातचीत के दौरान यह कहते सुनाई दे रहे हैं कि “पैसे से हर जगह मैनेज हो जाता है और यह आरोप सीधे कलेक्टर और कोर्ट पर लगाए गए हैं।जैसे ही यह ऑडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ तब कलेक्टर संजय जैन ने इसे बेहद गंभीर मानते हुए एस.बी. रावत को नोटिस जारी कर दिया। साथ ही उनके खिलाफ कार्रवाई का प्रस्ताव संभागायुक्त को भेजा गया है। कलेक्टर ने अधिकारियों को रावत के पुराने विवादित मामलों, मनमानी और गलत निर्णयों से जुड़ी पूरी जानकारी जुटाने के निर्देश भी दिए हैं, ताकि शासन स्तर पर कड़ी कार्रवाई की जा सके।
क्या है पूरा मामला?
जिलहंडी पंचायत (जनपद नईगढ़ी) में लगभग 68 लाख रुपये की गड़बड़ी की शिकायत हाईकोर्ट तक पहुंची थी। हाईकोर्ट के निर्देश पर कलेक्टर ने सुनवाई की और एसडीओ एस.आर. प्रजापति की रिपोर्ट के आधार पर 6 अधिकारियों-कर्मचारियों से 68 लाख रुपये की रिकवरी बरकरार रखी। इसी फैसले के बाद यह कथित ऑडियो वायरल हुआ।ऑडियो में उपयंत्री प्रवीण पांडेय और एस.बी. रावत के बीच बातचीत बताई जा रही है। इसमें रावत कथित तौर पर कहते हैं 5 लाख दे देते तो फैसला बदल जाता।साथ ही वे हाईकोर्ट से स्टे लेने की सलाह भी देते सुनाई देते हैं।
प्रशासन एक्शन मोड में
कलेक्टर संजय जैन ने साफ कहा की भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस है। दबाव या भ्रम से फैसले नहीं बदलते, नियम और साक्ष्य ही अंतिम आधार होते हैं।” प्रशासन ने ऑडियो की फोरेंसिक जांच, डिजिटल रिकॉर्डिंग की सत्यता और संबंधित अधिकारियों के बयान दर्ज करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
दो अधिकारियों को नोटिस
वायरल ऑडियो में न्यायालय और कलेक्टर पर लगाए गए आरोपों को गंभीर मानते हुए कलेक्टर ने—कार्यपालन यंत्री एस.बी. रावत,उपयंत्री प्रवीण पांडेय दोनों को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। दोनों से 7 दिन में जवाब मांगा गया है।
रावत पहले भी विवादों में
एस.बी. रावत पर पहले भी कई आरोप लग चुके हैं। कमिश्नर जांच में उनकी सेवा पुस्तिका और संपत्ति विवरण में अनियमितताएँ पाई गई थीं, लेकिन अंतिम कार्रवाई अब भी लंबित है।
sanjay patidar 
