MP News: भोपाल मेट्रोपॉलिटन रीजन का 14 माह में बनेगा डेवलपमेंट प्लान

भोपाल मेट्रोपॉलिटन रीजन को अब हकीकत में तब्दील करने की तैयारी तेज हो गई है। इसके लिए अधिसूचित क्षेत्र (रीजन) का अलग से डेवलपमेंट प्लान बनाया जाएगा। साथ ही यह भी खाका खींचा जाएगा कि वहां निवेश किस तरह से लाया जाए ताकि रीजन में शामिल शहरों में ही रोजगार के अवसर मिल सके।

MP News: भोपाल मेट्रोपॉलिटन रीजन का 14 माह में बनेगा डेवलपमेंट प्लान
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BHOPAL. भोपाल मेट्रोपॉलिटन रीजन को अब हकीकत में तब्दील करने की तैयारी तेज हो गई है। इसके लिए अधिसूचित क्षेत्र (रीजन) का अलग से डेवलपमेंट प्लान बनाया जाएगा। साथ ही यह भी खाका खींचा जाएगा कि वहां निवेश किस तरह से लाया जाए ताकि रीजन में शामिल शहरों में ही रोजगार के अवसर मिल सके। भोपाल जैसे बड़े शहरों की ओर पलायन रूक सके। दोनों प्लान तैयार करने के लिए 14 महीने की समय सीमा तय की गई है। राज्य शासन ने भोपाल विकास प्राधिकरण को इसका जिम्मा सौंपा है। प्राधिकरण ने फिलहाल इस कार्य के लिए निजी कंसलटेंट की तलाश शुरू कर दी है। 

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव आज भोपाल विकास को लेकर बैठक कर रहे हैं। इसमें भोपाल मेट्रोपॉलिटन रीजन महत्वपूर्ण बिंदु है। दरअसल, उन्होंने पिछले साल सितंबर में भोपाल जिले के विकास कार्यों की समीक्षा की थी। इस दौरान उन्होंने अलग-अलग बिंदुओं पर चर्चा कर उनकी समय सीमा तय की थी। इस पर अमल को लेकर ही सीएम आज चर्चा कर रहे हैं। बैठक में नगरीय विकास, पीडब्ल्यूडी आदि विभागों के आला अफसर मौजूद हैं। 

भोपाल के साथ चार शहरों को मिलाकर बनेगा रीजन

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने गणतंत्र दिवस के मौके पर घोषणा की थी कि उज्जैन, देवास, इंदौर और धार को मिलाकर एक महानगर बनेगा। इसी तरह भोपाल, सीहोर, रायसेन, विदिशा और राजगढ़ को मिलाकर दूसरा महानगर बनाएंगे। इसके साथ ही उन्होंने अधिकारियों को इस साल के आखिर तक इंदौर-भोपाल के मेट्रोपॉलिटन प्लान को अंतिम रूप देने के निर्देश भी दिए थे। इंदौर को महानगर बनाने के लिए तेजी से काम शुरू हुआ, मगर भोपाल पिछड़ गया। इंदौर में कंसल्टेंट की नियुक्ति हो गई है। उसने इंदौर मेट्रोपॉलिटन रीजन  का शुरुआती ड्राफ्ट भी तैयार कर लिया है। इधर, भोपाल में अभी कंसलटेंट की तलाश शुरू हो गई है।

20 साल पहले शुरू हुई थी कवायद

भोपाल विकास प्राधिकरण ने करीब 20 साल पहले स्टेट कैपिटल रीजन का प्लान बनाया था। राजधानी पर बढ़ते आबादी के दबाव को कम करने के लिए आसपास के शहरों को विकसित करने और वहीं रोजगार मुहैया कराने की प्लानिंग की गई थी। इसका प्रस्ताव नगरीय विकास एवं आवास विभाग को भेज दिया था। वहां यह डंप हो गया। हालांकि, इस बार अफसर दावा कर रहे हैं कि नौ महीने में दोनों शहरों का प्लान तैयार कर लिया जाएगा।

इन बिंदुओं पर चर्चा

वंदे मेट्रो की संभावना को तलाशने स्टडी व कार्ययोजना बनाना  

झुग्गीमुक्त शहर

बीएचईएल की खाली जमीन पर विकास

स्मार्ट पुलिसिंग के लिए सार्वजनिक चौराहा व स्थान पर सीसीटीवी कैमरा 

भोपाल मेट्रोपॉलिटन रीजन

जिले के औद्योगिक विकास के लिए कार्ययोजना 

जिले में कचरा व सीवेज प्रबंधन की कार्ययोजना

राष्ट्रीय राजमार्गों का विस्तार

ऐसे आगे बढ़ेगा मेट्रोपॉलिटन रीजन

मेट्रोपॉलिटन एरिया बनाने के लिए इसमें शामिल जिलों की अलग-अलग तहसील, निकायों का डाटा, वहां की जनसंख्या, स्थापित उद्योग, क्षेत्र की विशेषता की स्टडी होगी। इसके बाद वहां की भौगोलिक, आर्थिक, धार्मिक-सामाजिक स्थिति का आकलन होगा। कहां कौन सी इंडस्ट्री है, किस तरह की जरूरतें हैं, इसका भी खाका तैयार होगा।

मेट्रोपॉलिटन अथॉरिटी बनाई जाएगी। इसके दो तिहाई सदस्य मेट्रोपॉलिटन रीजन में आने वाले नगर निगम, नगर पालिका और पंचायत के चुने हुए प्रतिनिधि होंगे। इन्हें रीजन की आबादी के अनुपात के हिसाब से शामिल किया जाएगा। अथॉरिटी को महानगर के अंतर्गत आने वाले क्षेत्रों में मूलभूत सुविधाओं का जनसंख्या के आधार पर बंटवारा, नियोजित विकास, जमीन के उपयोग में परिवर्तन और उपलब्ध फंड के हिसाब से योजनाएं बनाकर राज्य सरकार को भेजने का अधिकार होगा।

राज्य और केंद्र के बीच एमओयू साइन होगा।

मेट्रोपॉलिटन रीजन में शामिल सभी शहरों के लिए केंद्र और राज्य से मिलने वाला फंड एक ही बैंक खाते में संयुक्त तौर पर आएगा।