करोड़ों खर्च के बाद भी बड़े तालाब में मिल रहा गंदे नालों का पानी

स्वच्छता सर्वेक्षण-2024 पर पड़ सकता है असर

करोड़ों खर्च के बाद भी बड़े तालाब में मिल रहा गंदे नालों का पानी

राजधानी भोपाल की जीवन रेखा बड़ा तालाब समेत शहर के कई तालाब खतरे में हैं। तालाबों के पानी में नालों का जहर घुल रहा है। एक या दो नहीं, बल्कि दर्जन भर से ज्यादा छोटे-बड़े नालों की गंदगी तालाबों में जा रही है, जबकि इसके लिए भोपाल नगर निगम करोड़ों रुपए खर्च कर रहा है। राजधानी भोपाल में इन दिनों स्वच्छता सर्वेक्षण 2024 चल रहा है। वॉटर ट्रीटमेंट के सर्वेक्षण में तालाबों में फैल रही गंदगी से नंबरों की कटौती की जाएगी। हालांकि जिम्मेदारों का कहना है कि सीवेज को कंट्रोल करने के लिए अमृत 2 योजना चल रही है जिससे आने वाले दिनों में इन नालों को तालाबों में जाने से रोक दिया जाएगा।


स्वच्छ सर्वेक्षण में कम अंक मिलने का डर
स्वच्छ सर्वेक्षण-2024 के अंतिम चरण के करीब आने के साथ ही, दिल्ली से एक केंद्रीय निरीक्षण दल शहर के खुले में शौच मुक्त (ओडीएफ) और वाटर प्लस स्थिति का आकलन करेगी। कुल 12,500 में से 1,200 अंकों के इस मूल्यांकन में सीवेज सिस्टम की जांच और प्रमुख जल निकायों से कम से कम 30 नमूने एकत्र किए जाएंगे। अधिकारियों को डर है कि इस तरह की स्थिति में भोपाल के स्कोर पर काफी असर पड़ सकता है। 


बड़े तालाब की वर्तमान स्थिति
बड़े तालाब में 36 नाले बारिश के समय सीधे मिलते हैं।
सीपीसीबी की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक हर दिन 285 एमएलडी सीवेज तालाब में आता है। इसमें 40 एमएलडी ही ट्रीट हो पाता है।
245 एमएलडी (24 करोड़ 50 लाख लीटर प्रतिदिन) पानी बिना किसी ट्रीटमेंट के हर दिन बड़े तालाब में मिल रहा है।
वर्ष 2004 में भोज वेटलैंड परियोजना के अंतर्गत 14 करोड़ की लागत से 4 सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाए गए थे। इनमें से एक ही पूरी क्षमता से काम कर रहा है।
एक हजार करोड़ से किया जा रहा काम: बीएमसी के मेयर-इन-काउंसिल (एमआईसी) के सदस्य आरके सिंह के मुताबिक नालों को बड़े तलाब समेत दूसरे तालाबों में जाने से रोकने के लिए अमृत-2 योजना के तहत काम किया जा रहा है। प्रथम फेज में एक हजार करोड़ से काम किया जा रहा है। शहर की पुरानी सीवेज प्रणाली सीधे झीलों से जुड़ी हुई है। इस वजह से यह स्थिति है। अब आधुनिक सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) पर काम किया जा रहा है।


होटल और रेस्तरां का पहुंच रहा गंदा पानी
बीएमसी नेता प्रतिपक्ष शबिस्ता जकी के मुताबिक बोट क्लब क्षेत्र में कई होटल और रेस्तरां हैं जो खुलेआम अपने सीवेज जल अपशिष्ट को बड़े तालब में डाल रहे हैं और फिर भी निगम उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है। जकी का दावा है कि बीएमसी खुद प्रदूषण में योगदान दे रहा है, निगम अपने उपचार संयंत्रों से निकले वाले अपशिष्ट को तलाब में छोड़ा जा रहा है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल एनजीटी वर्ष-2021 में नगर निगम को शहर के सभी झील, तालाबों को 100 फीसद सीवेज मुक्त करने के आदेश दिए थे, जिनका पालन अब तक नहीं हुआ। सीवेज ट्रीटमेंट की कमी: पर्यावरण संरक्षण के लिए काम करने वाले राशिद खान के मुताबिक भोपाल में अमृत योजना के तहत करोड़ों रुपये खर्च करके 9 एसटीपी और 19 सीवेज पंप हाउस बनाए गए, लेकिन सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) की कमी के कारण आज भी तालाब में नालों की गंदगी मिल रही है। जबकि शहरी क्षेत्र में 81 बरसाती नालों में से 47 घरेलू सीवेज की गंदगी बहकर जलाशयों में पहुंचती है। शहर की सीमा के अंदर बड़े तालाब समेत कुल 11 झीलों में सीवेज की गंदगी मिल रही है।