वंदे मातरम के 150 साल पूरे होने पर शौर्य स्मारक में भव्य उत्सव
वंदे मातरम के 150 साल पूरे होने पर शौर्य स्मारक में होगा भव्य उत्सव भाजपा मनाएगी राष्ट्रगौरव दिवस
भारत माता के प्रति समर्पण और गौरव का प्रतीक वंदे मातरम गीत आज अपने गौरवशाली 150 वर्ष पूरे कर रहा है। वह गीत, जिसने आज़ादी की लड़ाई में अनगिनत स्वतंत्रता सेनानियों की रगों में जोश भर दिया था, आज भी हर भारतीय के दिल में राष्ट्रप्रेम की भावना जगाता है। इस ऐतिहासिक अवसर को यादगार बनाने के लिए भारतीय जनता पार्टी ने पूरे देशभर में इसे वंदे मातरम महोत्सव के रूप में मनाने का फैसला किया है। मध्यप्रदेश में आयोजन बड़े पैमाने पर हो रहा है। प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव भोपाल के शौर्य स्मारक में आयोजित मुख्य समारोह में शामिल होंगे, जहां हजारों लोग एक साथ वंदे मातरम का सामूहिक गायन करेंगे। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल भी पार्टी कार्यालय में इस कार्यक्रम की अगुवाई करेंगे।
इस महाअभियान के तहत मध्यप्रदेश में सरकारी और संगठन दोनों स्तरों पर कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। सरकारी स्तर पर 10 प्रमुख स्थानों पर मंत्रियों की उपस्थिति में वंदे मातरम का सामूहिक गायन होगा, जबकि भाजपा संगठन के स्तर पर भी 10 ऐतिहासिक स्थलों पर विशेष कार्यक्रम रखे गए हैं।
सरकारी कार्यक्रम
सीएम डॉ. मोहन यादव – शौर्य स्मारक (भोपाल)
डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ल – कलेक्टर कार्यालय (रीवा)
मंत्री कैलाश विजयवर्गीय – कलेक्टर कार्यालय (इंदौर)
मंत्री राकेश सिंह – कलेक्टर कार्यालय (जबलपुर)
मंत्री राव उदय प्रताप सिंह – कलेक्टर कार्यालय (नर्मदापुरम)
मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर – कलेक्टर कार्यालय (ग्वालियर)
मंत्री गोविंद सिंह राजपूत – कलेक्टर कार्यालय (सागर)
मंत्री एंदल सिंह कंसाना – कलेक्टर कार्यालय (मुरैना)
मंत्री दिलीप जायसवाल – कलेक्टर कार्यालय (शहडोल)
मंत्री गौतम टेटवाल – कलेक्टर कार्यालय (उज्जैन)
भाजपा ने इसे जन-आंदोलन के रूप में मनाने का निर्णय लिया है। राज्यभर में ऐतिहासिक और सांस्कृतिक स्थलों पर वंदे मातरम का गायन किया जाएगा और स्वदेशी का संकल्प लिया जाएगा।
प्रमुख आयोजन
भाजपा प्रदेश कार्यालय, भोपाल
माँ नर्मदा तट – सेठानी घाट, नर्मदापुरम
शहीद रामप्रसाद बिस्मिल स्मारक, मुरैना
रानी लक्ष्मीबाई बलिदान स्थल, ग्वालियर
रानी लक्ष्मीबाई स्मारक स्थल, सागर
शहीद पदमधर स्मारक, रीवा
शहीद स्मारक, शहडोल
रघुनाथ शाह व शंकर शाह बलिदान स्थल, जबलपुर
देवी अहिल्याबाई स्मारक स्थल, इंदौर
महाकाल लोक, उज्जैन
इन सभी स्थलों पर कार्यकर्ता, विद्यार्थी, सामाजिक संगठन और आम नागरिक बड़ी संख्या में शामिल होंगे।
‘वंदे मातरम’ कैसे बना राष्ट्रप्रेम का प्रतीक?
वंदे मातरम की रचना बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय ने 1875 में की थी। यह गीत उनकी उपन्यास आनंदमठ में प्रकाशित हुआ और जल्द ही भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन का प्रेरणास्रोत बन गया। स्वतंत्रता सेनानियों के लिए यह गीत एक नारा बन गया था, जो हर संघर्ष में उनका हौसला बढ़ाता था। आज भी जब यह गीत गूंजता है, तो हर भारतीय के हृदय में वही पुराना जोश और गर्व जाग उठता है।
अभियान का उद्देश्य स्वदेशी और राष्ट्रप्रेम को जागृत करना
भाजपा के इस महा-अभियान का मुख्य उद्देश्य लोगों में राष्ट्रभक्ति, आत्मनिर्भरता और स्वदेशी भावना को मजबूत करना है। पार्टी ने घोषणा की है कि यह अभियान 26 जनवरी 2025 तक चलेगा, जिसमें पूरे प्रदेश में छोटे-बड़े स्तर पर कार्यक्रम, प्रदर्शनी, और सांस्कृतिक आयोजन होंगे। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा, वंदे मातरम केवल एक गीत नहीं, यह भारत की आत्मा है। आने वाली पीढ़ियों को इसके अर्थ और महत्व को समझना होगा, ताकि हर भारतीय अपने भीतर देश के लिए गर्व महसूस करे।
जनता की भागीदारी और राष्ट्रभक्ति का नया संदेश
उत्सव की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह सिर्फ राजनीतिक आयोजन नहीं, बल्कि जन-आंदोलन के रूप में मनाया जा रहा है। भाजपा कार्यकर्ताओं के साथ-साथ विद्यालयों, कॉलेजों, सामाजिक संगठनों और सांस्कृतिक समूहों को भी इसमें जोड़ा गया है। राज्य के हर जिले और ब्लॉक स्तर पर वंदे मातरम का सामूहिक गायन कराया जाएगा, जिससे युवाओं में राष्ट्रभक्ति का नया जोश पैदा हो सके।

