रीवा जिले में सबसे अधिक ट्रांसफार्मर खराब, किसानों को बिजली संकट ने घेरा

मध्य प्रदेश के जबलपुर डिवीजन स्थित रीवा जिले में इस समय 183 ट्रांसफार्मर खराब पड़े हैं, जो अब तक बदले नहीं गए हैं। बुआई का समय होने और बारिश की कमी के कारण किसान सिंचाई के लिए पूरी तरह से बिजली पर निर्भर हैं, लेकिन ट्रांसफार्मर जलने से उन्हें गंभीर परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

रीवा जिले में सबसे अधिक ट्रांसफार्मर खराब, किसानों को बिजली संकट ने घेरा

रीवा। मध्य प्रदेश के जबलपुर डिविजन स्थित पूर्व क्षेत्र वितरण कंपनी के 21 जिलों में सबसे ज्यादा ट्रांसफार्मर रीवा जिले में खराब हो चुके हैं। इस समय जिले में 183 ट्रांसफार्मर जल चुके हैं, जो अब तक बदले नहीं गए हैं।

बिजली की सप्लाई में इस बड़ी कमी के कारण किसानों और आम नागरिकों के सामने गंभीर संकट खड़ा हो गया है। बुआई का मौसम चल रहा है, और बारिश की कमी के कारण खेतों की सिंचाई के लिए किसान पूरी तरह से बिजली पर निर्भर हैं।

खराब ट्रांसफार्मर के कारण किसानों को बिजली नहीं मिल पा रही, जिससे उनकी कृषि गतिविधियों पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है। बता दे अभी तक लाइन खराबके मामले में रीवा बदनाम था। अब खराब ट्रांसफार्मरों के मामले में भी सबसे आगे है।

जिले के सभी डिवीजन में खराब ट्रांसफार्मरों की बाढ़ सी आ गई है। यह समस्या अभी की नहीं है। हमेशा ही बनी रहती है। पर्याप्त ट्रांसफार्मर डिवीजन को नहीं मिल पाते। इसके कारण खराब डीटीआर बदले नहीं जाते। स्थानीय लोग खराब ट्रांसफार्मर को लेकर कार्यालयों के चक्कर लगा रहे हैं।

उनकी सुनवाई नहीं हो रही है। यह वह खराब ट्रांसफार्मरों की लिस्ट हैं, ज़िनकी डिमांड जेई ने आनलाइन दर्ज कराई है। कई ऐसे भी ट्रांसफार्मर हैं जो अभी आनलाइन दर्ज ही नहीं हुए हैं। उनकी संख्या कहीं ज्यादा है। यह समस्या पूर्व सीई आई के त्रिपाठी के समय भी थी।

यह समस्या नई सीई प्रतिमा पाण्डेय के आने के बाद भी बनी हुई है। खराब ट्रांसफार्मर नहीं बदले जा रहे हैं। इनकी संख्या बढ़ती जा रही है। रीवा  संभाग खराब ट्रांसफार्मरों की स्थिति की बात करें तो रीवा में 183, सतना में 97, सीधी में 116, व सिंगरौली में 49 है। 

कुल मिलाकर पूरे विंध्य क्षेत्र में 445 ट्रांसफार्मर फेल हो चुके है। किंतु विभाग केवल कागजों में खानापूर्ति करने में जुटा हुआ है। स्थिति यह है कि विभाग की लापरवाही कारण किसान परेशान है। और कार्यालय के चक्कर लगा रहे हैं। 

किसानों को भारी संकट, बुआई पर असर

फसलों की सिंचाई के लिए बोर और पंप की निर्भरता बढ़ने से खराब ट्रांसफार्मर किसानों के लिए गंभीर समस्या बन गए हैं। बुआई का समय है, और यदि बिजली की आपूर्ति बाधित होती है तो किसानों को अपने खेतों में पानी नहीं मिल पाएगा, जो उनकी फसल की गुणवत्ता और मात्रा पर प्रतिकूल असर डाल सकता है।

ट्रांसफार्मर की खराबी के कारण बिजली सप्लाई में हो रही रुकावटें किसानों की दिनचर्या को प्रभावित कर रही हैं।

विभाग की लापरवाही से समस्या बढ़ी

बिजली विभाग के अधिकारियों द्वारा हर हफ्ते ट्रांसफार्मर के लिए सतना स्टोर से गाड़ियां भेजी जाती हैं, लेकिन वहां से कोई ट्रांसफार्मर उपलब्ध नहीं हो पा रहे हैं, जिसके चलते गाड़ियां खाली वापस लौट रही हैं।

विभाग की इस लापरवाही के कारण समस्याएं दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही हैं, और इससे न केवल किसानों बल्कि आम नागरिकों को भी परेशानी हो रही है।

वेस्ट डिवीजन और मऊगंज डिवीजन में हालत सबसे खराब

जिले के पश्चिम संभाग (वेस्ट डिवीजन) और मऊगंज डिवीजन की स्थिति सबसे खराब है। वेस्ट डिवीजन में कुल 138 ट्रांसफार्मर जल चुके हैं, और मऊगंज डिवीजन में 58 ट्रांसफार्मर खराब पड़े हैं। इन ट्रांसफार्मरों की मरम्मत या रिप्लेसमेंट का काम अब तक नहीं हुआ, जिससे पूरे इलाके में बिजली की आपूर्ति में विघ्न उत्पन्न हो रहा है।

पूर्व विधायक का पत्र, लेकिन समाधान नहीं

गौरतलब है कि त्योंथर के पूर्व विधायक श्यामलाल द्विवेदी ने भी इस मुद्दे पर मुख्य अभियंता को पत्र भेजा था, जिसमें उन्होंने खराब ट्रांसफार्मरों की मरम्मत और बदलने की मांग की थी। इसके बावजूद अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं।

इसके अलावा, अन्य जनप्रतिनिधियों ने भी अधिकारियों से इस समस्या के समाधान की मांग की है, लेकिन हालात जस के तस बने हुए हैं।

शहर छोड़ ग्रामीण इलाकों में स्थिति गंभीर

शहर में स्थिति थोड़ी बेहतर है, लेकिन ग्रामीण इलाकों में ट्रांसफार्मर की खराबी के कारण बिजली की स्थिति बहुत खराब है। कई गांवों में तो महीनों से ट्रांसफार्मर जलने के बाद उनकी रिप्लेसमेंट नहीं हुई है, जिसके कारण लोग अंधेरे में जीवन जीने को मजबूर हैं।