MP NEWS : कलेक्टर के आश्वासन के बाद माने जिला पंचायत जनप्रतिनिधि, भूख हड़ताल की खत्म
नज जल योजना में भ्रष्टाचार को लेकर भूख हड़ताल पर बैठे जिला पंचायत जनप्रतिनिधियों को मनाने के लिए कलेक्टर कौशलेन्द्र विक्रम सिंह खुद आंदोलन स्थल पर पहुंच गए। उन्होंने सदस्यों को भरोसा दिलाया कि उनकी मांगों का निराकरण किया जाएगा।

भोपाल. नज-जल योजना में भ्रष्टाचार को लेकर भूख हड़ताल पर बैठे जिला पंचायत जनप्रतिनिधियों को मनाने के लिए कलेक्टर कौशलेन्द्र विक्रम सिंह खुद आंदोलन स्थल पर पहुंच गए। उन्होंने सदस्यों को भरोसा दिलाया कि उनकी मांगों का निराकरण किया जाएगा। नल जल योजना की जांच कराई जाएगी और जो भी दोषी अफसर होंगे, उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। ठेकेदारों को ब्लैक लिस्टेड किया जाएगा। कलेक्टर के इस आश्वासन के बाद जिला पंचायत उपाध्यक्ष मोहन जाट सहित अन्य सदस्यों ने भूख हड़ताल खत्म कर दी।
नल-जल योजना महज कागजी साबित
दरअसल गांवों में घर-घर पानी पहुंचाने के लिए नल जल योजना के तहत राजधानी के ग्रामीण क्षेत्रों में कार्य कराया गया है। हालांकि गांवों में इसका लाभ नहीं मिल रहा है। पीएचई विभाग के कागजों में करीब 131 पंचायतों में नलजल योजना के तहत कार्य पूरा कर दिया गया है। हकीकत में यह दावे महज कागजी साबित हो रहे हैं। इसे लेकर जिला पंचायत जनप्रतिनिधियों ने नाराजगी जताई थी। जिला पंचायत उपाध्यक्ष सहित अन्य सदस्य योजना में भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए एक दिन पहले भूख हड़ताल पर बैठ गए थे। जिला पंचायत परिसर में उपाध्यक्ष सहित सदस्यों ने भूख हड़ताल शुरू कर दी थी। दिनभर चली भूख हड़ताल के बाद करीब शाम 7 बजे मौके पर पहुंचे कलेक्टर कौशलेन्द्र विक्रम सिंह ने सभी से चर्चा की। इस दौरान जिला पंचायत उपाध्यक्ष मोहन जाट ने कहा कि पिछले डेढ़ साल से सदस्यों को गुमराह किया जा रहा है। ग्रामीण बूंद-बूंद पानी के लिए तरस रहे हैं। शिकायतों के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। इस पर कलेक्टर ने कहा कि आप भरोसा रखे, अगर गड़बड़ी हुई है, तो कार्रवाई भी होगी। उसके बाद हड़ताल खत्म करने का ऐलान कर दिया गया।
अफसरों की लापरवाही से ग्रामीण पानी से वंचित
जिला पंचायत उपाध्यक्ष मोहन जाट ने कहा कि प्रदेश की मोहन सरकार ग्रामीणों को घर-घर पानी देने के लिए काम कर रही है। यह प्रदेश के ग्रामीण इलाकों के लिए सबसे बड़ी सौगात है, लेकिन अफसरों की लापरवाही से ग्रामीणों को इस योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है। हम यही मांग कर रहे हैं कि सरकार की योजना का लाभ ग्रामीणों को मिले। आज चार से पांच साल बीत गए, लेकिन एक भी गांव को लाभ नहीं मिल सका। कागजों में 131 पंचायतों में पानी देने की बात की जा रही है, जबकि जिला पंचायत की जांच में साफ हो गया है कि यह दावे पूरी तरह गलत हैं। प्रतिनिधियों ने कलेक्टर से मांग की है कि योजना को जल्दी चालू कराया जाए।