MP NEWS : अंदर की बात
तबादलों से बंदिश हटने के साथ मंत्री सक्रिय हो गए हैं। मंत्रियों के विशेष सहायकों के यहां स्थानांतरण चाहने वालों की भीड़ जुटने लगी है। इस बीच एक मंत्री ने आधा दर्जन अधिकारियों की तबादला सूची प्रमुख सचिव को भेज दी। प्रमुख सचिव मंत्री द्वारा भेजी गईं सूची देखकर आश्चर्य चकित रह गए। सूची में निलंबित तथा उन अधिकारियों के नाम थे, जिनकी कई जांचे चल रही हैं।
तबादलों से बंदिश हटने के साथ मंत्री सक्रिय हो गए हैं। मंत्रियों के विशेष सहायकों के यहां स्थानांतरण चाहने वालों की भीड़ जुटने लगी है। इस बीच एक मंत्री ने आधा दर्जन अधिकारियों की तबादला सूची प्रमुख सचिव को भेज दी। प्रमुख सचिव मंत्री द्वारा भेजी गईं सूची देखकर आश्चर्य चकित रह गए। सूची में निलंबित तथा उन अधिकारियों के नाम थे, जिनकी कई जांचे चल रही हैं। प्रमुख सचिव ने सूची में हस्ताक्षर करने से मना कर दिया। बामुश्किल एक नाम पर अपनी सहमति व्यक्त की, जिसके लिए तीन चार विधायकों की सिफारिश थी। प्रमुख सचिव की ना से मंत्री नाराज हैं। मंत्री ने कहा कि मुख्यमंत्री जी से उनकी शिकायत करेंगी। प्रमुख सचिव ने कहा कि नियम प्रकिया के बाहर जाकर वे तबादले नहीं कर सकते। वैसे भी विभाग की बहुत बदनामी हो रही है।
एएसआई और मंत्री की दोस्ती की चर्चा
एक कैबिनेट मंत्री की पुलिस विभाग के एएसआई से दोस्ती इस समय चर्चा का विषय बनी हुई है। चर्चा का कारण एएसआई की हर सिफारिश पर मंत्री की हां है। मंत्री से दोस्ती के कारण एएसआई विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों पर रौब झाड़ता है। कामकाज में एएसआई के बढ़ते हस्तक्षेप से मंत्री का पूरा स्टॉफ परेशान है। आपको सुविधा के लिए बता दें कि एएसआई जिला पुलिस बल जबलपुर में पदस्थ हैं। मंत्री के विभाग के अधिकारी उसे चौहान साहब के नाम से जानते हैं।
लकी और गोलू की चर्चा
एक विभाग में इस समय लकी और गोलू के नाम की जमकर चर्चा हो रही है। विभाग के दो अधिकारी काम वाले व्यक्ति को खोजते हैं और उसे पकड़कर गोलू के पास ले जाते हैं। गोलू उसे लकी के पास ले जाता है और काम के लिए रेट तय होते हैं। रेट तय होने के बाद काम के लिए एडवांस राशि ली जाती है। काम हो या न हो, लेकिन एडवांस के तौर पर ली गई राशि वापस लौटाई जाएगी, इसकी गारंटी नहीं है। अब तबादले के सीजन में विभाग के अधिकारियों का लकी और गोलू से मिलना मजबूरी हो गया है।
अफसरों पर कार्रवाई में भेदभाव
एक विभागाध्यक्ष ने प्रमुख सचिव स्तर के एक अधिकारी को फाइल भेजी। फाइल में प्रमुख सचिव ने गड़बड़ी पकड़ ली और कहा कि उक्त अधिकारी को निलंबित करने के लिए कार्मिक विभाग को पत्र लिखा जाए। इसी बीच एक अधिकारी ने फाइल पढ़ी और कहा कि फाइल में विभागाध्यक्ष के नहीं, उप सचिव के हस्ताक्षर हैं। यह सुनकर प्रमुख सचिव ने देखा और कहा कि उप सचिव तो अच्छा अधिकारी है, वह हमारे साथ काम कर चुका है। इसके बाद फाइल को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। इससे ऐसा लगता है कि मंत्रालय में पदस्थ आला अफसर कार्रवाई भी अपनी पसंद तथा नापसंद के आधार पर करते हैं। सही और गलत के आधार पर नहीं। इससे कई युवा अधिकारी काफी दुखी हैं, लेकिन उनका दर्द सुनने के लिए कोई तैयार नहीं है। इसे कहते हैं...मेरी मर्जी।