महेंद्र कुमार गोयनका द्वारा बीजापुर में 127 एकड़ आदिवासी भूमि के अवैध हस्तांतरण मामले में राष्ट्रीय आयोग में शिकायत दर्ज
छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में 127 एकड़ पैतृक आदिवासी भूमि के कथित अवैध हस्तांतरण और कब्जे के मामले ने गंभीर रूप ले लिया है.
छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में 127 एकड़ पैतृक आदिवासी भूमि के कथित अवैध हस्तांतरण और कब्जे के मामले ने गंभीर रूप ले लिया है. सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता अमान अहमद खान ने विस्थापित अनुसूचित जनजाति (ST) परिवारों की ओर से इस संबंध में राष्ट्रीय अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति आयोग में औपचारिक शिकायत दर्ज कराई है. शिकायत में आरोप लगाया गया है कि रायपुर निवासी उद्योगपति महेंद्र कुमार गोयनका और उनके सहयोगियों ने धोखाधड़ी और फर्जी दस्तावेज़ों के माध्यम से इन आदिवासी परिवारों की पैतृक भूमि पर अवैध कब्जा कर लिया.
आरोप और कानूनी आधार
शिकायत के अनुसार, महेंद्र गोयनका और उनके एजेंटों ने जाली विक्रय विलेख (forged sale deeds) बनवाकर राजस्व रिकॉर्ड में हेरफेर की और खुद को ‘वास्तविक खरीदार’ के रूप में दर्शाया। शिकायत में कहा गया है कि भूमि का यह हस्तांतरण मध्यप्रदेश भू-राजस्व संहिता, 1959 की धारा 170-बी, जो छत्तीसगढ़ में भी लागू है, के तहत पूर्णतः अवैध (void ab initio) है, क्योंकि यह आदिवासी भूमि गैर-आदिवासी को सौंपी नहीं जा सकती।
कथित कानूनी उल्लंघन
शिकायत में कहा गया है कि यह कृत्य कई प्रावधानों का उल्लंघन करता है, जिनमें अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 की धाराएं 3(1)(f), 3(1)(g) और 3(1)(v) — जो भूमि से बेदखली और संपत्ति से वंचित करने को अपराध घोषित करती हैं, भारतीय दंड संहिता (IPC) की धाराएं 420 (धोखाधड़ी), 467-471 (जालसाजी), 120B (षड्यंत्र), तथा 441-447 (आपराधिक अतिचार), संविधान का अनुच्छेद 46 शामिल है। जो राज्य को अनुसूचित जातियों और जनजातियों को सामाजिक अन्याय और शोषण से बचाने का निर्देश देता है।
आयोग से की गई मांगें
शिकायतकर्ताओं ने आयोग से निम्नलिखित कार्रवाई की मांग की है
1. स्वप्रेरणा से संज्ञान (Suo Motu Action) लेकर औपचारिक जांच शुरू की जाए।
2. जिला कलेक्टर, बीजापुर को धारा 170-बी के तहत जांच कर भूमि को मूल आदिवासी मालिकों को बहाल करने का निर्देश दिया जाए।
3. आरोपियों के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही प्रारंभ करने और राजस्व व पंजीयन अधिकारियों को जवाबदेह ठहराने का आदेश दिया जाए।
4. पीड़ित परिवारों को पुनर्वास और मुआवजा प्रदान किया जाए, जिसमें आजीविका सहायता और वित्तीय राहत शामिल हो।
shivendra 
