विकास से वंचित तेंदुआ: जहां आज भी पेड़ के नीचे होती है ग्राम सभा

सरकार की योजनाओं की नहीं पड़ी बुनियाद, मूलभूत सुविधाओं से वंचित ग्रामीण

विकास से वंचित तेंदुआ: जहां आज भी पेड़ के नीचे होती है ग्राम सभा

राजेंद्र पयासी-मऊगंज 

पूरे प्रदेश में विकास की आंधी बह रही है हर तरफ सड़क नाली भवन सिंचाई उद्भावन योजना स्कूल कॉलेज से लेकर हर विकास कार्यों का जहां देखा जाए वही ढिंढोरा पीटा जा रहा है लेकिन नवगठित मऊगंज जिले के जनपद पंचायत नईगढ़ी अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायत तेंदुआ आज भी विकास को तरस रही है।

ग्राम पंचायत क्षेत्र की ऐसी कई बसाहटें हैं जहां विकास के नाम पर सिर्फ ढिंढोरा पीटा गया है जमीनी स्तर पर विकास कहीं नजर नहीं आ रहा है। वैसे तो क्षेत्र के विकास के लिए शासन स्तर पर ढेर सारी योजनाएं चलाई जा रही है लेकिन ग्राम पंचायत तेंदुआ में के लोगों को मूलभूत सुविधाओं के लिए यहां वहां भटकना पड़ रहा है। हालात इतने खराब है कि ग्राम पंचायत के लोग समस्याओं से जूझ रहे हैं सरकार ने ग्राम पंचायत तो बना दिया लेकिन भवन के अभाव में जहां पेड़ के नीचे ग्राम सभाएं होती हैं वहीं ग्राम पंचायत क्षेत्र में स्कूल एवं आंगनबाड़ी केंद्र भी खोले गए हैं लेकिन आज तक भवन तक नहीं बनाए गए। स्वच्छ भारत मिशन की स्थिति इतनी खराब है कि आज भी 60 फ़ीसदी जनता खुले में शौच करती है। उधर ग्राम पंचायत क्षेत्र में संचालित स्कूलों एवं आंगनबाड़ी केंद्रों के हालात इस तरह है कि जिस स्कूल में शौचालय है वह प्रयोग के लायक नहीं है वही प्राथमिक विद्यालय छिपिया सहित क्षेत्र में संचालित पांच आंगनबाड़ी केंद्रों में शौचालय तो होना दूर आज तक भवन का ही निर्माण नहीं कराया गया।

पेड़ के नीचे ग्राम सभा

जिले के जनपद पंचायत नईगढ़ी अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायत तेंदुआ का कुछ इस कदर विकास हुआ कि आज आजादी के साथ दशक गुजर जाने के बाद भी ग्राम पंचायत की ग्राम सभा पेड़ के नीचे होती है। बताया गया है कि ग्राम पंचायत का पुराना भवन पूर्ण रूपेण खंडहर में तब्दील हो चुका है जिसके नीचे ग्राम सभा का होना तो दूर जर्जर भवन के नजदीक जाने से भी लोग भय खाते हैं लेकिन जनपद से लेकर जिले में बैठे अधिकारियों एवं क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों का नवीन पंचायत भवन बनाए जाने की ओर ध्यान नहीं गया जिसका परिणाम रहा की आज भी गांव की चौपाल पेड़ के नीचे चलती है यदि बारिश हो गई तो ग्राम सभा की सभी कार्यवाही सरपंच सचिव एवं पंचों के घरों में हस्ताक्षर होकर कार्यवाही तैयार कर ली जाती है। चिंतनीय विषय यह है कि जब गांव की जनता को ग्राम सभा में होने वाली चर्चाओं एवं विकास कार्यों की जानकारी नहीं मिल पाती तो भला गांव का विकास कैसे होगा और लोग अपनी समस्या सामूहिक रूप से किसे सुनाएं। लेकिन विडंबना है कि जनता की समस्या की ओर आज तक शासन प्रशासन का ध्यान नहीं गया। 

भवन विहीन आंगनबाड़ी एवं स्कूल

ग्राम पंचायत तेंदुआ क्षेत्र अंतर्गत एक माध्यमिक शाला दो प्राइमरी एवं पांच की संख्या में आंगनबाड़ी केंद्र संचालित हैं पूर्व माध्यमिक विद्यालय तेंदुआ मात्र तीन कमरों में संचालित हो रहा है जहां साफ स्वच्छ किचन सेट से लेकर अन्य सुविधाओं का अभाव है। उधर ग्राम पंचायत क्षेत्र स्थित शासकीय प्राथमिक विद्यालय छिपिया के साथ सभी पांचों आंगनबाड़ी केंद्र आज भी भवन विहीन है। भवन न होने के कारण ग्राम पंचायत की ग्राम सभा की तरह यहां स्कूल एवं आंगनबाड़ी केंद्र भी पेड़ के नीचे चलते हैं। प्राथमिक विद्यालय छिपिया तो मुख्य मार्ग के किनारे संचालित है जिस पर बड़े-बड़े अधिकारियों से लेकर राजनेताओं की भी नजर पड़ती है गांव में कई ऐसे समाजसेवी हैं जो सोशल मीडिया एवं अखबारों की सुर्खियां बटोरते हैं लेकिन आज तक शासन प्रशासन से लेकर स्थानीय समाज सेवियों का भवन विहीन विद्यालय एवं आंगनबाड़ी केंद्र की ओर ध्यान नहीं गया। जिसके चलते खुले आसमान के नीचे देश के भविष्य शिक्षा अध्ययन करने को मजबूर है। 

शासन की योजनाओं से वंचित ग्रामीण

किसी भी क्षेत्र के विकास की पहली इकाई स्वास्थ्य शिक्षा एवं आवागवन माना गया है लेकिन ग्राम पंचायत छिपिया एक ऐसी ग्राम पंचायत है जहां आज तक विकास का उदय ही नहीं हुआ यानी स्कूल आंगनबाड़ी केंद्र से लेकर कई ऐसी शासन की जनकल्याणकारी मूलभूत योजनाएं हैं जिनकी आज तक पंचायत क्षेत्र में बुनियाद ही नहीं पड़ी। सवाल यहां उठता है कि जब शासन स्तर पर चलाई गई योजनाओं का लाभ ग्रामीण जनता को नहीं मिल पा रहा है तो भला नई योजनाओं का लाभ कब और कैसे मिलेगा लोगों के लिए चिंता का विषय है। लेकिन चिंता इस बात की है कि जनता की चिंता को दूर करने वाला आज तक कोई चिंतक नजर नहीं आया।

चुनाव के साथ खत्म हो जाते हैं वायदे

मूलभूत सुविधाओं से वंचित ग्रामीणों ने बताया कि हम लोगों को शासन की योजनाओं को लाभ नहीं मिल पा रहा है बच्चों को शिक्षा अध्ययन करने के लिए स्कूल एवं आंगनबाड़ी भवन नहीं है शासन की अन्य योजनाओं का भी लाभ नहीं मिल पा रहा है। ग्रामीणों ने कहा कि जब चुनाव आते हैं तब वोट मांगने के लिए लोगों से झूठे वायदे किए जाते हैं कि आपके गांव का विकास होगा आपके गांव में सारी व्यवस्थाएं होगी लेकिन चुनाव खत्म होते ही सभी वायदे खत्म हो जाते हैं और भोली भाली ग्रामीण जनता मतदान के बाद 5 साल तक शासकीय योजनाओं को पाने के लिए यहां वहां भटकती है लेकिन सुनवाई कहीं भी नहीं होती। 

आखिर कब होगा तेंदुआ में विकास का उदय

आज जब छोटे से लेकर बड़े नेताओं तक स्थानीय अधिकारियों से लेकर जिले में बैठे अधिकारियों द्वारा विकास के बेहतरीन काम के नाम पर फोटोग्राफी की जा रही है क्षेत्र के विकास की बड़ी-बड़ी बातें की जा रही है लेकिन जिले में ऐसे भी क्षेत्र हैं जहां के लोग आज भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं जिसका सबसे बड़ा कारण शहर या जिला मुख्यालय तथा जनपद स्तर में बैठने वाले अधिकारियों द्वारा क्षेत्र में हो रहे विकास कार्यों की परख न करना माना जा रहा है। हकीकत यह है कि शासन प्रशासन स्तर तक जनता की समस्या पहुंच नहीं पाती जिसके कारण लोग उन मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं जिनको पाने के लिए वह वास्तव में हकदार हैं। जिम्मेदारों द्वारा कार्य के प्रति बरती गई शिथिलता एवं वोट की राजनीति करने वाले नेताओं की अनदेखी का परिणाम है कि आज भी ग्राम पंचायत तेंदुआ में विकास का उदय नहीं हो पाया। उधर जिम्मेदारों की अनदेखी के कारण क्षेत्र की जनता शासन प्रशासन से सवाल करती है कि साहब तेंदुआ ग्राम पंचायत में विकास का उदय कब होगा ?