दो हजार बेरोजगारों के दिल्ली में जाली बैंक खाते बनवाकर निकाले दो करोड़
- प्रधानमंत्री कौशल विकास केंद्र सतना के जुड़े दिल्ली तक तार
- सांसद के करीबी ने गुडग़ांव-दिल्ली की संस्थाओं से मिलकर रची साजिश
सतना | मोदी सरकार की ब्रांडिंग करने वाली पीएम कौशल विकास योजना बेरोजगार युवक-युवतियों के लिए बड़ी उम्मीद है। मगर, स्थानीय स्तर पर इसका क्रियान्वयन सही दिशा में नहीं हुआ। स्किल डेवलपमेंट यहां स्किल प्रोग्राम ‘करप्शन स्किल प्रोग्राम’ बनकर रह गया है। यह योजना सतना में जालसाजी का जरिया बना है। कौशल विकास के नाम पर यहां दो हजार बेरोजगारों से दो करोड़ से अधिक की ठगी हुई। विडंबना है कि, हाईप्रोफाइल मामले में दस्तावेजी ठगी की शिकायत थाना, एसपी व कलेक्टर के अलावा मुख्यमंत्री तक से की गई। लेकिन स्किल डेवलपमेंट प्रोग्राम से ठगे गए प्रशिक्षणार्थियों को न्याय तो दूर उनको मिलने वाली सरकारी योजनाओं की राशि तक हजम कर ली गई है।
मास्टरमाइंड कौन
प्रशासन को सौंपी गई शिकायत में उल्लेख है कि प्रशिक्षणार्थियों के दस्तावेजों को रिवार्ड राशि देने के लिए कभी सांसद गणेश सिंह के करीबी रहे चैनेंद्र पांडे के माध्यम से तेजवंत छतवाल द्वारा मंगाया गया था। प्रशिक्षणार्थियों ने आधार कार्ड समेत जिन दस्तावेजों को कौशल विकास केंद्र में जमा कराया उनके जरिए प्रशिक्षणार्थियों की जानकारी के बिना ही ग्रीन पार्क सेंट्रल बैंक नई दिल्ली में खाते खुल गए और खाते आपरेट भी होने लगे।
यही नहीं प्रशिक्षणार्थियों के खाते उनकी जानकारी के बिना आपरेट होते रहे और उनमें आने वाली सरकारी योजनाओं की राशि ठिकाने लगती रही। प्रशिक्षणार्थियों को न तो प्रमाण पत्र मिला और न ही रिवार्ड राशि। जाली खातों से आधार लिंक होने के कारण उनके खातों में आने वाली गैस सब्सिडी, उज्जवला योजना, रोजगार गांरटी योजना , प्रसव योजना जैसी सरकारी राहत योजनाओं की राशि भी निकाल ली गई।
रसूखदारों के आगे जांच ने तोड़ा दम
ऐसा नहीं है कि ठगे गए प्रशिक्षणार्थियों व प्रशिक्षक ने शिकायत न दर्ज कराई हो। शिकायत कोलगवां थाने से लेकर एसपी व कलेक्टर तक से की जा चुकी है। अर्सा पूर्व कोलगवां थाने ने जांच भी शुरू की थी और चैनेंद्र पांडेय के अलावा फरियादियों के बयान भी कलमबद्ध किए थे। बाद में यह जांच रिपोर्ट दबा दी गई। सूत्रों की मानें तो इस मामले में हाईप्रोफाइल लोगों के जुड़े होने के कारण प्रशासनिक अधिकारी भी जांच से कतरा रहे हैं।
क्या है मामला?
दरअसल, नवंबर 2015 में यहां कौशल विकास केंद्र खोला गया था। 11 नवंबर 2015 को एजुकेशन फार एम्प्लायमेंट फाउंडेशन सोसायटी कंपनी गुड़गांव व गणेश नगर नई बस्ती सतना निवासी नीतू मिश्रा के बीच मेमोरंडम अॉफ अंडरस्टैंडिंग साइन हुआ। जिसके तहत नीतू मिश्रा को ट्रेनिंग प्रोवाइडर का जिम्मा मिला। और, बेरोजगार युवक-युवतियों का चयन कर प्रशिक्षण का दायित्व सौंपा गया। इस मामले में एजुकेशन फार एम्प्लायमेंट फाउंडेशन सोसायटी कंपनी गुड़गांव व काव्या साल्यूशन कंपनी नई दिल्ली भी शामिल हुई ।
दोनों कंपनी के पदाधिकारियों अलका तिवारी व कुलदीप उपाध्याय ने नीतू मिश्रा को शिविर लगाकर प्रशिक्षण देने के लिए कहा। प्रशिक्षण हेतु दीपमाला पांडे, राजकुमारी मिश्रा, क्रांति सोनी, सुनीता कुशवाहा, तारा दाहिया, सरोज सेन, सुनीता आदिवासी, रचना त्रिपाठी, सीमा तिवारी, रश्मि गौतम समेत जिले के तकरीबन 2200 युवक-युवतियों ने अपने आधार कार्ड समेत सभी दस्तावेज जमा कराए और प्रशिक्षण प्राप्त किया। इस दौरान अलका तिवारी व कुलदीप ने काव्या साल्यूशन कंपनी के नाम पर ग्राम जाखी, कुआं, मेहुती, अमदरी, अबेर , जिगनहट , महदेवा समेत कई स्थानों में सेंटर खोलकर ट्रेनिंग प्रोग्राम किए।
नीतू ने पुलिस अधीक्षक को सौंपे शिकायती पत्र में बताया था कि एजुकेशन फार एम्प्लायमेंट फाउंडेशन सोसायटी और पदाधिकारी तेजवंत छतवाल ने आश्वस्त किया था कि प्रशिक्षण पश्चात 10 हजार रुपए प्रशिक्षणार्थियों को तथा 3500 रुपए ट्रेनिंग प्रोवाइडर के तौर पर नीतू को दिए जाएंगे। लेकिन प्रशिक्षणार्थियों और ट्रेनिंग प्रोवाइडर को राशि तो नहीं मिली अलबत्ता उनके जाली बैंक खाते तैयार कर वह राशि भी हजम कर ली गई जो उन्हें विभिन्न शासकीय योजनाओं के तहत मोदी सरकार अब तक मुहैया कराती रही है।
इस योजना में प्रशिक्षण लेने वालों को किसी भी तरह की राशि देने का कोई प्रावधान नहीं है, इसलिए उनके बैंक खाते खोलने की कोई आवश्यकता ही नहीं है। यदि इस तरह का कोई मामला है तो उसकी जांच की जाएगी।
एस धनराजु, संचालक, कौशल विकास, मप्र
हमारे साथ जालसाजी की गई है। सांसद कार्यालय बुलाकर एजुकेशन फार एम्प्लायमेंट फाउंडेशन सोसायटी कंपनी गुड़गांव व काव्या साल्यूशन कंपनी नई दिल्ली के पदाधिकारियों ने ट्रेनिंग का जिम्मा सौंपा था। तत्कालीन कार्यालय सचिव चैनेंद्र पांडेय को मुझे सहयोगी के रूप में दिया गया था। अब तक न तो प्रमाण पत्र और न ही रिवॉर्ड राशि मिली और बिना जानकारी के खाते भी खोल लिए गए। उच्चस्तरीय जांच कराई जाए।
नीतू मिश्रा, ट्रेनिंग प्रोवाइडर, कौशल विकास योजना
हमारे खाते कब खोल लिए गए पता ही नहीं चला। हमने प्रशिक्षण प्राप्त किया लेकिन प्रमाण पत्र नहीं मिला और न ही रिवॉर्ड दिया गया। गैस सब्सिडी व अन्य योजनाओं की राशि भी हमारे खातों से लगातार निकल रही है। हमारे आधार नंबर और अन्य दस्तावेजों का उपयोग कर चार सौ बीसी की गई है। जांच करा कड़ी कार्रवाई की जाए।
दीपमाला पांडे, पीड़ित प्रशिक्षणार्थी