MP NEWS : प्रदेश में AI की मदद से रुकेगा अवैध खनन, 7502 खदानों की जियो टेगिंग

प्रदेश में अवैध खनन बड़ा मुद्दा रहा है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के निर्देश पर खनिजों के अवैध खनन भंडारण एंव परिवहन की रोकथाम के लिये नवीन तकनीक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) पर आधारित मानव-रहित चेक-गेट पूरे प्रदेश में स्थापित की जा रही है। सैटेलाइट इमेज एवं रिमोट सेंसिंग टेक्नोलॉजी की सहायता से प्रदेश में हो रहे अवैध उत्खनन एवं भंडारण पर निगरानी रखी जाएगी।

MP NEWS : प्रदेश में AI की मदद से रुकेगा अवैध खनन, 7502 खदानों की जियो टेगिंग
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भोपाल. प्रदेश में पत्थर से लेकर रेत तक अवैध खनन (Illegal Mining) बड़ा मुद्दा रहा है। इस पर रोक लगाने के लिए राज्य सरकार Artifical Intelligence (AI) की मदद लेने की तैयारी में है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव (cm mohan yadav)  के निर्देश पर खनिजों के अवैध खनन भंडारण एंव परिवहन की रोकथाम के लिये नवीन तकनीक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) पर आधारित मानव-रहित चेक-गेट पूरे प्रदेश में स्थापित की जा रही है। इस प्रणाली के अंतर्गत प्रदेश की समस्त स्वीकृत 7502 खदानों की जियो टेगिंग (Geo Tagging) कर खदान क्षेत्र का सीमांकन किया जा चुका है।

सैटेलाइट इमेज एवं रिमोट सेंसिंग टेक्नोलॉजी

प्रदेश में अवैध खनन बड़ा मुद्दा रहा है। पत्थर से लेकर रेत का खनन चर्चाओं में रहना आम बात है। अब राज्य सरकार इस पर रोक लगाने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की मदद लेने की तैयारी में है। मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव के निर्देश पर अवैध खनन भंडारण एवं परिवहन की रोकथाम के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) का उपयोग कर खनन निगरानी प्रणाली विकसित की जा रही है। इस प्रणाली के अंतर्गत प्रदेश की समस्त स्वीकृत 7,502 खदानों की जियो टैगिंग कर खदान क्षेत्र का सीमांकन किया जा चुका है। सैटेलाइट इमेज एवं रिमोट सेंसिंग टेक्नोलॉजी की सहायता से प्रदेश में हो रहे अवैध उत्खनन एवं भंडारण पर निगरानी रखी जाएगी।

ऐसे AI की मदद से रुकेगा अवैध खनन 

जैसे ही वाहन ई-चेकगेट के पास पहुंचता है, सिस्टम उसे पहचानने के लिए सक्रिय हो जाता है। ऑटोमेटिक नंबर प्लेट रीडर (ANPR) वाहन की नंबर प्लेट को स्कैन करता है और उसे डेटाबेस से मिलान करता है। वाहन में लगा आरएफआईडी टैग स्कैन होता है, जो ये बताता है कि वाहन के पास खनिज ढोने के वैध कागजात हैं या नहीं।  अगर सब सही है, तो वाहन आगे बढ़ सकता है। नहीं तो अलर्ट भेज दिया जाता है। संदिग्ध वाहनों के मामले में अलर्ट सीधे कमांड और कंट्रोल सेंटर में भेजा जाता है, जहां तुरंत कार्रवाई होती है।

प्रदेश के 55 जिलों में ई-खनिज पोर्टल के माध्यम से ऑनलाइन ई-टीपी सेवाओं को लागू किया जा चुका है। ई-टीपी की व्यवस्था लागू होने से पट्टेदार द्वारा ऑनलाइन रॉयल्टी का भुगतान किया जा रहा है। खनिजों के अवैध उत्खनन, परिवहन, भंडारण पर प्रभावी अंकुश लगाने के लिये खनिज परिवहन किये जाने वाले वाहनों का ई-रजिस्ट्रेशन अनिवार्य किया गया है। नवीन पोर्टल ई-खनिज 2.0 सुशासन से एवं ईज ऑफ डूइंग बिजनेस के अंतर्गत विभिन्न प्रक्रियाओं को सरलीकृत किया जा रहा है। पट्टेदारों एवं नागरिकों की समस्याओं के समाधान के लिये ऑनलाइन प्लेटफार्म भी उपलब्ध कराया जायेगा।

प्रदेश में सूचना प्रौद्योगिकी के अंतर्गत विभाग की गतिविधियों को ऑनलाइन करने के लिये एनआईसी द्वारा वेब पोर्टल (ई-खनिज) बनाया गया है। ई-खनिज पोर्टल को परिवहन विभाग के पोर्टल साथ लिंक किया गया है। इससे पट्टेदार/ट्रांसपोर्टर खनिज परिवहन करने के लिये ऑनलाइन वाहनों का रजिस्ट्रेशन ई-खनिज पोर्टल पर कर सकते हैं। डिजिटल इण्डिया अंतर्गत विभाग द्वारा ई-खनिज पोर्टल से खनिजों के परिवहन के लिये ऑनलाइन परिवहन पारपत्र (e-TP) की सेवाओं को सफलतापूर्वक लागू किया गया है। इस व्यवस्था के अंतर्गत कोई भी पट्टेदार रॉयल्टी एवं अन्य राशि का भुगतान करने के बाद ई-टीपी प्राप्त कर सकता है। खनिजों के परिवहन में संलग्न वाहनों के ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन का प्रावधान किया गया है।