हमारी संस्कृति में समरसता और ज्ञान की गौरवशाली परंपरा है: मुख्यमंत्री
विभिन्न क्षेत्रों में नाम रोशन करने वाली विभूतियों को किया सम्मानित

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि हमारी संस्कृति में समरसता और ज्ञान की हजारों साल पुरानी गौरवशाली परंपरा है। हमारे पूज्य संत रविदास, कबीर तथा भगवान गौतम बुद्ध से लेकर अन्य पुराने ऋषि-मुनियों एवं महापुरुषों ने समरसता की ज्योति जलाई। इसी से हमारे देश में अच्छाई-सच्चाई तथा मानवता के मूल सिद्धांतों की स्थापना हुई। बाबा साहब डॉ. भीमराव अम्बेडकर ने भी सामाजिक समरसता और समता का सिद्धांत दिया। साथ में संविधान में सबको समान अधिकार प्रदान किए।
मुख्यमंत्री ग्वालियर में आयोजित समरसता सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा खुशी की बात है कि ग्वालियर की पवित्र धरा से सामाजिक समरसता का आज नया सवेरा आया है, जिसके माध्यम से पूरे प्रदेश में सामाजिक समरसता और सौहार्द्र का वातावरण और मजबूत होगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि लंबे समय तक संगठित और आजाद रहने के लिए हमें भेदभाव को दूर रखना जरूरी है। इसीलिए हमारी संस्कृति अमीरी-गरीबी और ज्ञान में कोई भेदभाव नहीं करती। उन्होंने महाभारत काल में भगवान श्रीकृष्ण और सुदामा की मित्रता का उल्लेख करते हुए कहा कि मित्रता का यह उदाहरण पूरे विश्व में अद्वितीय है। उन्होंने कहा कि सामाजिक समरसता व सदभाव की बदौलत ही हजारों वर्षों से तमाम विपरीत परिस्थितियों के बावजूद हमारा देश मजबूती के साथ खड़ा है। जिले के प्रभारी एवं जल संसाधन मंत्री तुलसीराम सिलावट, मंत्री नारायण सिंह कुशवाह, प्रद्युम्न सिंह तोमर, सांसद भारत सिंह कुशवाह, पूर्व मंत्री माया सिंह, इमरती देवी व रामनिवास रावत भी समारोह में मौजूद थे।
संस्कारों को याद रखेंगे, तो कोई तोड़ नहीं पाएगा : तोमर
विधानसभा अध्यक्ष नरेन्द्र सिंह तोमर ने कहा कि हमारे देश का अतीत अत्यंत गौरवशाली है। हमारे पूर्वजों ने हम सभी को एकात्मता के संस्कार दिए हैं। इन संस्कारों को याद रखेंगे तो कोई हमें तोड़ नहीं पाएगा और निश्चित तौर पर विश्व गुरू बनेगा। तोमर ने यह भी कहा कि नर सेवा ही नारायण सेवा है और यह हमारी संस्कृति का मूल मंत्र है। यह मंत्र अगर हम ध्यान में रखेंगे तो हमारा भीतरी आत्मतत्व प्रबल होगा। इससे सामाजिक समरसता भी मजबूत होगी।
सामाजिक समरसता हमारे खून में समाई : सिंधिया
केंद्रीय संचार एवं पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि हमारी संस्कृति व सभ्यता हजारों हजार साल पुरानी है। साथ में सामाजिक समरसता हमारे खून में समाई है। वसुधैव कुटुंबकम की भावना हमारी मूल संस्कृति है। इसी भाव के साथ प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री डॉ. यादव देश व प्रदेश को ऊंचाइयों को ले जा रहे हैं। उन्होंने कहा खुशी की बात है कि मुख्यमंत्री ने विकास की इबारत लिखने के साथ सामाजिक समरसता का पाठ पढ़ाने का काम भी किया है। सिंधिया ने कहा कि विश्व के 177 देशों में भारत के अलावा ऐसा कोई देश नहीं जहां आर्थिक एवं आध्यात्मिक शक्ति का संगम दिखाई देता हो।