कृषि कानून पर रोक से गल्ला व्यापारी चिंतित, मंडी कर्मचारियों में उत्साह

सतना सुप्रीम कोर्ट द्वारा पिछले सप्ताह केन्द्र के तीनों कृषि कानूनों में रोक लगाने के बाद जिले  की मंडियां 5 जून 2020 की स्थिति में लौट रही हैं और इसी के साथ इंसपेक्टर राज की वापसी भी लौट आई है। दो दिन पहले मंडी बोर्ड से मॉडल एक्ट  की रोक संबंधी आदेश जारी होने के बाद जहां गल्ला का कारोबार करने वाले कारोबारी एक बार फिर बेजा वसूली को लेकर आशंकित हो उठे हैं वहीं मंडी कर्मचारी और अधिकारी एक बार फिर सेटिंग बैठाने में जुट गये हैं। आदेश पहुंचने के बाद से शुरू हुई सक्रियता का आलम यह है कि कई क्षेत्रों में आनन फनन निरीक्षक भी तैनात हो गये हैं। उड़नदस्ते में नियुक्तियों के प्रयास भी शुरू हो गये हैं। इन सब के बीच मंडी में अधिक से अधिक से अनाज आये, उसकी आय बढ़े तथा किसान व व्यापारी के हितों का सरंक्षण होने जैसी बाते गौण होकर रह गई हैं।

मंडी अधिनियम 1972 प्रभावी
अब कृषि उपज मंडी प्रांगण के बाहर भी होने वाले कारोबार से मंडी टैक्स की वसूली और कार्रवाई मंडी कर्मियों के द्वारा की जा सकेगी। इसी मामले में मप्र राज्य कृषि बोर्ड के प्रबंध संचालक की ओर से दो दिन पहले एडवाइजरी होने के बाद अन्य मंडियों के साथ ही संभाग की सबसे बड़ी सतना कृषि उपज मंडी में भी कर्मचारियों और अधिकारियों की सक्रियता बढ़ गई है। 28 को जारी और 29 को सतना मंडी कार्यालय इस एजवाइजरी के पहुंचते ही मंडी में वेजा वसूली को लेकर बदनाम रहे निरीक्षक अधिक कमाई वाले क्षेत्र में अपनी तैनाती को लेकर सक्रिय हो गये और सेटिंग के बाद उनको क्षेत्र में भी दे दिये गये।

कुछ अभी भी इसके लिये प्रयास रत हैं। बताते हैं कि मनचाहा क्षेत्र पाने के लिये कई ने तो सत्तापक्ष के नेताओं तक का दबाव डलवाया है। यही नहीं उपज के निरीक्षण को लेकर गठित होने वाले उड़नदस्ते में भी जगह पाने को प्रयास जारी हैं। कहां तो यहां तक जाता है कि मंडी प्रमुख दो दिन से कोठी, जैतवारा, बिरसिंहपुर और मझगवां के फेरे भी लगा लिये हैं। बताते हैं कि शनिवार को मंडी सचिव कमलेश पाण्डेय ने सिंधी व औद्योगिक क्षेत्र में निरीक्षक केपी सिंह और प्रेम बहादुर सिंह को तैनात किया है। इसके अलावा बाजार क्षेत्र के लिये भी दो निरीक्षकों की तैनाती की बात सामने आई है।

मांग रहे 6 माह का हिसाब
मॉडल एक्ट प्रभावी होने के बाद मंडी के कर्मचारी और अधिकारी कितनी अधिक मुफलिसी में जी रहे थे कि अधिकार हाथ में आते ही उन 6 माह का हिसाब भी गल्ला व्यापारियों से मांगने लगे हैं जब व्यापारियों को बिना लाइसेंस या टैक्स मंडी के बाहर व्यापार की छूट मिली हुई थी। कई निरीक्षकों द्वारा व्यापारियों से वसूली की सेटिंग और 6 माह का बकाया मांगने की जानकारी आम होने के बाद गल्ला कारोबारियों में असंतोष देखा जा रहा है। यही नहीं पूर्व में खरीदे गये और अब गोदामों में रखे अनाज के बारे में भी पूछताछ हो रही है।

मंडी वालों को पहले यह तय करना चाहिये कि मंडी का अस्तित्व बचा रहे और अधिक से अधिक किसान अनाज लेकर मंडी आएं पर व्यवस्था सुधारने के स्थान पर सभी व्यापारियों से हिसाब लेने में जुट गये हैं। 
राजेन्द्र शर्मा, अध्यक्ष, कृषि उपज व्यापारी संघ 

जैसी सक्रियता अवैध वसूली को लेकर दिख रही है इन स्थितियों में कारोबार करना कठिन होगा। प्रशासन को व्यवस्थाएं सुनिश्चित करनर चाहिएत ताकि मंडियां पुरानी रंगत में लौट सकें। 
विनोद अग्रवाल, मंत्री, कृषि उपज व्यापारी संघ