बिना प्रवेश के ही परीक्षा के लिए पात्र हो गए 630 छात्र

रीवा | अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय में दूरवर्ती परीक्षा में जमकर लीपापोती किए जाने का मामला प्रकाश में आया है। विभिन्न महाविद्यालयों के 630 ऐसे छात्रों के एडमिट कार्ड जारी कर दिए गए जिनका प्रवेश ही नहीं है। ताज्जुब की बात यह है कि बगैर कॉलेज में प्रवेश लिए ही उनको परीक्षा के लिए कैसे एपियर कर दिया गया।

सूत्रों की मानें तो विश्वविद्यालय से सांठगांठ कर महाविद्यालय संचालकों ने बगैर फीस जमा किए ही दूरवर्ती परीक्षा के परिणाम घोषित करवाने में सफल हो गए। मामला प्रकाश में आने के बाद तत्कालीन कुलपति द्वारा एक जांच कमेटी बनाई गई। जांच समिति के समन्वयक को सहयोग न मिलने के कारण उस समय बैठक नहीं हो सकी। बाद में समन्वयक प्रभारी कुलपति नियुक्त हो गए और उनके स्थान पर डॉ. अंजली श्रीवास्तव को जांच समिति का समन्वयक मनोनीत कर दिया गया ।

गुपचुप तरीके से बनाई रिपोर्ट
दूरस्थ शिक्षा में हुए घपले की जांच कर रही इस समिति से कमरे में बैठकर जांच रिपोर्ट तैयार कराई गई। जांच रिपोर्ट में इस बात का उल्लेख किया गया कि विभिन्न विभागों द्वारा जांच समिति का सहयोग नहीं किया गया इसलिए गलती की जिम्मेदारी का निर्धारण किया जाना संभव नहीं है। समिति द्वारा यह कहकर जांच से पल्ला झाड़ लिया गया कि छात्रों के परीक्षा परिणाम शुल्क लेकर घोषित कर दिए जाएं।

कुलसचिव कार्यालय का दो वर्ष से लगा रहे थे चक्कर
दर्जन भर से ज्यादा महाविद्यालय संचालक पिछले 2 वर्ष से कुलसचिव कार्यालय का चक्कर लगा रहे थे। वर्तमान विवि प्रशासन ने उन्हें मदद का आश्वासन दे दिया। अंतत: जांच समिति का नाटक करते हुए प्रकरण का पटाक्षेप कर दिया गया। 

कैसे मिल गई परीक्षा में बैठने की अनुमति
दूरवर्ती परीक्षा के ऐसे छात्र जिन्हें किसी भी कक्षा में प्रवेश नहीं मिला तब उन्हें परीक्षा में बैठने की अनुमति कैसे मिल गई यह किसी के गले नहीं उतर रहा है। माना जा रहा है कि इस मामले में लम्बा गेम किया गया है। अन्यथा विश्वविद्यालय के बनाए गए नियमों के अनुसार जिन छात्रों का रिजल्ट जारी किया गया है उन्हें किसी भी तरह से परीक्षा में बैठने की अनुमति ही नहीं मिलनी चाहिए। जिम्मेदारों ने इस मामले में नियमों की धज्जियां उड़ा दी हैं। 

मामले में डाला गया पर्दा
जब समिति द्वारा इस बात का उल्लेख किया गया है कि विभागों द्वारा समिति का सहयोग नहीं किया गया तो विश्वविद्यालय के अधिकारियों ने विभागों के विरुद्ध कार्रवाई करने के बजाय समिति की आधी अधूरी रिपोर्ट को अंतिम मानकर प्रकरण को निराकृत कर दिया। एक तरीके से यह पूरे पर्दा डालना है और आगे चलकर इसके गंभीर परिणाम भी होंगे। विश्वविद्यालय में इस तरह यदि दूरस्थ शिक्षा का परीक्षा परिणाम घोषित किया जा रहा है तो आगे चलकर नियमित पाठ्यक्रमों में भी यही स्थिति उत्पन्न होगी और विश्वविद्यालय की परीक्षा व्यवस्था पूरी की पूरी चरमरा जाएगी। उच्च शिक्षा से जुड़े लोगों ने विश्वविद्यालय की गिरती गरिमा पर चिंता व्यक्त की है।