चेम्बर परिसर में हंगामा, दरवाजे पर ही धरने पर बैठ गये सुवोध गोयल
सतना | कभी शुद्ध व्यापारिक संस्था रही विन्ध्य चेम्बर को पिछले एक दशक से ऐसा राजनीतिक रंग चढ़ा है कि वह किसी न किसी बहाने चर्चाओं में रहती है। गुरुवार दोपहर भी चेम्बर के इतिहास में पहली घटना हुई जब शहर के एक प्रतिष्ठित व्यवसायी व गल्ला तिलहन व्यापारी संघ के पूर्व पदाधिकारी सुवोध गोयल संस्था कार्यालय के प्रवेश द्वार पर धरने पर ही बैठ गये। सदस्या शुल्क जमा कराने को लेकर पहले उन्होंने संस्था के अध्यक्ष से बात की और जब बात नहीं बनी तो आंदोलन शुरू कर दिया। इसके बाद उनकी सूचना पर विपक्ष के कई व्यापारी नेता भी पहुंच गये। नारेबाजी भी हुई और करीब तीन घंटे चले इस तमाशे का पटाक्षेप भी पूर्व अध्यक्षों के हस्ताक्षेप के बाद हो गया।
चेक को लेकर यूं बढ़ी बात
बताते हैं कि चेम्बर में एक दशक से सदस्य संस्था के नाम वाले बैंक खाते का ही चेक लेने की व्यवस्था चली आ रही है। गुरुवार को सुवोध गोयल अपने प्रतिष्ठान का सदस्यता शुल्क जमा करने चेम्बर कार्यालय पहुंचे थे। उनका चेक युनिसेफ इंजीनियर्स के नाम वाले खाता का था जबकि चेम्बर में जो फर्म सदस्य है वह युनिसेफ इंजीनियरिंग के नाम से है। पता चला है कि नाम में अंतर होने के चलते कार्यालय के कर्मचारियों ने चेक लेने से मना कर दिया। इसके बाद श्री गोयल ने संस्था के अध्यक्ष द्वारिका गुप्ता से बात की।
उन्होंने यह भी बताया कि उनकी फर्म 40 सालों से चेम्बर की सदस्य है। श्री गुप्ता से बात करने के बाद भी वे संतुष्ट नहीं हुए और संस्था के प्रवेश द्वार पर ही धरने पर बैठ गये। इसकी सूचना मिलने के बाद चेम्बर में मौजूदा विपक्ष की भूमिका में पहचान रखने वाले पूर्व चेम्बर पदाधिकारी सीएमए मंत्री संदीप जैन, एसएमटीए महामंत्री संजय गुप्ता,चेम्बर के ही पूर्व वरिष्ठ उपाध्यक्ष सुरेश बड़ेरियास मनोज बलेचा और आनंद अग्रवाल भी चेम्बर पहुंच गये। वैसे सूचना तो काफी लोगों तक पहुंची पर इनके अलावा अन्य लोग नहीं पहुंचे।
इस हंगामें की जरूरत ही नहीं थी
करीब तीन घंटे चलते रहे इस धरना रूपी ड्रामें का पटाक्षेप आखिर संस्था के दो पूर्व अध्यक्षों के हस्ताक्षेप के बाद हो गया। संस्था के अध्यक्ष के कहने पर कर्मचारियों ने चेक लेकर रसीद काट दी। अब इस चेक को स्वीकार करने या न करने का निर्णय कार्यकारिणी को करना है। वैसे गलत नाम का चेक न लेने का मामला नया नहीं हैं। संस्था का नियम है और नाम में सुधार एक सादे आवेदन से हो जाता है। चेम्बर अध्यक्ष श्री गुप्ता ने भी फोन पर यही रास्ता सुझाया था।
सूत्रों का कहना है कि संस्था में उपलब्ध रिकार्डों के अनुसार युनिसेफ इंजीनियरिंग फर्म के नाम 2012 से मतदान हो रहा है। यदि उसका नाम युनिसेफ इंजीनियर्स है तो इसका यही आशय हुआ कि इसके पहले अपनो को पहचान कर गलत तरीके से चेक लिये जाते रहे हैं। पिछले दिनों सीएमए मंत्री संदीप जैन ने भी अपनी फर्म कुशल ट्रेडिंग कम्पनी का नाम श्री कुशल ट्रेडिंग कम्पनी और सुरेश बड़ेरिया ने भी अपनी फर्म के नाम में सुधार कराया है।
इनके द्वारा इसके लिये आवेदन भी दिये गये हैं। फिर श्री गोयल को आवेदन में क्या आपत्ति हो सकती है। चर्चा है कि चेम्बर में प्रवेश और सदस्यता शुल्क जमा न होने के बाद भी मतदान का अधिकार प्राप्त संस्थाओं में श्री गोयल की दो फर्में जीएन सम्मान एसोसियेट और सिंडिका वायो एग्रोटेक भी शामिल हैं। बार-बार जानकारी मांगने के बाद भी इनकी जानकारी चेम्बर तक नहीं पहुंची। चेम्बर में चल रही राजनीति में रुचि रखने वाले आज के घटना क्रम को इन्हीं दो मामलों से जोड़कर देख रहे हैं।