आनलाइन पढ़ाई से तंग अभिभावक, क्लास लगती नहीं फिर भी मांग रहे हैं फीस
सतना | वायरस संक्रमण के दौर में जब सब कुछ बंद है तब निजी स्कूल आनलाइन पढ़ाई का ढकोसला कर रहीं हैं। इन स्कूलों के संचालक नए.नए कमाई के फंडे तलाश रहे हैं। अंकुश लगाने कई मर्तबा तंत्र और जिम्मेदारों ने हंटर चलाया पर अंडर टेबल की कमाई में सब ढाक के तीन पात साबित हुआ। अब इन स्कूलों ने आनलाइन कक्षाओं के लिए फीस की डिमांड कर दी है, जिसे लेकर अभिभावक नाराज है। ज्ञापन और शिकायत का दौर भी चल पड़ा है इसके बाद भी निजी स्कूलों का पलड़ा भारी नजर आ रहा है। वजह प्रशासनिक मदद नहीं मिल पा रही है।
बढ़ रहा आक्रोश
निजी स्कूलों की मनमानी को लेकर पालकों का आक्रोश बढ़ रहा है। आनलाइन पढ़ाई के नाम पर फीस भी मांग रहे हैं। इस पर पालक सवाल कर रहे हैं कि जब कक्षाओं का संचालन नहीं हो रहा है तो फीस किस बात की? यह संचालक नहीं मान रहे। परेशान पालकों ने बुधवार को जिला शिक्षा अधिकारी से भेंट की। इस दौरान निजी विद्यालयों द्वारा की जा रही फीस वसूली पर आपत्ति दर्ज कराई। उन्होने ज्ञापन भी सौपा। ज्ञापन में अभिभावक संघ ने मांग की। उन्होने कहा कि आनलाइन कक्षाओं का समय कम किया जाय। ट्यूशन फीस न्यूनतम ली जाय क्योंकि फीजिकल कक्षाओं का संचालन नहीं हो रहा है। यही नहीं तीन गुनी ट्यूशन फीस वसूली जा रही है इसे तत्काल बंद की जाय। इन मांगों पर विचार करते हुए जिला शिक्षा अधिकारी ने जांच करा कर कार्रवाई करने के लिए पालकों को आश्वस्त किया।
रिमूव कर दिए विद्यार्थी
नलाइन कक्षाओं के नाम पर ढकोसलेबाजी कर रहीं निजी स्कूलों का रवैया अब बिगड़ैल हो चुका है। अभिभावक संघ ने बताया कि जिन बच्चों की फीस जमा नहीं हो रही हैं उन्हे आनलाइन ग्रुपों से बाहर कर दिया जा रहा है। इसके अलावा पढ़ाई के लिए जो आनलाइन ग्रुप बने हैं उनमें फीस वसूली की जा रही है इससे विद्यार्थियों के दिमाग में बुरा असर पड़ रहा है। ज्ञापन में कहा कि एनसीईआरटी की जगह अन्य प्रकाशनों की पुस्तकों पर भी अंकुश लगाया जाय।
कुछ दिनों पहले स्कूल संचालक ने फीस जमा करने के लिए मैसेज आया लेकिन मैं आर्थिक संकट की वजह से जमा नहीं कर सके। इस वजह से बच्चे को आनलाइन ग्रुप से बाहर कर दिया गया. इसके अलावा यह भी पूछा गया कि किस बात की फीस है तो संचालक ने जवाब तक नहीं दिया।
ब्रजेन्द्र अग्निहोत्री, अभिभावक
कोरोना महामारी के कारण अभिभावकों की परेशानी को देखते हुए डीईओ से बात की गई है.फीस तिगुनी ली जा रही है यह तब जब आदेश नहीं आया है. एनसीईआरटी की जगह अन्य प्रकाशन की पुस्तकें चला रहे हैं इससे इस कोरोना काल में बोझ बढ़ रहा है; इससे निजात पाने के प्रयास में लेकिन मदद नहीं मिल रही है।
विजय देवसेना, अध्यक्ष, अभिभावक संघ