बस ऑनर्स एसो. का कब्जा हटाना सबसे चुनौती पूर्ण पर आसान काम था: एसडीएम
सतना | बस आॅनर्स एसोसिएशन के अवैध कब्जों को हटाना जितना चुनौती पूर्ण नजर आ रहा था वह मेरे लिए उतना ही आसान काम रहा है। प्रदेश के अन्य जिलों के मुकाबले विंध्य अपने आप में टिफिकल है। यह बात रामपुर बाघेलान एसडीएम संस्कृति शर्मा ने स्टार समाचार से चर्चा के दौरान कही। एसडीएम सुश्री शर्मा के साथ हुई विस्तृत बातचीत के कुछ अंश यहां पेश हैं-
स्टार: अपने तीन साल के अल्प कार्यकाल की क्या उपलब्धि मानती हैं?
संस्कृति : शहर की पहली महिला सिटी मजिस्ट्रेट बनने का मौका मिला। इस दौरान काम के दौरान प्रेशर हैंडल करना व अन्य सीख मिली वहीं एक पहचान भी मिली।
स्टार : अब तक के कार्यकाल की चुनौतियां क्या रहीं?
संस्कृति : वैसे हर काम में चुनौतियां होती हैं। खासकर तब और जब आपको स्वयं शुरू से सीखना हो और उसके बाद काम करना हो, यदि काम के दौरान चुनौतियों की बात करूं तो बस स्टैंड में बस आॅनर्स एसोसिएशन का अवैध कब्जा हटाना, धवारी मोड़ का अतिक्रमण व खंूथी मोहल्ले के अतिक्रमण हटाने के अलावा लोकसभा व विधानसभा चुनाव के दौरान लोगों की ड्यूटी लगाने का काम मेरे पास था, उस दौरान समय का कोई ठिकाना नहीं था, यह भी एक चुनौती पूर्ण काम था।
स्टार : सबसे आसान काम क्या नजर आया?
संस्कृति : बस आॅनर्स एसोसिएशन का अवैध कब्जा हटाना जितना चुनौतीपूर्ण लग रहा था, वह उतना ही आसान रहा। कुछ यही हाल अवैध क्रेशरों के खिलाफ कार्रवाई के दौरान भी रहा है। कोई भी कार्रवाई तब और आसान हो जाती है जब वरिष्ठ अधिकारियों का भरोसा आप पर हो।
स्टार : काम के दौरान राजनैतिक दखल व प्रेशर कितना आता है?
संस्कृति : यदि मैं यह कहूं कि राजनैतिक दखल व प्रेशर काम के दौरान नहीं होता तो गलत होगा। विंध्य को वैसे भी प्रदेश के अन्य जिलों के मुकाबले सबसे टिपिकल माना जाता है। यहां काम में राजनैतिक दखल व दबाव आमबात है लेकिन इस प्रेशर के बीच अपना काम हमें नियम-कायदों में रहकर करना होता है।
स्टार : सतना में कहां- कहां सेवाएं दीं?
संस्कृति : मेरी पहली पदस्थापना ही दिसम्बर 2017 में बतौर डिप्टी कलेक्टर सतना कलेक्ट्रेट मे हुई थी। कलेक्ट्रेट की विभिन्न शाखाओं की विभागाध्यक्ष रही हूं। मौजूदा समय में पिछले एक साल से एसडीएम रामपुर बाघेलान हूं। इसके पहले उचेहरा में बतौर एसडीएम पहली पोस्टिंग हुई थी। दो माह के लिए एसडीएम नागौद और महज एक दिनों के लिए मैहर एसडीएम भी रही हूं।
स्टार : शुरू से ही सिविल सर्विस में जाना चाहती थीं?
संस्कृति : कॉलेज के दौरान इस बात का फैसला किया कि मुझे सिविल सर्विस में जाना है। यूपीएससी की तैयारी दिल्ली में की।
स्टार : आपके शौक?
संस्कृति : वैसे तो कोई विशेष शौक नहीं है लेकिन खेलों में बॉलीबॉल खेलना और संगीत सुनना मुझे पसंद है।
स्टार : कोई नवाचार करने का प्रयास?
संस्कृति : नवाचार तो नहीं कह सकते, हम सबकी यह जिम्मेदारी है कि शासन की योजनाएं जिन लोगों के लिए बनी हैं उसका लाभ जरूरतमंदों को मिले इसके लिए लगातार प्रयास किए जाते हैं। समय- समय पर लोगों के बीच जाकर उनकी समस्याओं के समाधान का भी प्रयास किया जाता है।