एमप्लस एनर्जी मेडिकल कॉलेज को दे रही 55सौ यूनिट बिजली
रीवा | श्यामशाह चिकित्सा महाविद्यालय एवं गुड़गांव की सोलर कंपनी के बीच किए गए अनुबंध के बाद 11 भवनों के छत पर सोलर पैनल से बिजली का उत्पादन शुरू हो गया है। 55सौ यूनिट प्रतिदिन बनने वाली बिजली से कॉलेज प्रबंधन को प्रति वर्ष पौने दो करोड़ रुपए की सीधी बचत होने लगी है। दो माह से शुरू हुए सोलर से बिजली के उत्पादन के बाद ग्रिड से आने वाली बिजली के बिल में काफी कमी आई है। माना यह जा रहा है कि कॉलेज प्रबंधन को बिजली की इस बचत के बाद शेष राशि से आवश्यक उपकरण एवं अस्पताल के बेहतर व्यवस्थाओं में लगाया जाएगा।
गौरतलब है कि श्यामशाह चिकित्सा महाविद्यालय एवं एसजीएमएच, जीएमएच तथा पीजी हॉस्टलों में लगाए गए सोलर पैनल की बिजली का उत्पादन शुरू हो जाने के बाद अब ग्रिड से बहुत कम मात्रा में बिजली की सप्लाई की जा रही है। गुड़गांव की कंपनी एम प्लस एनर्जी सल्यूशन प्राइवेट लिमिटेड ने मेडिकल कॉलेज अंतर्गत 11 भवनों में जो सोलर पैनल लगाए हैं, उसमें 9 करोड़ रुपए की लागत बताई गई है। 25 वर्षों तक कंपनी एवं मेडिकल प्रबंधन के बीच किए गए अनुबंध के बाद जहां कंपनी को भी घाटा नहीं उठाना पड़ेगा, वहीं कॉलेज प्रबंधन बिजली से आने वाले खर्च में प्रति वर्ष पौने 2 करोड़ रुपए की बचत करेगा।
प्रति यूनिट 1.78 रुपए की दर
श्यामशाह चिकित्सा महाविद्यालय, संजय गांधी अस्पताल सहित 11 भवनों में गुड़गांव की जिस सोलर कंपनी ने पैनल लगाकर बिजली का उत्पादन शुरू किया है, उसके द्वारा मेडिकल कॉलेज प्रबंधन को 1 रुपए 78 पैसे प्रति यूनिट की दर से बिजली की सप्लाई करेगा। प्रतिदिन 55सौ यूनिट बनने वाली बिजली अस्पताल को दी जाएगी। जिसकी कीमत मात्र 9 हजार 790 रुपए होती है। वहीं इसके पूर्व ग्रिड से मिलने वाली बिजली की कीमत 49 हजार 500 रुपए प्रतिदिन की बताई गई है। इतने सस्ते दर पर मिलने वाली बिजली से कॉलेज प्रबंधन प्रति वर्ष करोड़ों रुपए की बचत करेगा।
मेडिकल कॉलेज, संजय गांधी अस्पताल सहित 11 भवनों पर लगाए गए सोलर एवं बिजली उत्पादन के लिए अलग-अलग ग्रिड बनाए गए हैं। जिनमें उत्पादित बिजली ग्रिड में जाती है एवं उसके बाद वह अस्पताल तथा अन्य स्थानों के लिए परिवर्तित कर दी जाती है। खास बात यह है कि जो बिजली सोलर से बनती है, उसकी रकम कंपनी अस्पताल प्रबंधन से लेती है। कंपनी के आधिकारिक सूत्रों के हवाले से दी गई जानकारी में बताया गया है कि कभी अगर सोलर से बनने वाली बिजली अस्पताल के उपयोग से ज्यादा हो गई तो वह सीधे बिजली कंपनी के ग्रिड में जाएगी। जो अस्पताल को आने वाले बिल में कम कर राशि ली जाएगी।
ग्रिड से भी आ रही बिजली
एम प्लस सोलर एनर्जी ने श्यामशाह चिकित्सा महाविद्यालय के जिन 11 भवनों में सोलर पैनल लगाकर बिजली का उत्पादन शुरू किया है उससे प्रतिदिन बनने वाली 55सौ यूनिट बिजली अस्पताल प्रबंधन के लिए काफी नहीं है। ऐसे में इससे ज्यादा जो बिजली का खपत आ रहा है, वह ग्रिड से पूरी की जा रही है। हालांकि अभी पूरी तरह से अस्पताल प्रबंधन ग्रिड की बिजली पर निर्भर था परंतु सोलर से बनने वाली बिजली के बाद आधे से कम की सप्लाई ग्रिड से हो गई है।
9 रुपए प्रति यूनिट बिजली की दर
श्यामशाह चिकित्सा महाविद्यालय को ग्रिड से दी जाने वाली बिजली की दर 9 रुपए प्रति यूनिट बताई गई है। जबकि गुड़गांव की कंपनी एम प्लस द्वारा सोलर प्लांट से बनने वाली बिजली जो कॉलेज प्रबंधन को सप्लाई की जाएगी, उसकी दर 1.78 रुपए बताया गया है। ऐसे में ग्रिड की बिजली से सोलर की बिजली की कीमत चार गुना कम है।