रीवा के संजय गांधी हॉस्पिटल में खुले में बायोमेडिकल वेस्ट का ढेर, जान का खतरा बना इलाज का ठिकाना!

रीवा के संजय गांधी अस्पताल में खुले में बायोमेडिकल वेस्ट फेंका जा रहा है, जिससे मरीजों, कर्मचारियों और आम लोगों की जान खतरे में पड़ गई है। अस्पताल प्रबंधन इस गंभीर लापरवाही से अनजान होने का दावा कर रहा है। नियमों के तहत ऐसे मामलों में अस्पताल पर जुर्माना, कानूनी कार्रवाई और लाइसेंस रद्द तक हो सकता है।

रीवा के संजय गांधी हॉस्पिटल में खुले में बायोमेडिकल वेस्ट का ढेर, जान का खतरा बना इलाज का ठिकाना!

जहां जिंदगियां बचाई जाती हैं, अगर वही जगह ज़िंदगी के लिए खतरा बन जाए, तो आप क्या कहेंगे? कुछ ऐसा ही देखने को मिला है मध्य प्रदेश के रीवा जिले के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल संजय गांधी हॉस्पिटल में, जहां बायोमेडिकल वेस्ट को खुले में फेंका जा रहा है — बिना किसी सेग्रेगेशन या सुरक्षा के।

हमारे कैमरे ने जो तस्वीरें कैद की हैं, वो बेहद चिंताजनक हैं। अस्पताल परिसर के पीछे खुले में पड़े हुए इन्फेक्टेड इंजेक्शन, खून से सनी पट्टियाँ, ब्लड बैग्स और मेडिकल कचरे को देखकर ये सवाल उठना लाजिमी है — क्या ये एक अस्पताल है या किसी बीमारी का अड्डा?

पुराना है लापरवाही का ये सिलसिला
गौरतलब है कि ये पहली बार नहीं है जब इस तरह की लापरवाही सामने आई है। एक साल पहले भी हमारी टीम ने रीवा के प्रमुख अस्पतालों का सर्वे किया था, जिसमें संजय गांधी हॉस्पिटल की स्थिति सबसे खराब पाई गई थी। उस वक्त भी अस्पताल प्रशासन को इसकी जानकारी दी गई थी, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।

इस बार जब हमने दोबारा अस्पताल जाकर देखा, तो हालात ज्यों के त्यों थे।

डीन को नहीं है जानकारी!
जब इस मामले पर हमने हॉस्पिटल के डीन डॉ. सुनील अग्रवाल से बात की तो उनका जवाब और भी चौंकाने वाला था। उन्होंने साफ-साफ कहा कि उन्हें इस बारे में कोई जानकारी नहीं है। जब हमने वीडियो फुटेज और तस्वीरें दिखाईं, तो उन्होंने इसे मानने से ही इनकार कर दिया।

यह सोचने वाली बात है कि एक साल से यह कचरा खुले में फेंका जा रहा है और अस्पताल प्रशासन — खासकर डीन — को इसकी भनक तक नहीं।

क्या होता है बायोमेडिकल वेस्ट और क्यों है ये खतरनाक?
बायोमेडिकल वेस्ट यानी अस्पतालों, लैब्स और मेडिकल संस्थानों से निकलने वाला ऐसा कचरा जिसमें शामिल होते हैं. खून से सना सामान (गौज, पट्टियाँ आदि), इंजेक्शन और इस्तेमाल की गई नीडल्स, ब्लड बैग्स, संक्रमित मेडिकल इक्विपमेंट, ऑपरेशन के बाद निकलने वाला जैविक अवशेष. ये कचरा अत्यंत संक्रामक होता है। यदि ये खुले में पड़ा हो और किसी व्यक्ति या जानवर को इससे चोट लग जाए या संपर्क हो जाए, तो वह व्यक्ति HIV, हेपेटाइटिस B और C, टायफाइड, टीबी जैसी गंभीर बीमारियों का शिकार हो सकता है।

सरकारी नियम क्या कहते हैं?
भारत सरकार ने Bio-Medical Waste Management Rules, 2016 के तहत बेहद सख्त नियम बनाए हैं. अगर कोई अस्पताल इन नियमों का पालन नहीं करता है, तो उस पर न सिर्फ भारी जुर्माना लगाया जा सकता है, बल्कि उस पर कानूनी कार्रवाई भी हो सकती है। गंभीर मामलों में तो अस्पताल का लाइसेंस तक रद्द किया जा सकता है या अस्पताल को बंद करने की नौबत आ सकती है।"

प्रशासन की ज़िम्मेदारी कौन लेगा?
अस्पताल में क्या हो रहा है, इसकी ज़िम्मेदारी सिर्फ डॉक्टरों की नहीं बल्कि डीन और प्रशासन की भी होती है। डीन का काम सिर्फ शैक्षणिक नेतृत्व देना नहीं, बल्कि अस्पताल की व्यवस्थाओं की निगरानी और प्रबंधन भी करना होता है। ऐसे में अगर वह खुद अनभिज्ञ हैं, तो सवाल उठता है कि वहां स्वास्थ्य सेवाएं किसके भरोसे चल रही हैं?

संजय गांधी हॉस्पिटल के पीछे पड़ा बायोमेडिकल वेस्ट की कुछ तस्वीरें