विश्व एड्स दिवस: डेढ़ गुना कम सामने आए एचआईवी के मरीज
सतना | जन जागरूकता अभियान के बावजूद साल दर साल एड्स मरीजों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है। रोकथाम के लिए स्वास्थ्य विभाग की ओर से प्रयास तो खूब हो रहे हैं बावजूद इसके हर साल एचआईवी के मरीजों की संख्या बढ़ जाती है। हालांकि वर्ष 2020 में मरीजों की संख्या विगत वर्षों की तुलना में डेढ़ गुना कम हुई है लेकिन जानकार बताते हैं कि इसका कारण यह नहीं है कि मरीज कम मिल रहे हैं बल्कि इसका कारण यह है कि एचआईवी जांच में भी कोविड संक्रमण का साया रहा जिससे अपेक्षित संख्या में एचआईवी जांच उस अनुपात में नहीं हो सकी जिस अनुपात में विगत वर्षों में होती थी ।
बहरहाल वर्ष 2012 से लेकर अब तक जिले में मरीजों की संख्या 5 सौ का आंकड़ा छूने को बेताब है। आज 1 दिसंबर को वर्ल्ड एड्स-डे की पूर्व संध्या पर स्टार समाचार ने एचआईबी के संबंध में जानकारी हासिल की तो पता चला कि इस साल 23 नए एचआईवी पाजिटिव मरीज दर्ज किए गए हैं । इस संख्या के साथ ही अब जिले में एचआईवी मरीजों की कुल संख्या 498 तक पहुंच गई है। माना जा रहा है कि वर्षांत तक यह आंकड़ा पांच सौ को पार कर जाएगा।
3 का चल रहा अस्पताल में इलाज
मौजूदा वर्ष में जो जांचे हुई हैं उनमे से 23 मरीज एचआईवी संक्रमित हैं। इनमे से तीन एचआईवी पाजिटिव मरीज ऐसे भी हैं जो एचआईवी संक्रमण के साथ साथ टीबी रोग से भी ग्रस्त हैं। इन तीन मरीजों का इलाज जिला अस्पताल में कियाजा रहा है जबकि अन्य मरीजों को समय-समय पर चिकित्सकीय परामर्श और दवाइयां जिला अस्पताल प्रबंधन मुहैया करा रहा है।
गर्भवती महिलाएं भी चपेट में
प्रसव पूर्व जांच कराने जिला अस्पताल पहुंचने वाली महिलाओं पर उस वक्त पहाड़ टूट पड़ता है जब उन्हें मालूम होता है कि वह एचआईवी बीमारी से पीड़ित है। बीते वर्षो की अपेक्षा गर्भवती महिलाओं में एचआईवी की बीमारी काफी ज्यादा बढ़ गई। बता दें कि वर्ष 2002-2015 तक जहां 8 महिलाओं की जांच पॉजटिव आई तो वहीं वर्ष 2020 में 13 महिलाएं इस बीमारी की चपेट में आ चुकी है। गौरतलब है कि जिला अस्पताल से लेकर हर प्रसव केंद्र पर एचआईवी टेस्ट के बिना डिलीवरी कराने का प्रावधान नहीं है।
अभियान पर भी सवाल
एड्स से बचाव और लोगो को जागरुक करने के लिए सरकारें व संगठन लगातार अभियान जरुर अभियान चला रहे है। मगर देखने वाली बात यह है कि इसका असर लोगो पर कितना हो रहा है। साल दर साल बढ़ रही मरीजों की संख्या और बेकाबू होती बीमारी के चलते इन अभियानों पर भी प्रश्न चिन्ह खड़ा हो गया। अगर लोगो को जागरुक किया जा रहा है तो फिर मरीजों की संख्या में इजाफा कैसे हो रहा है। जाहिर है सिर्फ कागजों,दीवारों और सार्वजनिक जगह तक ही यह अभियान सिमट कर रह गए है।
इस वर्ष एड्स रोगियों की संख्या विगत वर्षों की तुलना में कम दर्ज हुई है। इस साल कुल 23 एचआईवी संक्रमित मिले हैं जिनमें से टीबी रोग से ग्रस्त तीन मरीजों का इलाज जिला अस्पताल में कराया जा रहा है। संक्रमण काल के कारण इस मर्तबा एड्स जागरूकता रैली जैसे कार्यक्रम स्थगित हैं।
डा. पीसी नोतवानी, नोडल अधिकारी एचआईवी