अब सहकारी बैंक देंगे शादी-ब्याह के लिये कर्ज
सतना। अभी तक अपने सदस्य किसानों को खाद और बीज के लिये ऋण उपलब्ध कराने वाले सहकारी बैंक अब सहकारी समितियों के माध्यम से घरेलू खर्च से लेकर शादी-ब्याह जैसे उत्सव के लिये भी आर्थिक मदद करेगा । सूत्रों का कहना है कि सहकारी बैंकों में माइक्रो फाइनेंस की शुरूआत करने की योजना है। यह व्यवस्था वित्तीय वर्ष की शुरूआत से हो सकती है। ऋण लेने की यह सुविधा समितियों के उन्हीं सदस्यों को मिलेगी जो नियमित तौर पर कर्ज की अदायगी करते आ रहे थे। नई व्यवस्था का उद्देश्य छोटे किसानों को गांव के साहूकारों से बचाना है जो मोटे ब्याज पर कर्ज देते थे और इसके बदले कोई न कोई चीज गिरवी रख लेते थे।
बन रही नई व्यवस्था
सूत्रों का कहना है कि इसके तहत चार हजार से ज्यादा सहकारी संस्थाओं के माध्यम से किसानों को घरेलू खर्च, शादी-ब्याह जैसे अन्य जरूरी खर्च के लिए कर्ज दिलवाया जाएगा। हालांकि इसका फायदा सिर्फ उन्हीं सदस्य किसानों को मिलेगा, जो नियमित रूप से कर्ज की अदायगी करते हैं। इनसे ही इस व्यवस्था की शुरूआत होगी। यह राशि लागत ब्याज दर पर दी जाएगी यानी सिर्फ उतना ही ब्याज किसान से लिया जाएगा, जितना समिति को चुकाना होगा।
खेती की लागत घटाने के लिए प्रदेश सरकार प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियों के माध्यम से किसानों को शून्य प्रतिशत ब्याज दर पर अल्पकालीन कृषि ऋण देती हैं। हर साल दस हजार करोड़ रुपये के आसपास कर्ज दिया जाता है। जो किसान समय पर कर्ज चुका देते हैं, उन्हें फिर से ऋण लेने की पात्रता मिल जाती है। कर्ज में नकदी के साथ खाद-बीज भी दिया जाता है। इस व्यवस्था से किसानों का खेती का काम तो चल जाता है पर घरेलू खर्च के लिए स्थानीय साहूकारों से ही ऊंची ब्याज दर पर ऋण लेना पड़ता है।
लिया जा चुका है नीतिगत निर्णय
सूत्रों का कहना है कि सहकारिता मंत्री की अध्यक्षता में पिछले सप्ताह हुई विभागीय समीक्षा बैठक में इस प्रस्ताव पर नीतिगत निर्णय लिया जा चुका है। बताते हैं कि नए वित्तीय वर्ष से उन सहकारी बैंकों में इसकी शुरूआत की जाएगी, जिनकी वित्तीय स्थिति बेहतर है। अभी किसानों को सहकारी समितियों के माध्यम से शून्य प्रतिशत ब्याज दर पर जो ऋण उपलब्ध करवाया जा रहा है उसकी लागत 11 फीसद आती है।
पांच प्रतिशत ब्याज की भरपाई केंद्र सरकार द्वारा दिए जाने वाले अनुदान से होती है तो बाकी छह प्रतिशत की पूर्ति राज्य सरकार अपने बजट से करती है। इसके लिए बैंकों को ब्याज अनुदान दिया जाता है। सूत्रों का कहना है कि माइक्रो फाइनेंस में लगभग इसी ब्याज दर पर ऋण उपलब्ध कराया जाएगा। इस संबंध में जानकारी के लिये सहकारी बैंक के संबंधित अधिकारियों से बात करने का प्रयास किया गया पर सफलता नहीं मिली।