बुजुर्गों के अपमान पर इंदौर कलेक्टर ने मांगी माफी

भोपाल | बुजुर्गों को डंपर में भरकर फेंकने के मामले में इंदौर प्रशासन की किरकिरी के बाद अधिकारी अब भगवान की शरण में पहुंच गए हैं। कलेक्टर मनीष सिंह ने रविवार को संकट चतुर्थी के मौके पर खजराना गणेश से इसके लिए माफी मांगी है। उन्होंने कहा, बुजुर्गों के साथ दुर्व्यवहार पूरी तरह गलत था, क्योंकि अधिकारी होने के नाते ये हमारी जिम्मेदारी भी बनती है कि ऐसा नहीं होना चाहिए था। खजराना गणेश मंदिर की प्रबंध समिति के अध्यक्ष के नाते कलेक्टर मनीष सिंह रविवार को मंदिर पहुंचे। यहां उन्होंने ध्वज पूजन किया। इस दौरान आईजी हरिनारायण चारी मिश्र समेत अन्य अधिकारी भी मौजूद थे। ध्वज पूजन के साथ ही भगवान गणेश को 51 हजार लड्डुओं का भोग लगाया गया।

गौरतलब है, स्वच्छता रैंकिंग में लगातार चार बार नंबर वन रहे इंदौर में शुक्रवार को शर्मसार करने वाली तस्वीर सामने आई थी। नगर निगम के कर्मचारी बूढ़े भिखारियों को डंपर में मवेशियों की तरह भरकर शहर के बाहर छोड़ आए। लोगों ने कर्मचारियों को विरोध किया, तो उन्होंने बुजुर्गों को वापस डंपर में बैठाया। 

मेडिकल चेकअप भी होगा
संभागायुक्त ने कहा कि एक मोबाइल वैन के जरिए इनका मेडिकल चेकअप भी कराएं। ऐसे भिक्षुक जो मानसिक रूप से अस्वस्थ नजर आएं, उन पर विशेष ध्यान दिया जाए। दरअसल, तीन दिन पहले इंदौर में नगर निगम की टीम ने बेसहारा बुजुर्ग भिक्षुकों को गाड़ी में भरकर इंदौर-देवास बायपास रोड पर शहर के बाहर पटक दिया। इस घटनाक्रम का वीडियो वायरल होने के बाद समाज में हर जगह इसकी निंदा शुरू हो गई। मीडिया में भी यह मामला प्रमुखता से उठाया गया। विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने भी इस मामले को हाथोहाथ लेकर सरकार अधिकारियों के इस रवैए को लेकर सरकार को कठघरे में खड़ा किया। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान तक शिकायत पहुंची तो वे भी नाराज हुए। उनके निर्देश के बाद निगम के रैन-बसेरा प्रभारी उपायुक्त प्रतापसिंह सोलंकी को निलंबित कर दिया गया और दो मस्टरकर्मियों बृजेश लश्करी और विश्वास वाजपेयी को नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया।

नगर निगम की टीम द्वारा भिक्षुकों और बेसहारा बुजुर्गों को अमानवीय तरीके से उठाकर शहर से बाहर भेजने के मामले के तूल पकड़ने के बाद अब हर जिला प्रशासन को संवेदनशीलता याद दिलाई जा रही है। इसी सिलसिले में रविवार को संभागायुक्त डॉ. पवन शर्मा ने वीडियो कांफे्रंसिंग के जरिए संभाग के आठों जिलों के कलेक्टरों से चर्चा की। उन्होंने इंदौर सहित पूरे संभाग में भिक्षुकों के बेहतर पुनर्वास के निर्देश दिए हैं।

संभागायुक्त ने कहा कि हर जिले में शाम चार बजे से यह देखें कि उनके क्षेत्र में कहीं भिक्षुक बेसहारा तो नहीं हैं? उन्हें पूरी संवेदनशीलता और मानवीयता के साथ रैन-बसेरा में शिफ्ट किया जाए। जहां रैन-बसेरा नहीं है, वहां सामाजिक न्याय विभाग की सहायता से अन्य उपयुक्त स्थल का चयन किया जाए। संभागायुक्त ने यह भी कहा कि रैन बसेरों में भोजन और सोने की उम्दा व्यवस्थाएं सुनिश्चित होनी चाहिए। ठंड को देखते हुए अलाव की व्यवस्था भी होनी चाहिए।

भोजन की नहीं है व्यवस्था
उधर, नगर निगम के अतिरिक्त आयुक्त अभय राजनगांवकर ने दावा किया, 'केवल छह बुजुर्गों को इंदौर से बाहर ले जाया गया था और इतने ही लोगों को वापस शहर में लाया गया। इनमें से तीन लोगों को रैन बसेरों में रखा गया है, जबकि तीन अन्य लोग शहर वापसी के बाद अपनी मर्जी से हमारी गाड़ी से उतरकर चले गए हैं।'  अधिकारियों ने बताया कि शहर के अलग-अलग स्थानों पर 10 रैन बसेरे चल रहे हैं और बेघर लोगों को कड़ाके की ठंड से बचाने के लिए इन आश्रय स्थलों में भेजा जा रहा है। अधिकारियों ने हालांकि बताया कि फिलहाल इन रैन बसेरों में केवल 76 लोग रुके हैं। जानकार सूत्रों के मुताबिक बेसहारा लोग इन रैन बसेरों में रुकने में इसलिए रुचि नहीं दिखाते क्योंकि वहां इनके भोजन की कोई स्थायी व्यवस्था नहीं होती और पेट की आग बुझाने के लिए इन्हें दूसरे स्थानों पर जाना पड़ता है।

जरुरतमंद बुजुर्गों का मुफ्त कराया जाएगा घुटनों व कूल्हों का प्रत्यारोपण  

अरिहंत चेरिटेबल ट्रस्ट द्वारा 117 जरुरतमंद बुजुर्गों का घुटनों व कूल्हों का मुफ्त प्रत्यारोपण किया जाएगा। इसके लिए 21 फरवरी को शिविर लगाया जाएगा। शिविर में समग्र समाज का कोई भी 50 वर्ष से अधिक उम्र का व्यक्ति भाग ले सकता है। शिविर की प्रचार सामग्री का विमोचन किया गया। प्रत्यारोपण शिविर के बैनर का विमोचन करते सांसद शंकर लालवानी ने कहा की कोई व्यक्ति जो शारीरिक रूप से अयोग्य है, घुटनों में अत्यधिक पीड़ा है या कूल्हे खराब होने से चल फिर पाना दूभर है। वह अपने परिवार की देखभाल नहीं कर सकता है। मानसिक तनाव और अपनी भावनाओं को संभालने में अक्षम है तो वह परिवार के साथ अच्छे रिश्तों का निर्माण और उनको बढ़ावा नहीं दे सकता है। ऐसे परिवारों के लिए कार्य करना सराहनीय कदम है। ट्रस्ट के चेयरमैन समाजसेवी शिखरचंद नागौरी ने बताया कि पिछले एक वर्ष से ऐसे लोगों के जीवन में दोबारा खुशियां लाने की मंशा थी जो असहनीय पीड़ा झेल रहे हैं।