सतना के लिए जानलेवा कोरोना: फिर 4 मौत,165 नए संक्रमित
सतना। जानलेवा कोरोना सतना के लिए अब काल से कम नहीं है। संक्रमित मरीज लगातार वायरस से दम तोड़ रहे हैं। जिले के लिए कोरोना इस कदर जानलेवा साबित हो रहा है कि रोजाना मरने वालों की संख्या में इजाफा हो रहा है और संक्रमितों की भी बाढ़ आ रही है। बुधवार -गुरुवार की अपेक्षा शुक्रवार के दिन कोरोना के तेवर नरम रहे पर पहले से पॉजिटिव जो उपचार करा रहे हैं वो दम तोड़ रहे हैं। सतना में फिर 4 मरीजों की मौत हो गई है जबकि 165 नए पॉजिटिव मरीज सामने आ चुके हैं। वहीं मरने वालों की संख्या 117 हो चुकी है तो एक्टिव केस एक हजार के पार गुरुवार को ही जा चुके हैं। लगातार दो दिनों से जिले में रामनगर कोरोना टाप रहा है शुक्रवार को भी 35 केस मिले जो सबसे ज्यादा है गुरुवार को भी यहां 25 संक्रमित थे जो एक ही दिन में आए हैं।
रीवा-मैहर व जबलपुर में मौत
जिले में कोरोना से मौत की खबरे रोजाना बढ़ती जा रही हैं और अब तक 117 की जान जा चुकी है। जिसमें कई वीआईपी भी शामिल हैं। शुक्रवार को रीवा मेडिकल कालेज से लेकर जबलपुर और मैहर तक में संक्रमितों की उपचार के दौरान मौत हुई है। सूत्रों के अनुसार शहर के नजीराबाद निवासी संक्रमित की मौत उपचार के दौरान रीवा में हुई है। मैहर के अग्रवाल जो संक्रमण के बाद बिरला अस्पताल में अपना उपचार करा रहे थे शुक्रवार को अंतिम सांस ले ली। मैहर के ही शर्मा परिवार में भी कोरोना का कहर टूटा है। निजी स्कूलों में टीचर रहे शर्मा संक्रमित हो कर दम तोड़ चुके हैं। जबलपुर के प्रायवेट अस्पताल में कोविड का उपचार करा रहे सीमेंट कारखाने में सुरक्षा इंचार्ज रहे सिंह परिवार के मरीज की मौत हुई है। ये नागौद क्षेत्र के निवासी बताए जा रहे हैं। कुल जिले भर में 4 मौत हो चुकी हैं।
तीन दिनों में संक्रमित हो रहे फेफड़े
बीते साल की अपेक्षा इन दिनों संक्रमितों की मौत ज्यादा तेजी से हो रही है। अकेले सतना की बात करें तो रोजाना 3 से 4 मरीज कोरोना से दम तोड़ रहे हैं, अब बताया यह जा रहा है कि मौजूदा समय तक जो वायरस है वो पिछले साल के मुकाबले और भी घातक है और संक्र मित मरीज के फेफड़ों को तीन दिन के अंदर संक्रमित करता है। सतना के सर्जन डा. संजय माहेश्वरी बताते हैं कि कोरोना के नए स्ट्रेन में लक्षण भी पहले जैसे नहंीं है और सीधे फेफड़ों पर अटैक करता है। अधिकांश मरीज ऐसे होते हैं जो बिना आक्सीजन के सांसद नहीं ले सकते, यह भी एक बड़ी वजह है कि सतना में सरकारी से लेकर निजी अस्पताल तक पैक हो चुके हैं।
कोरोना का इलाज नहीं है रेमडेसिविर
रेमडेशिविर ये ऐसा इंजेक्शन है जिसकी कीमत महज हजार से 15 सौ रुपए तक अलग-अलग कंपनियों में है पर इस इंजेक्शन को खरीदने लोग 10 से 15 हजार की कीमत चुकाने को तैयार हैं। इतना ही नहीं इस इंजेक्शन की मांग के साथ कालाबाजारी भी जोरो पर है और ऐसा कोई शहर नहीं है जहां इसकी कालाबाजारी न हो रही हो। हालांकि अब सरकार ने प्रशासन की मदद से इसमें अंकुश लगाने का प्रास किया है पर कारगर तब भी नहीं है। सवाल है कि आखिर रेमडेसिविर की मांग और कालाबाजारी बढ़ी क्यों तो जवाब दिया जाता है कि ये इंजेक्शन कोरोना के उपचार में काम आता है। जबकि ऐसा नहीं है कि जिसको कोरोना का संक्रमण हुआ उसको रेमडेसिविर देकर ठीक किया जा सकता है। यह एक अफवाह है कि इंजेक्शन कोरोना की दवा है।
हां! डॉक्टर बताते हैं कि कोरोना के मरीजों को एक विशेष परिस्थतियों में दिया जाता है जो शरीर की इम्यूनिटी को बढ़ाकर वायरस की तीव्रता को कम करता है पर कोरोना का स्थाई उपचार रेमडेसिविर नहीं है। जानकार बताते हैं कि जिस मरीज को सांस लेने में ज्यादा समस्या है और रोजाना पांच किलो आॅक्सीजन की उसे जरूरत पड़ रही हो तब ऐसी स्थिति में उसे चिकित्सक रेमडेसिविर देकर वारस की तीव्रता को कम कर देते हैं। जिसे यह इंजेक्शन देना है उसके लिए औपचाकिताएं भी बहुत हैं। कोविड मरीज का एसआरएफ आईडी व डॉक्टर का पर्चा होना चाहिए एवं एक फार्म भरकर सबमिट करना होता है और विशेष अनुमति पर ही मरीज को इंजेक्शन लगाने की अनुमति है। इसके सारे रिकार्ड संधारित करना है और स्टॉक की मॉनिटरिंग भी लगातार शीर्ष स्तर पर की जा रही है।