कृषि अभियांत्रिकी विभाग: योजनाएं ढेर सारी, लाभ किसी को नहीं

सतना | किसानों को हस्त चलित से लेकर मशीनी कृषि यंत्र किराये पर उपलब्ध कराने से लेकर खरीदी के लिये अनुदान की व्यवस्था करने वाला कृषि अभियांत्रिकी विभाग पिछले 10 महीनों में रीवा और शहडोल संभाग के एक भी किसान का भला नहीं कर सका। हालांकि विभाग के पास अनुदान योजनाओं की लंबी फेहरिस्त तो हैं पर चालू वित्तीय वर्ष में किसी एक के लिये भी लक्ष्य न आने से एक भी किसान लाभ नहीं ले पाया। अधिकारी भी किसानों को मना नहीं कर पा रहे। उनके पास कहने के लिये सिर्फ यही है कि रुको और इंतजार करो, अभी सरकार का खजाना खाली है। हालांकि पिछले सप्ताह कुछ योजनाओं के लक्ष्य तो आए हैं पर उनसे भी लोकप्रिय योजनाएं बाहर हैं।

कृषि अभियांत्रिकी विभाग भले ही अब किसानों और उनकी संतानों को रोजगार भी देने के उद्देश्य से बैकों के सहयोग से अपनी तरफ से अनुदान पर कृषि उपकरण खरीदने की सुविधा देता हो पर उसकी बुनियाद किराये पर यंत्र उपलब्ध कराने पर ही खड़ी हुई थी। वह अभी भी 625 रुपये प्रति घंटे की दर से किराये पर ट्रैक्टर तथा साथ में उससे चलने वाले तमाम तरह के यंत्र उपलब्ध कराता है। ट्रैक्टर का ट्रांसपोर्टेशन चार्ज 18 रुपये प्रति किलोमीटर लेता है। इसमें समस्या यह है कि कुछ नये उपकरण तो आए हैं पर अधिकांश पुराने नई तकनीक से अपग्रेड नहीं हो पाये। कभी यहां हस्त व पशु चलित यंत्र बनाने के लिये कर्मशाला भी होती थी पर स्टॉफ न होने से अब वह भी बंद पड़ी है। यही कारण है कि अब किराये पर कृषि उपकरण लेने वालों की संख्या भी धीरे-धीरे घटती जा रही है।

योजनाओं का यह है हाल

कस्टम हायरिंग योजना
बैंक से कर्ज दिलाने की व्यवस्था और 40 से 50 फीसदी तक अनुदान वाली कस्टम हायरिंग योजना किसान परिवारों के बीच कितनी लोकप्रिय है इसका अंदाजा इसी से लगा सकते हैं कि अकेले सतना जिले के गांवों में 132 युवा इसका संचालन कर रहे हैं। इस वित्तीय वर्ष में इसके लिये लक्ष्य ही नहीं आए। इस योजना में 12वीं पास किसान संतान 10 लाख तक के यंत्र खरीद सकते हैं। किसानों को कुल लागत का 25 से 35 प्रतिशत अंश जमा करना पड़ता है जबकि 35 फीसदी सरकार की गारंटी पर बैक से कर्ज मिल जाता है।

डायरेक्ट बेनीफिट ट्रांसफर
इस योजना के जरिये कोई भी सिंगल किसान कृषि यंत्र खरीद सकता है। सभी के लिये विभाग 40 फीसदी अनुदान देता है पर यदि किसान 2 हेक्टेयर से कम में खेती करता है, महिला, एसटी अथवा एससी वर्ग से आता है तो अनुदान बढ़कर 50 फीसदी तक हो जाता है। इस योजना के जरिये ट्रैक्टर, हार्वेस्टर, पावर ट्रिलर, रिवर्सिवल प्लाऊ, डिस्क प्लाऊ, रोटावेटर, रोटरी ट्रिलर, पावर हैरो, लेजर लैण्ड लेवलर, रिजफरो सीड कम फर्टीलाइजर ड्रिल, मल्टी क्राप प्लांटर, रेज्ड बेड प्लान्टर,जीरो टिलेज सीडकम फर्टीलाइजर ट्रिल, पोटेटो प्लांटर, पैडी ड्रम सीडर, डिब्लर, स्वचलित धान रोपाई यंत्र, हैप्पी सीडरन्यूमेटिक प्लांटर, व्हील हैण्ड हो, पावर वीडर, शक्ति चलित पावर स्पेयर्स, स्वाचलित रीपर कम बाइण्डर, स्ट्रा रेक्स, स्क्वेयर स्ट्रा बेलर समेत डेढ़ से दो दर्जन कृषि यंत्र खरीदे जा सकते हैं।

कुछ यंत्रों पर बजट लेकिन ट्रैक्टर बाहर
जनवरी के दूसरे पखवाड़े की शुरूआत में विभाग की ओर से कृषि यंत्रों पर डीबीटी योजना के जरिये आवेदन तो मांगे है पर इनमें ट्रैक्टर और हार्वेस्टर को शामिल नहीं किया गया। जिन यंत्रों को शामिल किया भी गया है उनमें रीपर कम बाइंडर, मिनी राइस व दाल मिल, पैडी ट्रांसप्लांटर (राइस), पावर हैरो, रेक, बेलर, न्यूमेटिक प्लांटर, हैप्पी सीडर/सुपर सीडर, सब साइलर, ब्रेकेट मेकिंग मशीन तथा ऐरो ब्लास्ट स्पेयर सहित एक दर्जन यंत्र शामिल हैं पर अधिकांश की मांग काफी कम रहती है।

कृषि अभियांत्रिकी की अनुदान योजनाएं दोनों संभागों के किसानों में काफी लोकप्रिय हैं और किसान लाभ भी ले रहे हैं। कोरोना के चलते योजनाओं का काम प्रभावित हुआ था पर इसी माह काफी के लक्ष्य आ गये हैं। 
राजेश तिवारी, संभागीय यंत्री कृषि अभियांत्रिकी सतना