आदेश: आदिवासी के नाम पुन: दर्ज होगी जमीन
सतना | एक आदिवासी परिवार को 20 लाख का चेक थमाकर जमीन पर स्वामित्व जमाने के प्रयासों को कलेक्टर ने आदेश जारी कर नाकाम कर दिया है। मामला मझगवां तहसील अंतर्गत ग्राम रजौला की आराजी क्र. 254/5 रकवा 0.321 हे. का है जिसे भू राजस्व संहिता 1959 की धारा 165(6) के तहत गैर आदिवासी के पक्ष में विक्रय किए जाने की अनुमति दी गई थी।
ये है मामला
बताया जाता है कि लीला आरख पति स्व. जानकी आरख, राकेश आरख पिता जानकी आरख के स्वामित्व की आराजी क्र. 254/5 को विक्रय करने की अनुमति मिलने पर रजौला निवासी ओम प्रकाश सिंह पिता चन्द्रपाल सिंह द्वारा खरीदी की गई थी। 4 जनवरी 2016 को आवेदित आराजी का विक्रय पत्र निष्पादित कराया गया और 28 नवम्बर 2017 को एक आवेदन पत्र प्रस्तुत कर लेख किया गया था कि क्रेता द्वारा प्रतिफल तीन चेक के माध्यम से किया गया, 2 चेक की राशि का भुगतान हो गया लेकिन तीसरा 20 लाख का चेक बाउंस हो गया।
चेक बाउंस होने पर आरख परिवार लगातार ओम प्रकाश सिंह से रुपए की मांग करता रहा लेकिन 37 लाख 5 हजार के एवज में केवल 17 लाख 5 हजार प्राप्त हुए जबकि 20 लाख का चेक बाउंस हो गया। हालांकि ओमपाल सिंह ने कलेक्टर न्यायालय को जवाब देकर यह प्रमाणित करने की कोशिश की कि चेक बाउंस होने के बाद विक्रेता को 20 लाख रुपए नगद दिए गए हैं लेकिन ओम प्रकाश यह साबित करने में नाकाम रहा कि इतनी बड़ी राशि उसके पास आई कहां से और उसने कब यह राशि विक्रेता को दे दी।
कलेक्टर ने अपने दिए आदेश में स्पष्ट किया है कि क्रेता द्वारा यह कहा जाना कि 20 लाख का भुगतान नगद किया है, अनुमति आदेश की शर्तो का उल्लंघन है क्योंकि विक्रय अनुमति देने के उपरांत ही यह प्रावधान तय कर दिया गया था कि प्रतिफल राशि का भुगतान क्रेता द्वारा विक्रेता को एकाउंट पेई चेक के माध्यम से किया जाएगा।
कलेक्टर ने इसे आदिवासी परिवार से छल कपट एवं धोखाधड़ी करार देते हुए आराजी क्र. 254/5 का विक्रय पत्र के आधार पर कराया गया नामान्तरण तत्काल प्रभाव से शून्य कर दिया है तथा उक्त आराजी को पुन: आवेदकगण के नाम भू स्वामित्व में दर्ज किए जाने के आदेश दिए हैं। यह भी आदेश में स्पष्ट किया गया है कि क्रेता द्वारा विक्रेता को जो राशि भुगतान की गई है उसे वापस करना होगा। इन शर्तो के साथ नायब तहसीलदार को आदेश का पालन सुनिश्चित कर पालन प्रतिवेदन प्रस्तुत करने एवं अनावेदक द्वारा आवेदकगण के पक्ष में किए गए भुगतान का उल्लेख प्रश्नाधीन आराजी के खसरा कालम नं. 12 में दर्ज करने के आदेश दिए हैं।