MP News: रीवा में नगर निगम की कार्रवाई के बाद धरने पर बैठे फूल व्यापारी, फूलों की सप्लाई बंद होने से जनता परेशान
रीवा के कोठी कंपाउंड स्थित फूल बाजार के दुकानदार नगर निगम की हटाने की कार्रवाई के विरोध में अनिश्चितकालीन अनशन पर बैठ गए हैं। व्यापारी 35-40 सालों से वहां दुकानें चला रहे हैं, जिससे 500 से ज्यादा परिवारों की रोजी-रोटी जुड़ी है। अनशन के चलते फूलों की आपूर्ति ठप हो गई है, जिससे शहरवासियों को पूजा-पाठ और शादी समारोहों में दिक्कत हो रही है। व्यापारी स्थायी दुकानें और मौजूदा जगह से न हटाए जाने की मांग कर रहे हैं।

REWA. जिले में कोठी कंपाउंड स्थित फूल बाजार में सालों से अपनी दुकानें चला रहे फूल व्यापारियों ने नगर निगम के हटाए जाने के आदेश के विरोध में आमरण अनशन शुरू कर दिया है। दुकानदारों का कहना है कि बीते 35 से 40 सालों से वे यहां फूल और पूजन सामग्री की दुकानें संचालित कर रहे हैं, जिससे लगभग 500 परिवारों का जीवन यापन होता है। लेकिन अब नगर निगम ने इन दुकानों को हटाने का आदेश जारी किया है, जिससे पूरे क्षेत्र में तनाव का माहौल है।
रीवा के कोठी कंपाउंड पर एकमात्र फूल मंडी है, जहां सैकड़ों किसान अपनें फूल उत्पाद बेचने आते हैं। यह जगह न सिर्फ व्यापार के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि धर्म के लिए भी अहम है, क्योंकि यहां शिव मंदिर, साईं मंदिर और बुद्ध मंदिर जैसे प्रमुख धार्मिक स्थल स्थित हैं। लोग पूजा-पाठ, विवाह समारोह और अन्य धार्मिक आयोजनों के लिए फूल यहीं से खरीदते हैं। लेकिन व्यापारियों के अनिश्चितकालीन धरने पर बैठने से फूल मंडी का व्यापार पूरी तरह से ठप हो गया है, इस अनशन का असर अब शहरवासियों पर भी दिखने लगा है। शादी-विवाह के मौसम में फूलों की आपूर्ति ठप होने से कई लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
फूल विक्रेताओं की प्रमुख मांगे है कि उन्हें उद्यानिकी विभाग की शासकीय भूमि पर पक्की और स्थायी दुकानों का निर्माण कराकर उन्हें कम लागत पर दी जाए। दुकानदार चाहते हैं कि उन्हें वर्तमान स्थान से न हटाया जाए और बाजार में लोगों के आवागमन में कोई बाधा न आए। नगर निगम ने जो स्थान दिया वह पुरातत्व संग्रहालय के पास स्थित है जो व्यापार की दृष्टि से सही नहीं हैं। फूल व्यापारियों का कहना है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं की जाएंगी, तब तक वे अनशन से नहीं उठेंगे। दुकानदारों ने नगर निगम से अपील की है कि वे उनके हितों को ध्यान में रखते हुए मानवीय दृष्टि से समाधान निकालें, ताकि न तो उनकी आजीविका प्रभावित हो और न ही शहर की व्यवस्था।