प्रशासनिक अदूरदर्शिता से घट रहा कृषि अभियांत्रिकी विभाग का रकबा
सतना | किसानों के कल्याण के लिए आजादी के बाद स्थापित किए गए कृषि अभियांत्रिकी कार्यालय के मामले में क्या भाजपा सरकार पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार की राह पर चल रही है? ऐसा इसलिए क्योंकि नेशनल हाइवे पर स्थित कृषि अभियांत्रिकी कार्यालय की बेशकीमती जमीन को कभी शापिंग माल, कभी हाउसिंग सोसायटी तो कभी आडीटोरियम के नाम पर आरक्षित करने की योजना प्रशासनिक स्तर पर बनती रही है। याद कीजिए कांग्रेस सरकार का एक फैसला जो भोपाल स्थित पुतलीघर के निकट संचालित एग्रीकल्चर इंजीनियिरिंग कार्यालय को लेकर किया गया था।
तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने पुतलीघर के निकट संचालित कृषि अभियांत्रिकी कार्यालय की जमीनों को महज एक रूपए का टोकन लेकर वक्फ बोर्ड को सौंप दिया था। उस दौरान विपक्ष में बैठी भाजपा ने खूब हो हल्ला मचाया था, लेकिन अब वैसी ही इबारत सतना में लिखने की कवायद की जा रही है, जबकि कोठी तिराहे के निकट स्थित कृषि अभियांत्रिकी कार्यालय केवल सतना के किसानों के लिए ही नहीं बल्कि रीवा व शहडोल संभाग के 7 जिलों के किसानों का पथ प्रदर्शक है।
स्थापना के समय मौजा खूंथी के खसरा 13/171 रकबा 3.257 हे. में कृषि अभियांत्रिकी विभाग का परिसर निर्धारित किया गया था। बाद में परिसर के उत्तर तथा उत्तर पूर्व दिशा में बीएसएनएल व पुलिस लाइन की स्थापना के दौरान विभाग की कुछ जमीन ले ली गई थी। पुलिस लाइन में खेल मैदान के लिए जिला प्रशासन ने जमीन ली थी लेकिन वहां इन दिनों भैंसे बंध रही है। कृषि विभाग ने शेष जमीन को सुरक्षित करने पक्की चारदीवारी बनाई।
अब एक बार पुन: कृषि अभियांत्रिकी विभाग की जमीन पर जिला प्रशासन की निगाहें गड़ी हैं और जिला प्रशासन यहां रिडेंसिफिकेशन योजना के तहत आडीटोरियम का निर्माण करने की मंशा रखता है, जबकि कृषि अभियांत्रिकी कार्यालय परिसर बीते कुछ समय से बायो-डायवर्सिटी का एक अनुपम उदाहरण बनकर उभरा है, जिसे जैव विधिता के मामले में सरकार ने कार्यालय को पुरस्कृत भी किया है। इस परिसर में कृषि यंत्रों से जुड़ी कार्यशाला , समुन्नत कौशल विकास केंद्र के अलावा जैव विविधता को आकार देते तकरीबन डेढ़ हजार पौधे व पेड़ हैं। जानकारों का मानना है कि किसानों के हित से जुड़े कार्यालय परिसर को उजाड़कर यहां की रिक्त भूमि को रिडेंसिफिकेशन योजना में सम्मिलित करना न केवल नादानी होगी बल्कि किसानों के साथ छलावा भी होगा।
यूं मिला था सतना को कार्यालय
बताया जाता है कि कृषि अभियांत्रिकी कार्यालय की सतना को सौगात तत्कालीन कृषि मंत्री स्व. गोपाल शरण सिंह व तत्कालीन डायरेक्टर एग्रीकल्चर सुल्तान सिंह के प्रयासों से मिली थी। तब से कृषि अभियांत्रिकी कार्यालय अपने दायित्वों का निर्वहन कर रहा है। समय के साथ कृषि अभियांत्रिकी कार्यालय ने कृषि तकनीक को भी समुन्नत किया है जिसके चलते किसानों के लिए यह कार्यालय अहम बना हुआ है।
सतना को किसान हास्टल की दरकार
जिले में क्या किसानों का कोई खैरख्वाह नहीं है? सवाल इसलिए क्योंकि सतना को सरकार एक अदद किसान हास्टल तक नहीं दे पाई है। विगत दिवस सरकार ने किसानों की सुविधा के लिए जबलपुर, शहडोल और रीवा में 8 किसान हास्टल व डारमेट्री स्वीकृत किए हैं। जबलपुर, शहडोल और रीवा के अलावा भोपाल, ग्वालियर, मुरैना और होशंगाबाद जिला मुख्यालयों पर किसान हास्टल बनाए जाने हैं। विभागीय सूत्रों के अनुसार एक हास्टल की निर्माण लागत 1 करोड़ 8 लाख रुपए होगी। राष्टÑीय कृषि विकास योजना के तहत बनने वाले किसान हास्टल से सतना को एक बार पुन: महरूम रखा गया है।
जबकि सतना में सात जिलों की कृषि इंजीनियरिंग को नियंत्रित करने वाला कृषि अभियांत्रिकी कार्यालय है जहां रीवा व शहडोल संभाग के सात जिलों के किसानों का आना- जाना लगा रहता है। ऐसे में सतना में एक किसान हास्टल की दरकार है। सूत्रों की मानें तो यदि सतना में किसानों का जत्था आ जाए तो प्रशासन के पास उन्हें ठहराने के लिए कोई विकल्प नहीं है। किसानों को या तो मझगवां स्थित कृषि विज्ञान केन्द्र के निजी विश्राम गृह में आश्रम मिलता है या फिर उन्हें जिला मुख्यालय से 70 किमी दूर चित्रकूट धर्मशालाओं में ठहराया जाता है। ऐसे में यदि कृषि अभियांत्रिकी कार्यालय परिसर में ही किसान हास्टल बना दिया जाए तो किसानों को एक बड़ी समस्या से निजात मिल सकती है।
हमारी सरकार किसानों के हित संरक्षण के लिए कटिबद्ध है। निश्चित तौर पर सतना में दो संभागों का कृषि अभियांत्रिकी मुख्यालय होने के कारण किसान हास्टल की जरूरत जिले को है। जिले के किसान निश्चिंत रहें, आगे जब भी किसान हास्टल स्वीकृत होंगे तो सतना उसमे शामिल होगा। इसके लिए उच्चस्तरीय चर्चा कर स्वीकृत ली जाएगी।
रामखेलावन पटेल, राज्यमंत्री पंचायत एवं ग्रामीण विकास
यह उचित नहीं होगा क्योंकि इससे सतना आने वाले किसानों को असुविधा होगी। हाइवे पर इस कार्यालय की नींव सोच समझकर डाली गई थी। निश्चित तौर पर कृषि अभियांत्रिकी कार्यालय में किसान हास्टल का होना किसानों के लिए एक सौगात होगी।
रामप्रताप सिंह, पूर्व विधायक
देखिए भाजपा किसानों के हित में कैसे कैसे कदम उठा रही है, पूरा देश देख रहा है। दरअसल किसान भाजपा के लिए केवल वोट बैंक है। कृषि अभियांत्रिकी कार्यालय के स्वरूप से खिलवाड़ कृषक हित से खिलवाड़ है। जिले में किसान हास्टल जरूर खोला जाना चाहिए और इसके लिए उसी परिसर से उपर्युुक्त जगह कोई दूसरी नहीं है।
नीलांशु चतुर्वेदी, विधायक चित्रकूट
दो संभाग के कृषि कार्य के लिए कृषि अभियांत्रिकी कार्यालय से मिलने वाली सुविधाएं संजीवनी की तरह है। यहां 7 जिले से किसान आते हैं लेकिन कोई विश्राम गृह किसानों के लिए न होने के कारण उन्हें परेशान होना पड़ता है। यहां पर किसान हास्टल खोला जाना आवश्यक है।
कृष्णेंद्र सिंह, किसान नेता