चार महीने भी नहीं हुए, फंसने लगी अस्पताल की लिफ्ट
रीवा | सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में भी अव्यवस्थाएं हावी होने लगी हैं। सर्व सुविधायुक्त बनाए गए भवन के बाद ओपीडी एवं आईपीडी की शुरुआत भले ही की गई हो परंतु जिम्मेदारों द्वारा बनाई जा रही व्यवस्थाओं की धीरे-धीरे पोल खुलने लगी है। पांच मंजिला सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में लगाई गई पांच लिफ्ट केवल चार महीने में ही आवाज करने लगी हैं। एचएससीसी कंपनी की देख-रेख में मेंटीनेंस की अवधि समाप्त हो जाने के बाद जिम्मेदारों ने अब सौदेबाजी शुरू कर दी है।
सूत्रों से मिली जानकारी में बताया गया है कि अस्पताल में पांच लिफ्ट ओटिस एवं दो थाइसनक्रुप के डम्ब वेटर लगाए गए हैं। ओटिस कंपनी की लगाई गई लिफ्ट से न केवल रोगी एवं रोगियों के परिजन की आवाजाही होती है, उसी लिफ्ट से चिकित्सक एवं अस्पताल का स्टाफ भी जाता है। ताज्जुब की बात तो यह है कि सामग्री भेजने के लिए दो डम्ब वेटर थाइसनक्रुप कंपनी के लगाए गए हैं जो बंद पड़े हुए हैं और लिफ्ट से सामग्री पहुंचाई जा रही है। इतना ही नहीं लिफ्ट की मेंटीनेंस भी कंपनी से न की जाकर निजी मैकेनिकों से कराई जा रही है। दिसम्बर से एचएससीसी कंपनी के मेंटीनेंस का जिम्मा समाप्त हो गया है। तब से मेंटीनेंस भगवान भरोसे चल रहा है।
लिफ्ट मेंटीनेंस में खर्च हुए दो लाख
एचएससीसी का अनुबंध समाप्त हो जाने के बाद जनवरी एवं फरवरी में लिफ्ट मेंटीनेंस के नाम पर दो लाख रुपए से ज्यादा खर्च किए जा चुके हैं। ताज्जुब की बात यह है कि अस्पताल में लगाई गई लिफ्टों का मेंटीनेंस निजी मैकेनिकों से कराया जा रहा है। जबकि जिस कंपनी की लिफ्ट लगाई गई है, उसके मेंटीनेंस के लिए उसी कंपनी के मैकेनिक से कराया जाना चाहिए। ऐसे में कंपनी द्वारा किए जाने वाले मेंटीनेंस से घटना की संभावना काफी कम हो जाती है।
लिफ्ट से आती है आवाज
प्रथम तल से पांचवीं मंजिल तक जाने वाली लिफ्ट जैसे ही चालू होती है, उससे आवाज निकलने लगती है। यहां तक कि अस्पताल में विभिन्न मंजिलों पर जाने वाले मरीज के परिजन लिफ्ट से आने वाली आवाज से डरते हुए किसी तरह अपने मरीज के पास पहुंचते हैं। कई ऐसे लोगों को भी देखा गया है जो लिफ्ट से आने वाली आवाज से डरकर सीढ़ी के माध्यम से दूसरी एवं तीसरी मंजिल पहुंच रहे हैं।