Axiom-4 मिशन, जिसके लिए भारत ने चुकाए 548 करोड़ रुपए!
क्या था Axiom-4 मिशन का मकसद और इसमें भारत की क्या भूमिका रही? शुभांशु शुक्ला ने अंतरिक्ष में क्या-क्या प्रयोग किए? जानें इस प्राइवेट स्पेस मिशन की पूरी कहानी आज के एक्सप्लेनर.

18 दिनों तक स्पेस में रहने के बाद शुभांशु शुक्ला और उनके साथी आख़िरकार वापस आ ही गए. 15 जुलाई को दोपहर 3 बजे कैलिफोर्निया के तट पर उन्होंने लैंडिंग की. बता दे की शुभांशु 1984 में राकेश शर्मा के बाद स्पेस में जाने वाले दूसरे और इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर जाने वाले पहले एस्ट्रोनॉट है. पर क्या आप जानते है की इस मिशन के लिए भारत ने 548 करोड़ रुपए चुकाए हैं..? साथ ही ये स्पेस मिशन कई बार कैंसिल भी हुआ था..?
Axiom-4 एक International Space Station के लिए Axiom Space का चौथा प्राइवेट Human spaceflight missions है। यह मिशन नासा, इसरो, एक्सियम औरस्पेसएक्स ने मिलकर किया है. इस मिशन का उद्देश्य स्पेस में commercial activities और scientific experiments करना था. अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा और भारतीय एजेंसी इसरो के बीच हुए एग्रीमेंट के तहत भारतीय वायु सेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला को इस मिशन के लिए चुना गया था। जैसा की हमने आपको बताया की यह एक प्राइवेट सापे मिशन था इसलिए भारत ने इसकी एक सीट के लिए 548 करोड़ रुपए चुकाए.
ये मिशन 25 जून, 2025 को लॉन्च हुआ था। इस मिशन में भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला, अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री पेगी व्हिटसन, पोलैंड के स्लावोस उज़्नांस्की और हंगरी के टिबोर कपु भी शामिल थे। वैसे तो ये मिशन 25 जून को लांच हुआ लकिन ये मिशन पहले ही लांच होने वाला था टेक्निकल इश्यूज और ख़राब मौसम की वजह से इस मिशन को कई बार टाला गया था
मिशन में एस्ट्रॉनॉट्स ने कौन-कौन से एक्सपेरिमेंट्स किये..?
18 दिन के इस मिशन में एस्ट्रॉनॉट्स ने कई एक्सपेरिमेंट्स किये जिनमें जीवन विज्ञान, सामग्री विज्ञान, मानव शरीर क्रिया विज्ञान और पृथ्वी अवलोकन शामिल थे.
शुभांशु ने मिशन के दौरान 60 से ज्यादा वैज्ञानिक प्रयोगों में हिस्सा लिया। इनमें भारत के सात प्रयोग शामिल थे। उन्होंने मेथी और मूंग के बीजों को अंतरिक्ष में उगाया। स्पेस माइक्रोएल्गी' प्रयोग में भी हिस्सा लिया।साथ ही अंतरिक्ष में हड्डियों की सेहत पर भी EXPERIMENTS किए।शुभांशु शुक्ल और उनकी टीम अपने साथ ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट में डेटा और सामान भी लेकर आये है जो उसकी आगे की रिसर्च में काम आएगा।
पीएम नरेंद्र मोदी के साथ लाइव वीडियो कॉन्फ्रेंस
बता दे की 28 जून को शुभांशु ने ISS से पीएम नरेंद्र मोदी के साथ लाइव वीडियो कॉन्फ्रेंस की थी। साथ ही 3, 4 और 8 जुलाई को उन्होंने तिरुवनंतपुरम, बेंगलुरु और लखनऊ के 500 से अधिक छात्रों के साथ हैम रेडियो के जरिए बातचीत भी की थी। शुभांशु ने ISS के कपोला मॉड्यूल से पृथ्वी की कई फोटोज भी क्लीक की हैं.
जाहिर है की शुभांशु ने अपने स्पेस मिशन के दौरान कई चीजे सीखी होंगी जो की उनके अगले भारतीय मिशन गगनयान में काम आएगा। भारत 2027 तक गगनयान मिशन लांच करने वाला है. जिसका उद्देश्य भारतीय गगनयात्रियों यानि की एस्ट्रॉनॉट्स को पृथ्वी की निचली कक्षा में भेजना और सुरक्षित रूप से वापस लाना है।