बाल श्रम कराने वाले लोगों पर मेहरबान विभाग

रीवा | जिले में बाल श्रम एक बड़ी समस्या बनकर खड़ी हुई है। सरकार की ओर से बकायदा इसके लिए विभाग बनाया गया है और बाल श्रम रोकने और ऐसा करने वाले संचालकों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए दल भी गठित किया गया है। मगर बाल श्रमिकों को तलाशने वाला दल ढाबा संचालकों को चेतावनी देकर लौट आता है जबकि बच्चों से काम कराने वाले प्रतिष्ठान व संचालकों के खिलाफ तुरंत कार्रवाई करने के निर्देश प्राप्त हैं। पता चला है कि हाल ही में बाल श्रम की एक टीम गुढ़ क्षेत्र के निरीक्षण पर गई थी, जहां कई ढाबों में छोटे बच्चों से काम लेना पाया गया।

मौके पर भीड़ भी इकट्ठा हो गई थी। मगर विभाग के दल द्वारा किसी भी ढाबा संचालक के खिलाफ कार्रवाई नहीं की गई बल्कि उन्हें आगे से ऐसा न करने की हिदायत दी गई और टीम वापस लौट आई।गौरतलब है कि 14 साल से कम उम्र के बच्चों से काम लेना गैर कानूनी है और अपराध की श्रेणी में आता है। ऐसे में संचालक को लाखों रुपए का अर्थदण्ड और कारावास की सजा भी हो सकती है।

विडम्बना की बात यह है कि जिले में ऐसे कई होटल, ढाबे, कारखाने हैं जहां 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों से काम लिया जाता है मगर विभाग के उदासीन रवैये के कारण ऐसे प्रतिष्ठान व संचालकों के खिलाफ कार्रवाई नहीं हो रही है जो दिन के 20 से 50 रुपए में छोटे बच्चों से दिन भर काम करवाते हैं। गुढ़ में किया गया निरीक्षण इसका जीता जागता उदाहरण है। अधिकारी ढाबों में रुके और चेतावनी देकर वापस लौट आए। जबकि ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने के निर्देश हैं।

वार्निंग तक सीमित कार्रवाई
विभाग द्वारा तैयार किया गया अमला कभी कभार ही फील्ड पर निकलता है और ऐसा बहुत कम होता है कि किसी संचालक के खिलाफ बाल श्रम अधिनियम के तहत कार्रवाई की जाती हो। जबकि ग्रामीण इलाकों में ज्यादातर होटल, ढाबों में 14 साल से कम उम्र के बच्चे काम करते आसानी से देखे जा सकते हैं। गत दिवस गुढ़ में गई टीम ने जब मौके पर छोटे बच्चों को काम करता पाया तो उन्हें वहां से भगा दिया और ढाबा संचालक का नाम रिकार्ड में लिख लिया और उन्हें सिर्फ चेतावनी मात्र देकर वापस कार्यालय आ गया। वार्निंग तक सीमित ऐसी कार्रवाई से संचालकों के हौंसले बुलंद होते जा रहे हैं।